टीआरपी घोटाला: रिपब्लिक, न्यूज़ नेशन और महामूवी चैनल के मालिक वांटेड!

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आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा था। फर्जी टीआरपी केस में रिपब्लिक चैनल, न्यूज नेशन और महामूवी चैनल के मालिकों और चलाने वालों को वॉन्टेड की सूची में डाल दिया गया है। अर्थात उनकी गिरफ़्तारी की तलवार लटक गई है। टीआरपी घोटाले में मुंबई पुलिस की तरफ से आरोपी बनाए जाने के बाद रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) ने अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, पर शनिवार को सीआईयू ने पहली बार रिपब्लिक चैनल के मालिक और इसे चलाने वाले को वॉन्टेड दिखाया है। सीआईयू ने हिंदी चैनल न्यूज नेशन और महामूवी चैनल के मालिकों और चलाने वालों को भी वॉन्टेड दिखाया है। इस केस में फख्त मराठी चैनल और बॉक्स सिनेमा के मालिक पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। अब पांच चैनल सीधे तौर पर आरोपी हो गए हैं।

यह सारा मामला तब खुला जब सीआईयू ने इस केस में 20 अक्तूबर को गिरफ्तार दो आरोपियों रामजी वर्मा और दिनेश विश्वकर्मा को नई रिमांड के लिए किला कोर्ट में शनिवार को पेश किया। उसी रिमांड एप्लिकेशन में सीआईयू ने पांच आरोपियों को वॉन्टेड दिखाया है। इसमें पहले नंबर पर अभिषेक कोलवणे का नाम है, जबकि दूसरे, तीसरे, चौथे नंबर पर रिपब्लिक, न्यूज नेशन और महामूवी चैनलों के मालिक/चालक (यानी चलाने वाले) ऐसे शब्द लिखे गए हैं। हालांकि इनके मालिक कौन हैं, सीआईयू ने यह रहस्य बरकरार रखा है।

वॉन्टेड आरोपियों की सूची में पांचवां नाम रॉकी का लिखा हुआ है। रिमांड कॉपी में रिपब्लिक और अन्य चैनलों के नाम सामने आने के बाद अब इनके मालिकों और चलाने वालों को सीआईयू कभी भी समन भेज सकती है। चूंकि इस केस में फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा के मालिक गिरफ्तार हो चुके हैं, इसलिए इतना तय है कि रिपब्लिक और अन्य आरोपी चैनलों के मालिकों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।

इससे पहले रिपब्लिक टीवी चैनल के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को चैप्टर केस में शनिवार को वरली डिवीजन के एसीपी के सामने पेश होना था। वह शनिवार को एनएम जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन के बाहर अपने उन पत्रकार साथियों के समर्थन में दिखे, जिनके खिलाफ शुक्रवार को मुंबई पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी और शनिवार को आने के लिए समन भेजा था, लेकिन अर्नब खुद के खिलाफ चैप्टर केस में वरली डिविजन के एसीपी के सामने पेश नहीं हुए।

पुलिस ने मुंबई पुलिस की कथित तौर पर बदनाम करने के चलते रिपब्लिक टीवी के चारों पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इस मामले में रिपब्लिक टीवी ने कहा है कि वो इसे मीडिया के अधिकारों पर हमला मानता है और वह हर ‘मजबूत रणनीति’ से लड़ेगा।

मुंबई पुलिस ने पुलिस विभाग को लेकर कथित तौर पर आपत्तिजनक न्यूज कंटेंट प्रसारित करने को लेकर रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के कार्यकारी संपादक, एक एंकर, दो संवाददाता और अन्य संपादकीय स्टाफ के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस एक्ट 1922 की धारा 3(1) और आईपीसी की धारा 500 और 34 के तहत रिपब्लिक टीवी की एंकर शिवानी गुप्ता, संवाददाता सागरिका मित्रा, संवाददाता शवन सेन, कार्यकारी संपादक निरंजन नारायणस्वामी और अन्य एडिटोरियल स्टाफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस का कहना है कि सोशल मीडिया लैब की विशेष शाखा-1 में तैनात सब इंस्पेक्टर शशिकांत पवार के एनएम जोशी मार्ग पुलिस थाने में शुक्रवार को शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया।

पुलिस का कहना है कि रिपब्लिक चैनल ने ऐसी खबरें प्रसारित की हैं, जिनसे मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ पुलिसकर्मियों में असहमति की भावना पैदा होगी। पुलिस का कहना है कि चैनल का दावा है कि मुंबई पुलिसकर्मी परमबीर सिंह के खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं और उनके आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

यह रिपब्लिक चैनल के खिलाफ चौथा मामला है। चैनल के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी के खिलाफ सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के लिए दो एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें से एक पीडोहोनी और एक एनएम जोशी मार्ग पुलिस थाने में दर्ज की गई है। एक मामला कथित तौर पर टीआरपी धोखाधड़ी को लेकर है, जिसकी जांच मुंबई पुलिस की अपराध शाखा कर रही है, जबकि गोस्वामी के खिलाफ अलग से एक मामले की जांच पुलिस कर रही है।

रिपब्लिक टीवी के कार्यकारी संपादक निरंजन नारायणस्वामी और वरिष्ठ कार्यकारी संपादक अभिषेक कपूर फर्जी टीआरपी मामले में अपने बयान दर्ज कराने के लिए पिछले बुधवार को मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के समक्ष पेश हुए थे। अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि नारायणस्वामी दोपहर 12 बजे अपराध खुफिया इकाई के दफ्तर पहुंचे, जबकि कपूर करीब चार बजे वहां पहुंचे। वह दिल्ली में रहते हैं। रिपब्लिक टीवी ने 10 अक्तूबर को एक दस्तावेज का प्रसारण किया था जो कथित रूप से हंसा रिसर्च ग्रुप से संबंधित था। नारायणस्वामी और कपूर को मंगलवार को जारी समन में कहा गया है कि यह मानने के वाजिब आधार हैं कि वह दस्तावेज से जुड़े कुछ तथ्यों और परिस्थितियों से वाफिक हैं। इसलिए उनका बयान दर्ज करना जरूरी है।

इस बीच क्राइम ब्रांच इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) ने फेक टीआरपी केस में फंसे चैनलों के मालिकों से उनके सभी बैंक अकाउंट्स की पांच साल की डिटेल मांगी है।  पहले इस केस में आईपीसी की 409, 420, 120 (बी), 34 धाराएं लगाई गई थीं। फिर इसमें आईपीसी के सेक्शन 174, 179, 201 और 204 भी जोड़े गए। सीआईयू के एक अधिकारी के अनुसार, अब हमने इस केस में धोखाधड़ी करने से जुड़ी कई धाराएं जोड़ने का भी फैसला किया है।

रिपब्लिक टीवी पर ‘न्यूज ऑवर’ का उपयोग करने से रोक
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को रिपब्लिक टीवी को टैगलाइन ‘न्यूज ऑवर’ या किसी भी अन्य चिह्न का उपयोग करने से रोक कर ‘टाइम्स नाउ’ चैनल को अंतरिम राहत दी, जो कि कथित तौर पर उसके प्राइमटाइम डिबेट शो के लिए भ्रामक हो सकता है। हालांकि कोर्ट ने टाइम्स ग्रुप की याचिका पर अर्नब गोस्वामी और उनकी कंपनी एआरजी आउटलेयर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को टैगलाइन ‘नेशन वॉन्ट्स टू नो’ का इस्तेमाल करने से रोक नहीं लगाई।

जस्टिस जयंत नाथ की एकल पीठ ने कहा है कि गोस्वामी के नेतृत्व में रिपब्लिक टीवी चैनल किसी भी समाचार के अपने भाषण/ प्रस्तुति के हिस्से के रूप में उक्त टैगलाइन का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन यदि वह किसी भी संबंध में ट्रेड मार्क के समान उपयोग करना चाहता है उनके सामान/सेवाओं के तो चैनल को इस तरह के उपयोग के लिए खातों को बनाए रखना होगा। वादी कंपनी ने तर्क दिया था कि अभिव्यक्ति का उपयोग ट्रेडमार्क के रूप में किया गया था, अदालत ने कहा कि पार्टियों के बीच साक्ष्य पूरा होने के बाद ही निर्णय लिया जा सकता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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