मैन होल नहीं, मशीन होल! मैनुअल स्कैवेंजरिंग को खत्म करने के लिए बड़ी पहल

Estimated read time 1 min read

मैनुअल स्कैवेंजरिंग को खत्म करने के लिए सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसके लिए सरकार की तरफ से संसद में विधेयक लाने की तैयारी कर ली गयी है। इसके तहत सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई मशीन से कराना अब अनिवार्य कर दिया जाएगा। साथ ही आधिकारिक इस्तेमाल में ‘मैनहोल’ शब्द को ‘मशीन होल’ से प्रतिस्थापित कर दिया जाएगा। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर 24×7 हेल्पलाइन खोली जाएगी जो इसके उल्लंघन की रिपोर्ट करेगी। वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर लागू होने वाले ये कुछ प्रमुख उपाय हैं जिनके जरिये अगस्त, 2021 तक मैनुअल स्कैवेंजरिंग को खत्म करने का लक्ष्य है।

इसके हिस्से के तौर पर बृहस्पतिवार को सरकार ने सभी राज्यों को अप्रैल, 2021 तक मैनुअल स्कैवेंजरिंग को खत्म करने का लक्ष्य हासिल करने की चुनौती पेश की है। इसमें कहा गया है कि अगर किसी शख्स को किन्हीं असामान्य और आपातकालीन स्थितियों में किसी सीवर के भीतर घुसने की जरूरत पड़ी तो उसको उचित ड्रेस और आक्सीजन टैंक आदि मुहैया कराया जाएगा। इस चुनौती को पूरा करने के लिए विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कारों की घोषणा की गयी है जिसके मद में कुल 52 करोड़ की राशि तय की गयी है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा है कि “इस मामले में हिस्सा लेने वाले शहरों का जमीनी मूल्यांकन एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा मई, 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा। और उसके नतीजे 15 अगस्त, 2021 तक घोषित कर दिए जाएंगे।”

आधिकारिक रिकॉर्ड दिखाते हैं कि पिछले पांच सालों में मैनुअल स्कैवेंजरिंग से 376 मौतें हुई हैं। इसमें अकेले 2019 में 110 लोग मरे हैं। 2018 के मुकाबले यह 61 फीसदी की बढ़ोत्तरी थी। मिश्रा ने कहा कि “हम लोगों ने निर्देश दिया है कि ‘मैन होल’ शब्द अब कभी भी इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और अब केवल ‘मशीन होल’ ही इस्तेमाल होगा।” इसके अलावा मंत्रालय एमटीएनएल के साथ मिलकर एक 24×7 हेल्पलाइन नंबर हासिल करने की कोशिश कर रही है जिससे इस तरह के मामलों की रिपोर्ट की जा सके। चुनौती पर बात करते हुए अधिकारी ने कहा कि शहरी स्थानीय निकाय, राज्यों की राजधानियां और छोटे शहर इसमें हिस्सा लेने के लिए योग्य हैं। उन्होंने बताया कि 243 शहर जो इसमें भागीदारी के योग्य हैं उन्हें जनसंख्या के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा। जिसमें तीन लाख, 3-10 लाख और 10 से ऊपर ये तीन श्रेणियां बनायी गयी हैं। और इनके लिए 8-12 करोड़ के रेंज में पुरस्कार तय किए गए हैं।

15 वें फाइनेंस कमीशन में स्वच्छ भारत मिशन को सबसे उच्च प्राथमिकता पर रखे जाने के साथ स्मार्ट सिटी और शहरी विकास के लिए फंड की उपलब्धता को देखते हुए शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि मशीन से साफ करने के लिए जरूरी पैसे की कभी कमी नहीं पड़ेगी। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय इस बीच ठेकेदारों और नगरपालिकाओं के बजाए सफाई की मशीन खरीदने के लिए सीधे फंड मुहैया कराने का फैसला लिया है। यह बात मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमणियम ने बतायी। लोगों द्वारा शरीर से ड्रेन, सीवर टैंक, सेप्टिक टैंक आदि की सफाई के लिए किसी को हायर करना मैनुअल स्कैवेंजरिंग एक्ट, 2013 के तहत गैरकानूनी है और उस पर सजा हो सकती है।

कानून के मुताबिक मैनुअल स्कैवेंजर्स की पहचान की जानी है और फिर उनका पुनर्वास किया जाना है। हालांकि सुब्रमणियम का कहना है कि समस्या गांवों में खड़ी होती है। उन्होंने कहा कि “कानून में संशोधन मशीन से सफाई को अनिवार्य कर देगा। यह वैकल्पिक नहीं होना चाहिए…..हैदराबाद आदि जैसी कुछ नगरमहापालिकाएं……मशीन से सफाई के मामले में आश्चर्यजनक काम किए हैं। लेकिन यह सबसे अच्छी प्रैक्टिस नहीं होना चाहिए बल्कि केवल यही प्रैक्टिस होनी चाहिए। ”

Top of Form

Bottom of Form

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

You May Also Like

More From Author