Wednesday, April 24, 2024

जहां हुआ था जंगल सत्याग्रह, वहां 100 साल पूरे होने पर जुटे हजारों आदिवासी

छत्तीसगढ़। धमतरी जिले के बेलर ब्लॉक के गट्टासिल्ली में जंगल सत्याग्रह के 100 साल पूरे होने पर आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के साथ हजारों आदिवासियों ने सत्याग्रह स्तंभ पर पुष्पांजलि देकर पदयात्रा की। वहीं गट्टासिल्ली के जंगल में तीन दिनों तक चलने वाले जन संवाद का आयोजन भी किया जा रहा है।

इस जनसंवाद कार्यक्रम में 100 बरस पहले हुए जंगल सत्याग्रह और वर्तमान वनाधिकार कानून को लेकर चर्चा हो रही है। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी समुदाय के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठनों के लोग भाग ले रहे हैं।

एकता परिषद के बैनर तले आयोजित इस सत्याग्रह में उड़ीसा से आए पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्तचरण दास ने कहा कि ‘यूपीए सरकार के द्वारा लाए गए वनाधिकार कानून की मंशा आदिवासियों को उनके वनाधिकार देना रहा है। जंगल को बचाने के लिए जंगल का अधिकार आदिवासियों को देना होगा। बहुत सारी जगहों पर आदिवासियों को वन अधिकार मिला है, उसे और भी सक्रियता के साथ बाकी बचे हुए दावेदारों को देने की जरूरत है’।

आयोजन में जुटे आदिवासी

अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम ने कहा कि सरकार को अभियान चलाकर आदिवासियों को वन का अधिकार सौंप देना चाहिए। जंगल क्षेत्र की जमीनों का अधिकार उसके वास्तविक अधिकारी आदिवासियों को सौंपना चाहिए। जंगल सत्याग्रह इतिहास के लेखक आशीष ठाकुर ने कहा कि पहले जंगल काटकर सत्याग्रह सौ साल पहले शुरू हुआ था अब जंगल बचाकर सत्याग्रह करना होगा।

जंगल सत्याग्रह का इतिहास

महात्मा गांधी की प्रेरणा से छत्तीसगढ़ के सिहावा-नगरी क्षेत्र में 21 जनवरी 1922 से भारत का प्रथम जंगल सत्याग्रह प्रारंभ हुआ था। सत्याग्रह का उदेश्य जल, जंगल और ज़मीन पर आदिवासियों और स्थानीय ग्रामवासियों के अधिकारों को स्थापित करना था। इसे छत्तीसगढ़ का जंगल सत्याग्रह कहा जाता है।

जंगल सत्याग्रह आदिवासी विरोधी कानूनों तथा बेगारी व जबरन मजदूरी कराने के लिये विवश किये जाने के विरोध में शुरू हुआ था। बाद में यह सत्याग्रह धमतरी, महासमुंद, कोरबा, सारंगगढ़ सहित राजनांदगांव जिलों में तेजी से फैला और हजारों सत्याग्रहियों ने मिलकर इसे सफल और ऐतिहासिक बनाया।

जंगल सत्याग्रह के मंच पर संगठनों के नेता

इस आयोजन में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम, पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्तचरण दास, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम, एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार, किसान आंदोलन के सुदेश पैकरा, असम के आदिवासी सांसद नबकुमार सरन्या शामिल हुए।

कार्यक्रम में सरगुजा के आदिवासी नेता गंगाराम पैकरा, राष्ट्रीय संयोजक अनिष कुमार, वरिष्ठ कार्यकर्त्ता अनिल भाई, हरियाणा के राकेश तंवर सहित देशभर के गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता और जंगल सत्याग्रह के सत्याग्रही परिवार के वंशज भी भाग ले रहे है।

(छत्तीसगढ़ से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट)

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