Friday, April 26, 2024

वर्धा विश्वविद्यालय: पीएचडी प्रवेश परीक्षा में संघ से जुड़े छात्रों को नकल की खुली छूट!

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में 2020-21 पीएचडी की प्रवेश परीक्षा विवादों में घिर गई है। आरोप लग रहे हैं कि प्रवेश परीक्षा में शुचिता को ताख पर रख दिया गया है। आपदा में अवसर का लाभ उठाते हुए परीक्षा ऑन लाइन कराई गई और उसमें जमकर नकल हुई। आरोप लग रहे हैं कि इसमें संघ से जुड़े छात्रों को प्रमोट किया जा रहा है।

पूरा देश अनलॉक हो गया है और राजनीतिक रैलियों से लेकर सभी कुछ अब सामान्य हो गया है। इसके बावजूद वर्धा विश्वविद्यालय में सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर आन लाइन प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया। कहने को तो यहां लैपटॉप-कंप्यूटर का कैमरा ऑन था और निगरानी रखी जा रही थी, लेकिन वास्तव में ऐसा न तो संभव था और न ही ऐसा किया गया। इसकी शिकायत कुलपति से लेकर शिक्षा मंत्री तक की गई है, लेकिन कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हुई है।  

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) में कुलपति रजनीश शुक्ल के कार्यभार संभालते ही लगातार विवाद जारी है। अब सत्र 2020-21 की पीएचडी प्रवेश परीक्षा की 134 सीटों पर सामूहिक नकल की छूट का मामला सामने है। छात्रों और छात्र संगठनों के नकल की शिकायत करने के बाद भी विश्वविद्यालय द्वारा किसी भी प्रकार की सार्थक कार्रवाई नहीं की गई। इस की जगह विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया बदस्तूर जारी है। इस अकादमिक भ्रष्टाचार के कारण ईमानदार और मेहनती विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

इस साल विश्वविद्यालय ने विभिन्न विभागों में पीएचडी की कुल 134 सीटों पर घर बैठकर ऑनलाइन माध्यम से 10 और 21 अक्तूबर को तीन पालियों में प्रवेश परीक्षा कराई थी। प्रवेश परीक्षा में कुल 1603 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे। कोरोना महामारी के दौरान घर बैठकर एक कमरे में प्रवेश परीक्षा देने की सुविधा और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करते हुए विश्वविद्यालय के छात्र संगठन आइसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन साई बालाजी, यूथ फॉर स्वराज और पूर्व छात्र और अभ्यर्थी राजेश कुमार के द्वारा मेल के माध्यम से 5 अक्तूबर को विश्वविद्यालय के कुलपति रजनीश शुक्ल, कुलसचिव, परीक्षा प्रभारी केके त्रिपाठी, मानव संसाधन मंत्रालय और सम्बंधित अधिकारियों से शिकायत दर्ज कर निवारण करने का आग्रह किया था।

शिकायत के अनुसार महामारी की आड़ में नियम-परिनियम को ताख पर रखकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने मनमाने ढंग से घर बैठ कर ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया। प्रवेश परीक्षा के नाम पर नकल के खेल में विश्वविद्यालय प्रशासन की पूरी सहभागिता नजर आती है। विश्वविद्यालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कई प्रकार की खामियां थीं, जिसका फायदा उठा कर परीक्षार्थियों ने जम कर नकल की।

प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया में निम्नलिखित खामियां हैं–

  • घर से वेब कैम के सामने बैठ कर ऑनलाइन पीएचडी प्रवेश परीक्षा का निर्देश दिया गया था। इस प्रक्रिया में खामी यह थी कि तकनीकी जानकार अपने कंप्यूटर, लैपटॉप का एक प्रतिरूप आवरण (Duplicate Screen) सरलता पूर्वक HDMI केबल या किसी अन्य थर्ड पार्टी एप्लिकेशन के माध्यम से बनाकर पूरा संचालन किसी अन्य सहयोगी को नियुक्त कर परीक्षा में सरलता से नकल कर सकता था। प्रवेश परीक्षा में निगरानी का एक मात्र माध्यम परीक्षार्थी का वेबकैम और माइक्रोफोन था जो परीक्षार्थी के कैमरे के सामने के दृश्य को दिखाने में समर्थ था, किंतु कैमरे के पीछे कोई भी सहयोगी गुपचुप तरीके से नक़ल करने में सहयोग कर सकता था।
  • प्रवेश-परिक्षा के लिए विश्वविद्यालय द्वारा जारी वेबपेज ब्राउज़र और ऐप में भी खामियां थीं जो प्रवेश-परीक्षा के दौरान देखने को मिलीं। वेबपेज ब्राउज़र (Safe Exam Browser) को किसी भी स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर (उदाहरण- Any Desk SW) के जरिए दूर बैठ कर किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा सरलता से निर्देशित किया जा सकता था। वहीं विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए गए परीक्षा ऐप (app) में भी खामियां थीं। इस ऐप से ऑनलाइन परीक्षा देने के दौरान ही ऐप के पीछे (Background) गूगल ब्राउज़र और अन्य ऐप पर भी काम सरलता से किया जा सकता था। प्रश्न का स्क्रीनशार्ट ले कर व्हाट्सऐप के माध्यम से परीक्षा के दौरान किसी अन्य को साझा किया जा सकता था।

• प्रवेश परीक्षा के दौरान निरीक्षक की गैर मौजूदगी के कारण घर बैठ कर प्रवेश परीक्षा देने के प्रावधान में परीक्षार्थी के कैमरे के पीछे परीक्षा सहयोगी के साथ बैठकर परीक्षा दी जा सकती थी। इस प्रकिया में नकल करने की पूरी संभावना थी।

उपरोक्त खामियों का फायदा उठाते हुए विश्वविद्यालय में परीक्षार्थियों ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा में जम कर नकल की। इसका प्रमाण प्रवेश परीक्षा के दौरान लिए गए प्रश्नों के स्क्रीनशॉट दर्शाते हैं। प्रवेश परीक्षा की गोपनीयता और पारदर्शिता एक परीक्षार्थी एवं विश्वविद्यालय के बीच न रहकर आज कई लोगों के मोबाइल पर प्रश्नों के स्क्रीनशॉट के रूप में देखा जा सकता है जो प्रवेश परीक्षा में नक़ल को प्रमाणित करने के लिए काफी है। विभिन्न विभागों के ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा के प्रश्नों के स्क्रीनशॉट का मिलना स्पष्ट कर देता है कि प्रवेश परीक्षा में खामियां थीं और नकल करने वालों ने इस खामी का भरपूर फायदा उठाते हुए व्हाट्सऐप के जरिए नकल की है।

नक़ल के स्पष्ट सबूत मिलने के बाद छात्र संगठन आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन साई बालाजी एवं राजेश कुमार ने पुनः एक बार ईमेल के माध्यम से साक्ष्यों को संलग्न कर प्रवेश परीक्षा में नक़ल की शिकायत दर्ज करवाकर जिम्मेदार अधिकारीयों पर कार्रवाई और प्रवेश परीक्षा को पुनः केंद्र बना कर पर्यवेक्षक की निगरानी में कराने की मांग की है। कुलपति और प्रशासन शिकायत को अनदेखा कर प्रवेश प्रक्रिया को जारी रखे हुए हैं। लगभग दो माह बाद प्रवेश परीक्षा में चयनित परीक्षार्थियों की सूची जारी कर दिनांक 9 दिसंबर 2020 से 6 जनवरी 2021 कर ऑनलाइन साक्षात्कार लिया जा रहा है।

वहीं दूसरी ओर कई भावी शोधार्थियों का कहना है कि ईमेल के माध्यम से जारी किए गए अंक प्रमाण-पत्र में फेरबदल किया गया है। परीक्षार्थियों ने अनुमानित प्रश्नों के आकलन के बाद उन्हें उम्मीद से बहुत कम अंक प्राप्त हुए हैं। परीक्षार्थियों के सामने समस्या यह है कि वे सभी अपनी बात को प्रमाणित नहीं कर सकते, क्योंकि ऑनलाइन परीक्षा होने के कारण उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है। इस पूरी प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता कहीं भी नज़र नहीं आती है जो ईमानदार परीक्षार्थियों के पक्ष में हो। परीक्षार्थियों के अनुसार ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा लेने के बाद भी देर से रिजल्ट जारी करना एक बड़ी धांधली है, जिसमें प्रवेश परीक्षा सिर्फ खानापूरी है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles