क्या मोदी को जनाक्रोश से बचाने के लिये हर्षवर्धन की बलि ली जायेगी

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कार्पोरेट मीडिया को मैनेज करके कोरोना की दूसरी लहर में सरकार की नाकामी का सारा दोष ‘सिस्टम’ पर मढ़ने और नरेंद्र मोदी व अमित शाह का चेहरा न इस्तेमाल करने के कथित गुप्त निर्देश के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया पर सीधे जनता के निशाने पर आ गये। अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर में मौत का मंजर देखने और सांसो को बचाने के लिए ऑक्सीजन की कमी झेलने के बीच आरएसएस के पोस्टर ब्वॉय और सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी जनता के निशाने पर आ गये हैं। लोग-बाग सोशल मीडिया के जरिये देखते आ रहे हैं खुद प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल की चुनावी रैलियों में कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुये रैलियां कर रहे थे। कोरोना की जद मे आये और ऑक्सीजन, रेमडिसविर, बेड के लिये मारे मारे फिर रहे लोग बाग जान रहे हैं कि उनकी इस दशा दिशा के लिए केंद्र सरकार और उसके मुखिया ही जिम्मेदार व जवाबदेह हैं। इसीलिये लोग बाग सोशल मीडिया पर लगातार #ModiMustResign और #मोदी_इस्तीफा_दो  हैशटैग के साथ लगातार कई दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस्तीफा मांगते रहे। नतीजा ये हुआ कि दक्षिणपंथी विचारधारा की हिमायती फेसबुक ने उपरोक्त दोनो हैशटैग वाले पोस्टों को ब्लॉक कर दिया। जब लोगों ने इस पर शोर मचाना शुरु किया तो फेसबुक ने कहा कि गलती से हो गया।

वहीं सरकार के सूचना प्रसारण व इलेक्ट्रानिक मंत्रालय ने कहा कि उसने फेसबुक हैशटैग वाले पोस्ट हटाने के लिये कोई आदेश नहीं दिया था। वहीं मंत्रालय ने ट्वीट में ये भी कहा कि इस असाधारण संकट के समय में महामारी का मिलकर मुकाबला करें। लेकिन इससे भी बात नहीं बनी और लोग लगातार नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया पर इस महामारी के लिये जिम्मेदार बताते हुये उनका इस्तीफा मांगते रहे हैं।

ऐसे में जनता का ध्यान डायवर्ट करने के लिये एक नये पैंतरेबाजी की ज़रूरत थी। तो जनता पार्टी का नाश करके भाजपा में आये स्वामी सुब्रमण्यम स्वामी ने महज एक ट्वीट से ये काम कर डाला। जब सोशल मीडिया पर #ModiMustResign और #मोदी_इस्तीफा_दो की जगह #ResignHarshvardhan ट्रेंड करने लगा।

कोरोना की पहली लहर में फ्रंट पर रहकर गच्चा खा चुके नरेंद्र मोदी की सरकार ने अबकि बार केंद्र की ओर से स्वास्थ्यमंत्री डॉ. हर्षवर्धन को आगे करके रखा। बिल्कुल वैसे ही जैसे तीन केंद्रीय कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन के मुद्दे को हैंडल करने के लिये कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को आगे करके रखा गया। दो लोगों की सरकार में पहली बार हुआ है कि मीडिया में कृषि मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री लगातार लंबे समय मीडिया राजनीतिक विमर्श में बने हुये हैं। खैर बात वापिस स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्धन की। तो भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के उस ट्वीट ने जिसमें वो नितिन गडकरी को स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा देने की बात कहते हैं उससे न सिर्फ़ जनता का मूड़ शिफ्ट हुआ बल्कि लोग चाहते हैं कि बलि हो।

नरेंद्र मोदी की यही कार्य कुशलता ही यही है कि वो ज़्यादा देर अपने खिलाफ़ नकरात्मक बातें जनता पर हावी नहीं होने देते। इससे पहले ही वो जनता को एक नया टारगेट, एक नया शत्रु या एक नया उत्सवधर्मी टास्क पकड़ा देते हैं। जैसे श्मसानों में लगी लाइनों के बीच उन्होंने 11-14 अप्रैल के दर्म्यान टीका उत्सव मनाने का टास्क दिया था। या इससे पहले उड़ी में हवाई हमले के बाद कथित सर्जिकल स्ट्राइक का जश्न मनाने का अवसर, या पुलवामा हमले में 40 जवानों की मौत के बाद कथित बालाकोट स्ट्राइक करके मातम को जश्न में बदल दिया।

तो कोरोना के इस भयावह माहौल में जब पूरा देश ऑक्सीजन, बेड और रेमडेसविर की मांग लिये खड़ा है। जहां लाखों लोगों ने ऑक्सिजन, जीवनरक्षक दवाइयों और इलाज के अभाव में अपने परिजनों को खोकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ़ आक्रोश से भरा हुआ है, सुब्रमण्यम स्वामी ने उसके आक्रोश को मोदी से हर्षवर्धन पर डायवर्ट कर दिया। जिसकी परिणति सोशल मीडिया पर #ModiMustResign की जगह #Resignharshvardhan के तौर पर देखने को मिल रहा है।  

ऐसे में यदि नरेंद्र मोदी सरकार डॉ. हर्षवर्धन को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटाती है तो जनता को मोदी सरकार द्वारा एक्शन लेते हुये दिखेगा। इसके साथ ही जनता में ये मैसेज भी जायेगा कि कोरोना से होने वाली मौतों और बदइंतजामी के लिये कसूरवार नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि डॉ. हर्षवर्धन हैं और सरकार ने उन्हें हटाकर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की है।

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