Saturday, April 27, 2024

UPI से 2,000 रुपये से ज्यादा के पेमेंट पर लगेगा 1.1% चार्ज, जानिए डिजिटल पेमेंट करना कैसे पड़ेगा महंगा

डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने की केंद्र सरकार की नीति अब लोगों को अपनी ढीली होती जेब पर महसूस होगी। यूपीआई ट्रांजैक्शन अब महंगा होने वाला है। यानि 1 अप्रैल से शुरू हो रहे फाइनेंशियल ईयर से यूपीआई लेनदेन महंगा होने वाला है। नेशनल पेमेंट्स ऑफ इंडिया ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानि UPI को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है।

यानि यूपीआई से होने वाले मर्चेंट पेमेंट पर पीपीआई चार्ज लगाने की सिफारिश की गई है। NPCI की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक दो हजार रुपये से ज्यादा के ट्रांजैक्शन पर 1.1 फीसदी पीपीआई चार्ज लगाया जाएगा। इसका सीधा मतलब ये है कि अगर किसी वॉलेट में 2000 रुपये से अधिक लोड किया जाता है तो उस बैंक को यह सर्विस चार्ज चुकाना होगा।

यह चार्ज मर्चेंट ट्रांजैक्शन यानि व्यापारियों के लिए है। नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने कहा कि 1 अप्रैल से ये शुल्क लागू करने के बाद 30 सितंबर से पहले इसका रिव्यू किया जाएगा।

एनडीटीवी की रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंक अकाउंट के बीच पियर टू पियर, पियर टू मर्चेंट ट्रांजैक्शन पर ये लागू नहीं होगा। सर्किलुर प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट (PPIs Issuer) जारी करने वाले को 2,000 रुपये से ऊपर के ट्रांजैक्शन वैल्यू को लोड करने के लिए रेमिटर बैंक को फीस के तौर पर 15 बेसिस प्वाइंट्स का पेमेंट करना होगा।

इंटरचेंज चार्ज, मर्चेंट ट्रांजैक्शन अर्थात व्यापारियों को पेमेंट करने वाले यूजर्स को देना है। इंटरचेंज फीस आम तौर पर कार्ड पेमेंट से जुड़ी होती है और इसे ट्रांजैक्शन की लागत को कवर करने के लिए लगाया जाता है। वहीं सर्कुलर में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि बैंक अकाउंट और पीपीआई वॉलेट के बीच होने वाली पीयर टू पीयर और पीयर टू पीयर मर्चेंट में होने वाली ट्रांजैक्शन पर कोई शुल्क नहीं देना है।

दरअसल यूपीआई मोबाइल फोन से बैंक अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने का पसंदीदा ज़रिया है। इसके अलावा कुछ PPI भी हैं, जिनमें फोन-पे, गूगल-पे और पेटीएम शामिल हैं।

हालांकि इस बीच आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को विधानसभा में निशाना साधते हुए कहा कि- पीएम मोदी दोनों हाथों से देश लूट रहे हैं। ज़ाहिर है इस कदम का असर व्यापारियों पर होगा लेकिन इसे ऐसे समझिए कि भारत में करीब 70 फीसदी यूपीआई p2m लेन-देन 2000 रुपये से ज्यादा के होते हैं। ऐसे में इन ट्रांजैक्शंस का एक बड़ा हिस्सा इस फैसले से प्रभावित होगा।

फार्मिंग और टेलीकॉम सेक्टर में UPI पेमेंट के लिए सबसे कम इंटरचेंज फीस वसूली जाएगी। इंटरचेंज फीस मर्चेंट ट्रांजैक्शन या व्यापारियों को पेमेंट करने वाले यूजर को देना पड़ेगा।

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