देवरिया। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से पूर्वांचल के किसानों को भी गेहूं समेत अन्य फसलों के नुकसान का सामना करना पड़ा है। पिछले एक सप्ताह में दो बार मौसम की मार झेल चुके किसानों के लिए अभी परेशानी कम नहीं हुई है। मौसम विज्ञानियों के पूर्वानुमान के अनुसार अभी भी आफत की बारिश का सामना करना पड़ सकता है। उधर यूपी सरकार ने पीड़ित किसानों को मुआवजे की घोषणा कर राहत की एक उम्मीद जगाई, पर सच्चाई है कि आंशिक रूप से फसलों के नुकसान की मार झेलनेवाले किसानों को कोई राहत देने की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर नहीं दिख रही है। ऐसे में निराश होने वाले किसानों की संख्या अधिक हो सकती है।
हम यहां देवरिया जनपद के किसानों की तबाही की तस्वीर बयां कर रहे हैं। इसके तह में जाने के पहले यह बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही इसी जिले से आते हैं। आफत की मार झेलनेवाले जिले के किसानों को कितनी राहत मिल पायेगी यह तो अभी आगे देखना है, पर एक दिन पूर्व सरकार के द्वारा तय किए गए मुआवजे की रूपरेखा से यह अंदेशा सही साबित होने लगा है कि अधिकांश किसानों को निराशा ही मिलेगी।
सरकार के फौरी आकलन के मुताबिक 19 हजार किसानों को ही राहत के पैकेज देने की तैयारी है। जिसमें सरकारी आकलन के आधार पर 33 प्रतिशत से अधिक का नुकसान होने पर ही संबंधित किसानों को मुआवजा मिलेगा। मुआवजे के लिए सरकार की तरफ से 13 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। प्रयागराज के 10 हजार से ज्यादा किसान सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। पूर्वांचल के वाराणसी से लेकर प्रयागराज तक के जिले सर्वाधिक मौसम की मार झेलने को मजबूर हुए हैं।
अब देवरिया जिले के किसानों की तरफ से यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि हमारी जो फसलें बर्बाद हुई हैं, आखिर उसके नुकसान की भी सुध सरकार व उनके अधिकारियों को लेनी चाहिए। किसानों का कहना है कि अगले 20 दिन में गेहूं की फसल तैयार होने वाली थी पर बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है। फसल गिरने से इसका भूसा भी अब ये नहीं निकाल पायेंगे।
देवरिया जिला मुख्यालय से सटे सकरापार गांव के वीरेन्द्र यादव कहते हैं कि 8 बीघे में हमने गेहूं की बुवाई की है। जिसमें से तकरीबन दो बीघा गेहूं बेमौसम बारिश में पूरी तरफ बर्बाद हो गयी। ऐसा ही दर्द गांव के प्रद्युम्न मिश्र का भी है। ये कहते हैं कि हमारे पास खेती योग्य जमीन बहुत कम है। एक बीघे में गेहूं की फसल थी। जिसमें से आधे से अधिक फसल गिर चुकी है। जिसमें अब एक भी दाना अनाज होने की उम्मीद नहीं है।
भीमपुर के किसान अवधेश शर्मा बताते हैं कि आमतौर पर हमारे गेहूं की वही फसल गिरी है, जो हमने नवंबर की शुरुआत में ही बुवाई कर दी थी। ये पौधे सामान्य से बड़े हो गए थे। यह खेतों में गिर पड़ा है। इसके दाने भी अभी पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं। बगल के ही गौरा गांव के किसान राजकिशोर फसलों की बर्बादी के बाद से काफी मायूस हैं। ये कहते हैं कि वर्ष में गेहूं व धान की दो फसल ही खेती का आधार है।
पिछले वर्ष धान की फसल भी मौसम के मार का शिकार हो गई। अब गेहूं की बेहतर पैदावार की उम्मीद जगी थी, लेकिन कटाई के तकरीबन एक माह पूर्व ही एक बार फिर तबाही ही हम लोगों के हिस्से लगी है। वे कहते हैं कि छह माह की मेहनत के बाद पैदावार हाथ लगती है। मौसम की मार के चलते फसल की कीमत तो मिलना दूर, अब पूंजी भी डूब गई।
राजकिशोर के मुताबिक खेत की जुताई व बुवाई के बाद से तीन बार सिंचाई की गई। 35 रुपये किलो के दर से बीज की खरीद की गई। प्रति घंटा सिंचाई के लिए 200 रुपये लगे। औसतन एक बार सिंचाई में पांच घंटे लगते हैं। प्रत्येक सिंचाई के बाद प्रति बीघा 40 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करना होता है। खेतों में पूरी लागत लगाने के बाद 8 से 10 क्विंटल प्रति बीघा गेहूं की पैदावार मिलती है। पिछले वर्ष सरकार ने खरीद मूल्य 1900 रुपये क्विंटल तय किए थे। लेकिन बिचैलियों के हाथों 1700 रुपये क्विंटल बेचने पर मजबूर हुए। हालांकि बाद में बाजार में गेहूं के दाम 2500 रुपये से लेकर 3000 रुपये क्विंटल तक रहे।
हवा के साथ तेज बारिश के चलते देवरिया जिले में एक अनुमान के मुताबिक 35 से 40 प्रतिशत रबी की फसलों का नुकसान हुआ है। इसमें सबसे अधिक गेहूं के फसल का नुकसान हुआ है। हवा के साथ शुक्रवार और सोमवार की हुई बारिश ने पहले ही किसानों पर कहर बरपा दिया था, जो फसलें बची थी वह मंगलवार को हुई बारिश से धाराशायी हो गईं। जमीन पर फसलों के गिरने से उसका दाना पतला होने से पैदावार काफी कम हो जायेगा। गेहूं की फसल गिरने से उसकी कटाई करना मुश्किल और खर्चीला हो जायेगा।
इस साल रबी सीजन में जिले में कुल 177805 हेक्टेयर में विभिन्न फसलों की खेती की गयी है। इसमें सबसे अधिक 152818 हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है। जबकि 405 हेक्टेयर में जौ, 12404 हेक्टेयर में मक्का, 98 हेक्टेयर में चना, 1688 हेक्टेयर में मटर, 460 हेक्टेयर में मसूर की बुवाई हुई है। जबकि तिलहनी फसलों में 8113 हेक्टेयर में तोरिया, 1819 हेक्टेयर में सरसों की खेती की गयी है।
इस साल शुरू से मौसम का साथ देने से रबी की सभी फसलें अच्छी थी। जिले के सभी क्षेत्रों में गेहूं की फसल बेहतर होने से पैदावार भरपूर होने की उम्मीद थी। गेहूं की फसल में दाने पड़ गए हैं और यह पक रहे हैं। ऐसे वक्त में मौसम की मार ने किसानों को निराश किया है। जिले के देवरिया सदर, पथरदेवा, भाटपार रानी व देसही देवरिया ब्लाक के इलाके में फसलों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचा है।
इस बीच शासन के निर्देश पर जिले में फसलों के नुकसान का आकलन के लिए जिलाधिकारी ने एक कमेटी का गठन किया है। यह टीम सर्वेक्षण कर रिपोर्ट उप कृषि निदेशक कार्यालय को सौंपेगी। टीम में राजस्व व कृषि विभाग के अलावा बीमा कंपनी के अधिकारी तथा संबंधित ग्राम पंचायत के एक प्रगतिशील किसान शामिल रहेंगे।
खास बात यह है कि जिले के 24 हजार 814 किसानों ने फसल का बीमा कराया है। जिनके 14894 हेक्टेयर क्षेत्रफल के फसलों का बीमा हुआ है। किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड तथा सीधे बीमा कंपनी को कुल 1 करोड़, 36 लाख, 11 हजार, 496 रुपये प्रीमियम जमा किया है।
नवंबर से लेकर मार्च-अप्रैल तक होने वाली गेहूं की फसल में ये असमय बारिश काफी नुकसानदायक है। इस समय गेहूं की बाली में दाना पड़ चुका है। ये दानों के पकने का समय है। बारिश और आंधी से गेहूं गिरने पर दाना मजबूत नहीं होगा। इससे गेहूं के उत्पादन पर असर पड़ेगा। गेहूं का दाना काला पड़ जाएगा और हल्का हो जाएगा।
सामान्यतः एक एकड़ में 22 से 25 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होता है, तो वह घटकर 15 से 18 क्विंटल ही रह जाएगा। इसके अलावा गेहूं के डंठल से बनने वाला भूषा भी मटमैला हो जाएगा। जो हल्की नमी में जल्दी सड़ जाता है, जिससे भूसे का दाम भी कम मिलता है।
बेमौसम बारिश से गेहूं के अलावा जौ, आलू, चना, मसूर, अलसी, मटर व सरसों की फसल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। आम के पेड़ों में लगे बौर भी झड़ गए हैं। आम की बागवानी भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इसका असर आम की पैदावार पर भी पड़ेगा।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यूपी में इस बार 44 लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में गेहूं, आलू, सरसों, चना समेत कई फसलों की बुवाई हुई है। सभी फसलें पकने की कगार पर हैं। किसान फसलों के पकने का इंतजार कर रहा था। लेकिन आंधी-बारिश और ओले गिरने से फसल चौपट हो गई है।
(देवरिया से जितेंद्र उपाध्याय की ग्राउंड रिपोर्ट।)