योगी राज में ‘केवाईसी’ की क़तार में लगे कई दिनों से बैंक के चक्कर काट रहे थके किसान की आखिरकार चली गई जान

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सोनभद्र।। उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित सोनभद्र जिले में एक किसान की हुई मौत ने सरकार और बैंकों की लचर कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए पूरी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करते हुए, किसानों की हितैषी होने का दम भरने वाली सरकार के ढोल की पोल खोल कर रख दी है।

पहले से ही तमाम परेशानियों का सामना करते आए आदिवासी बाहुल्य के गरीब किसानों, मजदूरों को अब केवाईसी की प्रकिया के नाम पर बैंकों से लेकर पांच किलो राशन को पाने के लिए लंबी दूरी और कतार में खड़े होने को लेकर जूझना पड़ रहा है।

सोनभद्र जिले के कोन थाना क्षेत्र अंतर्गत इंडियन बैंक कचनरवा शाखा जहां बैंक में केवाईसी कराने के लिए कई दिनों से बैंक शाखा के चक्कर काटते रहे कतार में लगे किसान की शुक्रवार की देर शाम को मौत हो गई है।

परिजनों की पीड़ा

किसान की मौत होते ही कतार में खड़े अन्य लोगों में हड़कंप मच गया था तो वहीं बैंक के अधिकारियों कर्मचारियों के भी हाथ-पांव फूल गए थे। फ़ौरन मामले को रफा-दफा करने के लिए किसान के शव को लेकर जाने का दबाव बनाया जाने लगा था। तो दूसरी ओर बैंक के संबंधित मुलाजिमों की असंवेदनशील रवैया भी सामने आया है।

जिन्होंने किसान को तत्काल स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में मानवीय मूल्यों को नकारते हुए जल्द से जल्द पीड़ित किसान को वहां से हटाए जाने पर जोर देते हुए दिखाई दिए हैं।

कतार में लगे किसान की मौत से अफरा-तफरी का माहौल

सोनभद्र के सामाजिक कार्यकर्ता विजय प्रताप सिंह उर्फ डब्लू सिंह कड़े शब्दों में कहते हैं कि, “कहने को तो सरकार ने मजदूरों, किसानों की सहुलियत के लिए तमाम योजनाएं लागू की हैं,। लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं होने से यह दुर्व्यवस्था की भेंट चढ़ गई है। 

योजनाओं का कितनी सुगमता से लोगों को लाभ मिल रहा है, या नहीं मिल रहा, सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। बैंक में केवाईसी की कतार में लगे हुए किसान की मौत इसी दुर्व्यवस्थाओं की एक बानगी है जिसे सरकार को गंभीरता से लेते हुए इसे सरल बनाए जाने की ओर ध्यान देना चाहिए।”

मदद की बजाए बाहर निकालने का बनाया गया दबाव

दरअसल, रम्मन (59 वर्ष) पुत्र स्वर्गीय सुखदेव निवासी कचनरवा टोला परसवा, कोन इंडियन बैंक की कचनरवा शाखा में जमा रुपये निकालने व केवाईसी को लेकर परेशान थे। कई रोज़ की दौड़ के बाद वह शुक्रवार को भी बैंक की शाखा में कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रह थे कि अचानक से देखते-देखते वह जमीन पर गिरकर बेहोश गये थे।

आनन-फानन में जब-तक उन्हें उपचार के लिए ले जाया जाता तबतक उनकी मौत हो चुकी थी। केवाईसी की कतार में खड़े किसान की मौत होते ही बैंक में हड़कंप मच गया था। 

मौके पर साथ आए उनके पुत्र जवाहिर पत्नी सहित बैंक में मौजूद थे। पिता के अचानक जमीन पर गिरते ही बेटा और बहू उन्हें गोंद में उठाकर आनन-फानन में नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र ले कर भागते हुए पहुंचते हैं, जहां मौके पर चिकित्सक के मौजूद न होने पर नहीं निजी वाहन से बंशीधर नगर ले जा रहे थे कि रास्ते में ही किसान ने दम तोड़ दिया था।

दुपहिया पर आनन-फानन में किसान को डॉक्टर के पास ले जाते परिजन

पिता की सांस थमते ही बेटे-बहू का रो-रो कर बुरा हाल हो उठा था। बेटे का साफ आरोप रहा है कि यदि बैंक के लोगों ने थोड़ी भी मानवता दिखाते हुए उसके पिता को अपने वाहन से अस्पताल भिजवाया होता तो शायद उसके पिता को बचाया जा सकता था, लेकिन नहीं, उन्हें उपचार के लिए भिजवाया जाना तो दूर रहा, बैंक से जल्दी से जल्दी उन्हें (रम्मन) बाहर निकालने का दबाव बनाया जा रहा था।

कई दिनों से केवाईसी की लगती आ रही है कतार

दूसरी ओर मौके पर मौजूद लोगों की माने तो शाखा प्रबंधक ने स्पष्ट शब्दों में कह रखा था कि जब तक केवाईसी नहीं होता तब तक खाते से लेन-देन नहीं होगा। जहां मृतक बीते चार दिनों से बैंक आकर लाइन में लगे रहते थे, पर बैंककर्मी कभी सर्वर नहीं चल रहा है तो कभी कोई और परेशानी का हवाला देकर अगले दिन आने को कह कर मुंह फेर लिया करते।

ऐसे ही तीन दिन बीत गया पर मृतक का केवाईसी नहीं हो पाया था। शुक्रवार को बैंक परिसर में देखते ही देखते अचानक किसान रम्मन अचेत होकर गिर गए। जिसे देख बैंक कर्मचारी ने कहा तुरंत यहां से ले कर जाओ नहीं तो हम लोगों को आफत में डालोगे।

पिता को अस्पताल के लिए दुपहिए पर ले जाने का दृष्य

लोगों की मानें तो बैंक कर्मियों ने जरा भी मानवता नहीं दिखाई। लोगों का कहना था कि शाखा प्रबंधक की कार्य प्रणाली जनहित व उपभोक्ताओं  के प्रति सही नहीं है। इस बावत जब इंडियन बैंक के शाखा प्रबंधक से सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो सम्पर्क नहीं हो सका।

वहीं स्थानीय लोगों ने मांग की है कि ऐसे शाखा प्रबंधक को तत्काल अन्यत्र स्थानांतरित करते हुए कठोर कार्यवाही कराना सुनिश्चित किया जाय। साथ ही साथ किसानों तथा बुजुर्ग जनों को केवाईसी की कतार से अलग करते हुए सुगमकारी व्यवस्था लागू किए जाएं ताकि इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न होने पाए।

रम्मन के गांव घर में पसरा सन्नाटा

केवाईसी की कतार में लगकर जान गंवाने वाले रम्मन के गांव कोन विकास खंड क्षेत्र के कचनरवा टोला परसवा में तीसरे दिन रविवार को भी शोक और सन्नाटा पसरा हुआ था।

मृतक किसान के घर पसरा मातम

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हुआ तो घर के चूल्हे चौके भी सुने पड़े हुए थे। बेटे जवाहिर के जुबां पर बस एक ही बात है कि बैंक वाले साहब हमारे साथ खड़े हो गए होते तो शायद बाबू जी को बचाया जा सकता था। 

वह केवाईसी प्रक्रिया को कोसते हुए बोलते हैं कि, “जब आधार फोटो सहित सब दस्तावेज जमाकर खाता खुला था तो बार-बार नई योजना को लागू कर क्यों खाताधारकों को परेशान किया जा रहा है।”

वह आगे भी बोलते हैं कि तीन-चार दिनों से हम लोग बैंक का चक्कर काट रहे थे लेकिन अभी तक केवाईसी नहीं हो पाई थी। बल्कि हमारे बाबू जी की जान जरूर चली गई है, अब उस बैंक और रुपए का क्या मतलब, जो जीते जी बाबू जी को नहीं मिल सकें….!” इतना कहते-कहते जवाहिर फफक-फफक कर रो पड़ते हैं।

(संतोष देव गिरी वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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