Thursday, April 25, 2024

ग्राउंड रिपोर्ट: प्रदूषण से सोनभद्र के लोगों का जीना मुहाल, अनियंत्रित ब्लास्टिंग और मनमाने खनन से बढ़ा खतरा

सोनभद्र, उत्तर प्रदेश। हरियाली के बजाए कंक्रीट के नजर आते दूर-दूर तक फैले विशाल जंगल-पहाड़, सड़क-हाईवे का बिछा जाल, मगर खनन खदानों से उड़ने वाली डस्ट और धूल से कोहरे की चादर जैसा नजारा दिख जाए तो समझ लीजिए कि आप सोनभद्र में हैं। वही सोनभद्र जो उत्तर प्रदेश को भरपूर राजस्व प्रदान करता है। वही सोनभद्र जो उत्तर प्रदेश का अंतिम जनपद है, जो चार राज्यों- बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ से लगा हुआ है। कहने को यह जनपद प्राकृतिक संपदाओं से परिपूर्ण है, बावजूद इसके यह आज भी कई मूलभूत सुविधाओं से महरूम है।

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल लाल नेहरू ने कभी इस जनपद को मिनी स्वीटजरलैंड कह कर संबोधित किया था। उसके पीछे उनका तर्क भी था कि यह जनपद प्राकृतिक संपदाओं से परिपूर्ण होने के साथ-साथ प्राकृतिक धन संपदाओं के मामले में भी हरा-भरा और दुर्लभ वन्य जीवों से गुलजार रहा। लेकिन बीतते समय के साथ प्राकृतिक धन संपदाओं से हरा-भरा, दुर्लभ वन्य जीवों से गुलजार रहने वाला यह जनपद कंक्रीट के जंगलों में तब्दील होता जा रहा है।

सोनभद्र में धूल की चादर

बेतहाशा खनन ने इस जनपद के प्राकृतिक सौंदर्य को तहस-नहस करके उसके प्राकृतिक सौंदर्य को कुरूप बना डाला है। खनन को मिली खुली छूट ने प्रदूषण को बढ़ावा देकर प्राकृतिक सौंदर्य और संपदाओं को तबाह कर दिया है। वैध की आड़ में अवैध खनन के खेल ने खनन माफियाओं से लेकर सफेदपोश संरक्षणदाताओं को मालामाल किया है। वहीं यहां के रहवासी गरीब, आदिवासी- जिन्होंने यहां के विकास में अपना खून पसीना बहाया है- तबाह होकर जस का तस बने हुए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता तथा आदिवासी समाज के लिए कार्य कर रहे इंकलाबी नौजवान सभा के लाल प्रकाश ‘राही’ कहते हैं कि “इस जनपद को तबके नक्सलियों से कहीं ज्यादा अब के नक्सलियों से खतरा बढ़ा है, जो सादे लिबास में गरीबों को उजाड़ने का काम करते आए हैं।” वह कहते हैं “जिन संपदाओं पर यहां के मूल निवासियों का हक होना चाहिए आज उन पर माफियाओं और सफेद पोश लोगों का कब्जा है। यहां का मूल निवासी “बेचारा और श्रमिक” बन कर रह गया है।”

खनन माफियाओं के हवाले सोनभद्र

खदानें बन रही हैं मौत की खांई

सोनभद्र के बिल्ली मारकुंडी में फरवरी 2020 में खनन के दौरान हुए हादसे में जान गंवाने वाले मजदूर को लोग भुला भी नहीं पाये थे कि मार्च 2020 में ओबरा के खनन क्षेत्र के एक पत्थर खदान में गरीब श्रमिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। खनन हादसे के कुछ वर्षों बाद खनन पर रोक हटते ही खनन का कार्य फिर धड़ल्ले से चल पड़ा। वैध की आड़ में अवैध खनन का भी कार्य बद्दस्तूर जारी है। अवैध खदानों से लोगों के जीवन को लेकर बराबर खतरा बना रहता है। यह खदानें इतनी गहरी होती हैं कि यदि कोई इसमें चला जाये तो फिर उसका इसमें से बचकर निकल पाना मुश्किल होता है।

अनियंत्रित ब्लास्टिंग से हो रहा है अवैध खनन

सोनभद्र जनपद के ओबरा तहसील के निकट बिल्ली, ओबरा में अनियंत्रित ब्लास्टिंग के साथ-साथ जमकर अवैध खनन किया जा रहा है। इलाके में अति तीव्रता के साथ ब्लास्टिंग और मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए खनन किया जा रहा है। कहने को भले ही समय-समय पर खनन अधिकारियों द्वारा जांच करायी जाती है, लेकिन ब्लास्टिंग की तीव्रता को आज तक कम नहीं किया गया।

ब्लास्टिंग की तैयारी

प्रदूषण रोकने के लिए पानी का छिड़काव भी नहीं किया जाता है जबकि अत्यधिक गहराई तक खनन कर शुद्ध पेयजल को बड़ी मात्रा में सड़कों और बंद पड़ी खदानों में बहा दिया जाता है। एक तरफ सरकार सोनभद्र जैसे अति पिछड़े आदिवासी क्षेत्र में जल की कमी को देखते हुए गांव-गांव तालाब, कुएं तथा जल संचय की व्यवस्था कर रही है वहीं दूसरी तरफ खनन माफिया शुद्ध पेयजल की बहुत बड़ी मात्रा को प्रदूषित कर इधर-उधर बहा दे रहे हैं। जिसके चलते सोनभद्र जनपद में जल संकट जैसी स्थिति पैदा हो रही है।

ब्लास्टिंग से क्षतिग्रस्त हो रहा हाईटेंशन तार

बिल्ली, ओबरा के खदानों के ऊपर से गुजर रहे हाईटेंशन तार पर लगातार अनियंत्रित ब्लास्टिंग से पत्थर के टुकड़े तार को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। ब्लास्टिंग से होने वाले तेज कंपन्न से हाईटेंशन तार सहित उसके बड़े-बड़े टावरों के क्षतिग्रस्त होने की संभावना बनी हुई है। खनन कार्य में लगे सूत्रों की मानें तो बिजली विभाग व संबंधित विभागों द्वारा खदान मालिकों को चेतावनी दी जा चुकी है, किंतु कुछ समय के लिए खदानों को बंद कर अधिकारियों के चले जाने के बाद खदान को पुन: चालू करा दिया जाता है।

हाईटेंशन तार के नीचे खनन

अनियंत्रित ब्लास्टिंग के चलते आसपास के घरों तक पत्थर के बड़े बड़े टुकड़े पहुंच जाते हैं। जिससे किसी भी समय अप्रिय घटना घटने की प्रबल संभावना बनी रहती है। वहीं अत्यधिक प्रदूषण के कारण लोग अस्थमा और स्वांस जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। स्थानीय पत्रकार अजीज कुमार सिंह बताते हैं कि “खनन के लिए होने वाले अत्यधिक ब्लास्टिंग की तीव्रता लोगों के लिए खतरा बनी हुई है। कमजोर दिल वाले, बीमार अशक्त लोगों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकते हैं। बावजूद इसके इस पर कोई ध्यान ही नहीं दिया जाता।”

लीज क्षेत्रफल से अधिक क्षेत्र में होता है खनन

बेतहाशा धन कमाने की चाह में खनन मानकों को दरकिनार कर अवैध खनन तो हो ही रहा है। लीज क्षेत्रफल से अधिक क्षेत्रफल में भी खनन किया जा रहा है। यह खनन कार्य कितने क्षेत्र में किया जा रहा है इसका पता स्थानीय लोगों को ना चले इसके लिए कुछ साइन बोर्ड ऐसे भी लगाए गए हैं जिसमें लिखा है कि हेलमेट के बिना प्रवेश वर्जित है, ताकि आम आदमी खनन क्षेत्र में प्रवेश न कर सके। जबकि ब्लास्टिंग करने वाले कई मजदूर बगैर हेलमेट के ब्लास्टिंग के लिए होल करते और उन होल में ब्लास्टिंग मटेरियल भरते दिखाई पड़ते हैं।

मानकों को दरकिनार कर खनन

हालांकि खदानों में ब्लास्टर लगे हुए हैं, किंतु होल में ब्लास्टिंग मटेरियल भरने का काम अकुशल दिहाड़ी मजदूरों से कराया जाता है। जबकि कायदे से होना यह चाहिए कि केवल कुशल ब्लास्टर की मौजूदगी में ही ब्लास्टिंग करायी जाए और ब्लास्टिंग से पहले आसपास के लोगों को आगाह किया जाए, ताकि किसी को कोई नुक़सान न होने पाए। लेकिन मनमाने ढंग से ब्लास्टिंग करायी जा रही है। तेज ब्लास्टिंग से पत्थर के टुकड़े आसपास के घरों में पहुंच जाते हैं और उसके कंपन से घरों के खिड़की दरवाजे हिलने लगते हैं। भय वश कई रहवासी यहां से पलायन करने को विवश हुए हैं।

खनन के खिलाफ आवाज उठाने से कतराते हैं ग्रामीण

सोनभद्र के विभिन्न हिस्सों में होने वाले खनन के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले लोगों को बराबर खतरा बना रहता है। इसलिए लोग कुछ बोलना नहीं चाहते। “जनचौक” संवाददाता को स्थानीय रहवासी बताते हैं कि “सोनभद्र में खनन माफियाओं का सिंडिकेट इस कदर हावी है कि कोई भी सरकार हो या अधिकारी, सुनवाई तो इन्हीं लोगों की होनी है।”

सोनभद्र में प्रदूषण का हाल

“जनचौक” टीम द्वारा कैमरा ऑन करते ही एक युवक हाथ जोड़ विनती करने की मुद्रा में खड़ा हो जाता है। वो बोल पड़ता है, “कांहे साहब हम पचे के परेशान करत हया। ईहां हमहन क नाहीं ऊं लोगन (खनन की ओर इशारा करते हुए) क सुनवाई होखेलाह।”

हालांकि स्थानीय पत्रकार अजीज कुमार सिंह बताते हैं कि लगातार खबरों के प्रकाशन व शिकायतों के आधार पर संबंधित विभागों ने मामले की गंभीरता को संज्ञान में लिया है तथा हाईटेंशन लाइन के नीचे हो रहे खनन पर रोक लगाने के लिए बिजली विभाग व खनिज विभाग के बड़े अधिकारियों द्वारा ठोस कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है।

फिलहाल संबंधित अधिकारियों का कहना है कि मानक के विपरीत खनन करने वाले खननकर्ता को बख्शा नहीं जाएगा तथा संबंधित खदान का निरीक्षण कर उचित कार्रवाई की जाएगी। अब यह कार्रवाई कब व कितने लोगों पर की जायेगी यह कोई नहीं बताना चाहता।

घरों पर जमी धूल की परत

प्राकृतिक सौन्दर्य को नष्ट कर होता है अवैध खनन

सोनभद्र जनपद प्राकृतिक संपदाओं और प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है, लेकिन अवैध खनन लगातार इसके सौन्दर्य को नष्ट कर रहा है। जानकारों का कहना है कि मानकों के अनुरूप खनन किया जाता तो यह क्षेत्र खनिज संपदाओं के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक सुंदरता भी बनाए रखता, लेकिन खनन माफियाओं की अकूत धन कमाने की चाहत सोनभद्र के प्राकृतिक सौंदर्य को लगातार नष्ट कर रही है। सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इस मामले को लेकर कई बार शासन-प्रशासन से शिकायत की जा चुकी है लेकिन कार्रवाई वही “ढ़ाक के तीन पात” वाली रही है।

खनन के प्रदूषण से जूझ रहा जीवन

सोनभद्र में खनन क्षेत्रों से निकलने वाली धूल की परतें समूचे जिले की सड़कों, घरों, यहां तक कि पेड़-पौधों और पहाड़ों को भी अपने आगोश में ले चुकी हैं। पेड़-पौधों की हरियाली के स्थान पर धूल की परतें जम चुकी हैं। सड़क किनारे जमी धूल और आसमान में बादलों की भांति खनन क्षेत्रों से निकलने वाले सफेद बालू के कण, लोगों को बीमार बना रहे हैं। लोगों को सांस लेना भी मुश्किल होता है। खदानों से उड़ने वाले धूल आसमान में बादलों का रूप धारण कर वायु प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं। जिसका समाधान फिलहाल होता दिखाई नहीं दे रहा है।

आसमान में धूल के बादल

खनन माफियाओं की हर शासन-सत्ता में पैठ

सोनभद्र में अवैध खनन का खेल कोई नया नहीं है। ना ही यह मामला पहली दफा सामने आया है। सोनभद्र में दशकों से अवैध खनन का खेल जारी है। सरकार कोई भी रही हो, सिक्का खनन माफियाओं का ही चलता है। वजह है सत्ताधारियों से मिलने वाला संरक्षण। हालांकि स्थानीय रहवासियों व प्रबुद्ध लोगों द्वारा अत्यधिक तीव्रता के साथ होने वाले ब्लास्टिंग के संबंध में उच्च अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देने की तैयारी की जा रही है, ताकि अवैध खनन कर रोक लग सके।

(उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)

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