‘अच्छे दिन की तलाश’ में बेमौत मारे गये 11 भारतीयों को याद रखने की भला किसे है फुर्सत?

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अपने वतन से दूर रूस के पड़ोसी देश जार्जिया की राजधानी तिब्लिश से 115 किमी की दूरी पर एक स्की रिसॉर्ट गुडौरी पर 11 भारतीय वर्कर्स की कुछ दिनों पहले रात में नींद में दुःखद मृत्यु की खबर है। जार्जिया पुलिस के मुताबिक, पूर्व सोवियत देश जॉर्जिया के एक स्की रिसॉर्ट में 12 लोग मृत पाए गए थे।

स्थानीय पुलिस ने शनिवार को जारी एक बयान में बताया है कि देश के सबसे बड़े स्की रिसॉर्ट गुडौरी में एक भारतीय रेस्तरां हवेली के ऊपर बने दूसरी मंजिल पर 11 भारतीय नागरिकों और एक जॉर्जियाई नागरिक के शव पाए गए। बयान में कहा गया है कि सभी 12 लोग उसी इमारत में काम करते थे, जहां उनके शव प्राप्त हुए हैं।  

इससे पहले तिब्लिश से भारतीय दूतावास ने जो सूचना जारी की थी, उसके मुताबिक सभी 12 मृतक भारतीय मूल के नागरिक थे। अब जानकारी प्राप्त हो रही है कि सभी 11 भारतीय पंजाब मूल के थे, और बेहतर जीवन की आस में देश से बाहर प्रवास कर रहे थे। इनमें से कुछ लोग तो ऐसे भी थे जिन्होंने हाल ही में जार्जिया को अपना कर्म क्षेत्र बनाया था।

लगभग सभी भारतीय समाचार पत्रों में इस दुःखद घटना की सूचना है, लेकिन ज्यादातर अखबारों में भारतीय दूतावास की संक्षिप्त जानकारी से अधिक कुछ जानने को नहीं मिलता है। हालांकि आज इंडियन एक्सप्रेस के संवावदाता ने पंजाब में मृतकों के परिजनों से मुलाक़ात कर उनके बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास किया है।

अख़बार के मुताबिक, इनमें से एक मृतका, अमरिंदर कौर अपने पिता की मदद के वास्ते 2015 में जॉर्जिया का रुख किया था, जिन्होंने उन्हें विदेश भेजने के लिए अपनी ज़मीन बेच दी थी। पंजाब के पटियाला जिले के मेहमा गांव की निवासी अमरिंदर कौर उन 12 लोगों में से एक हैं, जिनकी मौत गुडौरी के एक रेस्टोरेंट में संदिग्ध कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता के कारण हुई थी।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अमरिंदर के चचेरे भाई सुखविंदर सिंह ने कहा है कि वे जॉर्जिया में भारतीय दूतावास से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उनका शव वापस भारत लाया जा सके ताकि वे उनका अंतिम संस्कार कर सकें।

उन्होंने कहा कि 32 वर्षीय अमरिंदर कौर अविवाहित थीं और अपने पिता, जो कि एक छोटे किसान हैं, का घर चलाने में साथ देने के लिए जॉर्जिया का रुख किया था।

सुखविंदर के अनुसार, “अमरिंदर कौर ने 12वीं तक पढ़ाई की थी और बेहतर भविष्य बनाने के लिए वो 2015 में जॉर्जिया चली गई थी। उसके पिता के पास गांव में 4 एकड़ ज़मीन थी, लेकिन उन्होंने उसे जॉर्जिया भेजने के लिए अपनी जमीन बेच दी थी।

जॉर्जिया में वो पिछले कुछ वर्षों से एक होटल में काम कर रही थी। जॉर्जिया पहुंचकर उसने अपने भाई जतिंदर को भी बुला लिया था, लेकिन बाद में उसका भाई 2018 में दक्षिण कोरिया चला गया।”

परिवार के साथ अमरिंदर की बातचीत लगभग हर रोज फोन के माध्यम से हुआ करती थी और 12 दिसंबर की रात को भी उसने फोन पर सूचित किया था कि बर्फीले तूफान के कारण इलाके में ब्लैकआउट हो रखा है। इसके साथ ही अमरिंदर की भाभी मनिंदर कौर, जो कि 30 वर्ष की थीं, की भी हवेली रेस्तरां में मौत हो गई है। मनिंदर मानसा जिले की रहने वाली थीं।

सुखविंदर के मुताबिक, “मनिंदर और जतिंदर की शादी करीब दो साल पहले हुई थी। जब जतिंदर काम के सिलसिले में दक्षिण कोरिया चला गया तो मनिंदर जॉर्जिया में ही उसकी बहन के साथ होटल में रह रही थी। जतिंदर और मनिंदर अपनी शादी का जश्न मनाने के लिए अगले साल भारत आने की योजना बना रहे थे।”

पंजाब के ही सुनाम जिले के एक जोड़े, 32 वर्षीय रविंदर सिंह और 30 साल की गुरविंदर कौर की भी रेस्तरां में मौत हो गई। मृतक रविंदर के बड़े भाई प्रदीप सिंह के अनुसार, उनका भाई पिछले वर्ष ही जॉर्जिया गया था और वे 18 दिसंबर को अपनी शादी की पहली सालगिरह मनाने वाले थे।

प्रदीप सिंह ने कहा कि, “रविंदर पहले मार्च में देश की राजधानी तिब्लिश गया और फिर गुडौरी चला गया। हम तीन भाई थे और रविंदर सबसे छोटा था। उसने स्नातक की पढ़ाई पूरी की और बढ़ई का काम करना शुरू कर दिया। बाद में उसने बेहतर भविष्य के लिए जॉर्जिया जाने का फैसला किया।”

पंजाब के लुधियाना जिले के खन्ना शहर के निवासी 26 वर्षीय समीर कुमार भी गुडौरी के रेस्तरां में मृत पाए गए 12 लोगों में से एक थे। तिब्लिश में भारतीय दूतावास ने सोमवार को कहा कि गुडौरी में 11 भारतीय नागरिकों की मौत हो गई।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, “दूतावास स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि शवों को भारत जल्दी से जल्दी वापस लाया जा सके। हम शोक संतप्त परिवारों के संपर्क में हैं और हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” वहीं 14 दिसंबर को भारतीय दूतावास की सूचना में कहा गया था कि सभी 12 मृतक भारतीय थे।

कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है, “दिल दहला देने वाली खबर: जॉर्जिया के गुडौरी में स्की रिसॉर्ट में संदिग्ध कार्बन मोनोऑक्साइड की विषाक्तता की वजह से 12 पंजाबियों की दुखद मौत हो गई है। मैं मुख्यमंत्री @BhagwantMann और @KuldeepSinghAAP एनआरआई मंत्री से आग्रह करता हूं कि वे शवों को देश में वापस लाने और शोक संतप्त परिवारों की सहायता के लिए तत्काल कदम उठाएं @ANI

https://x।com/GurjeetSAujla/status/1868676970902659326

भारतीय मूल के लोग विदेशों में किन हालातों के बीच अपनी रोजी-रोटी की जद्दोजहद में लगे हैं, के बारे में जब जानने का प्रयास किया तो पता चला कि आजकल जॉर्जिया के स्की रिसॉर्ट गुडौरी का तापमान माइनस 6 डिग्री सेल्सियस या उससे भी कम पर पिछले कई दिनों से कायम है।

बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि गुडौरी काकेशस पर्वतों में मत्सखेता-म्तियानेती क्षेत्र में समुद्र तल से लगभग 2,200 मीटर (7,200 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और जॉर्जिया की राजधानी तिब्लिश से लगभग 120 किमी (75 मील) उत्तर में स्थित है। 

जॉर्जियाई मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि शुरुआती जांच में शवों पर हिंसा या चोट के कोई निशान नहीं मिले हैं। ऐसा मानकर चला जा रहा है कि यह घटना तब हुई जब इमारत की बिजली गुल होने के बाद बेडरूम के पास रखा एक जेनरेटर चालू किया गया।

जांच अधिकारी यह धारणा की पुष्टि को लेकर काम कर रहे हैं कि क्या इन मौतों के कारणों को “लापरवाही से हत्या” का आरोप लगाया जा सकता है। बता दें कि कार्बन मोनोऑक्साइड एक गंधहीन गैस है, और इसे “साइलेंट किलर” के रूप में जाना जाता है।

यह जीवाश्म ईंधन के अधूरे जलने के बाद उत्पन्न होती है। अगर यह गैस सांस के ज़रिए शरीर में चली जाए, तो यह रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन के प्रवेश को बाधित कर देती है। इससे विषाक्तता हो सकती है और यह जानलेवा हो सकता है।

जाहिर सी बात है कि रात के वक्त बिजली गुल हो जाने पर कड़ाके की ठंड और बर्फबारी से बचने के लिए जो भी उपाय उपलब्ध होंगे, उसका सहारा लिया गया। ये उपाय कितने सुरक्षित हैं, के बारे में वैधानिक चेतावनी और भारतीय रेस्तरां मालिक की इसमें कितनी भूमिका है के बारे में भारतीय विदेश विभाग कितनी मुस्तैदी से काम ले रहा है, पर निर्भर करता है। 

आम भारतीय भले ही जार्जिया के बारे में परिचित न हों, लेकिन मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों और इस देश में जमीन खरीदकर खेती करने वाले पंजाबी मूल के लोगों के लिए पिछले दो दशकों से जार्जिया एक पसंदीदा देश रहा है।

करीब 11 वर्ष पहले ही अल-ज़जीरा की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि जार्जिया में सिखों के द्वारा तेजी से कृषि योग्य भूमि खरीदने और बड़े पैमाने खेती करने से वहां के रहवासियों के बीच चिंता और असंतोष पनपना शुरू हो गया था।

इसी प्रकार, मेडिकल की पढ़ाई के मामले में यूक्रेन और जार्जिया जैसे देश भारतीय छात्र-छात्राओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। जार्जिया में मात्र 3-5 लाख रूपये सालाना ट्यूशन फीस और यूरोप-अमेरिका की तुलना में सस्ता जीवन-यापन हर वर्ष हजारों विद्यार्थियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जबकि भारत में मेडिकल की पढ़ाई अब आम मध्यवर्गीय परिवार के बच्चों के लिए दुहस्वप्न सरीखा हो चुका है। 

भारत में कृषि हो या आधुनिक शिक्षा, लगभग हर क्षेत्र में टैलेंट की बहुतायत है। सिर्फ एक चीज जो नहीं है, वह है देश को न टैलेंट चाहिए और न ही करोड़ों करोड़ श्रम-शक्ति। यही वजह है कि भारत का आज युवा पृथ्वी के किसी भी भूभाग पर  बहुतायत में नजर आ सकता है।

अमेरिका जैसे पश्चिमी देश में प्रवेश के लिए तो वह लाखों की संख्या में हर साल अपनी जान को पूरी तरह से जोखिम में डालकर जाने से नहीं हिचकिचाता। ऐसे में, 11 भारतीय मूल के लोगों की मौत भी सिर्फ एक संख्या और तारीख से ज्यादा भला क्या मायने रखने जा रही है, लेकिन तारीख़ में इन्हें याद रखने के लिए आम भारतीय को संजो कर रखना ही होगा। 

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं)

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