साढ़े चार साल उत्तर प्रदेश पुलिस को ‘ठोक दो’ नीति पर चलाकर निर्दोषों की हत्या कराने वाली योगी सरकार अब चुनावी साल में अपराधी पुलिस कर्मियों के चरित्र का रिव्यू करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और डीजी इंटेलिजेंस दो कमेटी बनाकर पूरे प्रदेश में पुलिस वालों के चरित्र का रिव्यू करें। साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर किया जाए और उन्हें नौकरी से भी बर्खास्त किया जाये।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि, “हाल के दिनों में कतिपय पुलिस अधिकारियों/कार्मिकों के अवैध गतिविधियों में संलिप्त होने की शिकायतें मिली हैं। यह कतई स्वीकार्य नहीं है। पुलिस विभाग में ऐसे लोगों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। प्रमाण के साथ ऐसे लोगों को चिन्हित कर सूची उपलब्ध करायें। सभी के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही होगी। अति गंभीर अपराधों में लिप्त पुलिस अधिकारियों/कार्मिकों की बर्खास्तगी की जाये। “
बता दें कि योगीराज में उत्तर प्रदेश पुलिस ने ताबड़तोड़ एनकाउंटर किये हैं। एक समय में योगी राज को एनकाउंटर राज कहा जाता रहा है। गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ के सत्ता पर आसीन होने के साल भर के अंदर उत्तर प्रदेश पुलिस ने डेढ़ हजार से ज़्यादा एनकाउंटर किये थे।
योगी सरकार के कार्यकाल में मार्च 2017 से 15 फरवरी, 2021 के बीच प्रदेश भर में पुलिस वालों और अपराधियों के बीच 7500 से ज्यादा मुठभेड़ हो चुकी हैं। जिसमें 132 अपराधी मारे जा चुके हैं। 2900 से ज्यादा अपराधी गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। हालांकि मुठाभेड़ के दौरान सीओ समेत 14 पुलिसवाले शहीद भी हुए और 1100 पुलिसकर्मी जख्मी भी हुए।
निर्दोष हत्याकांड
लखनऊ में विवेक तिवारी एपल के एरिया मैनेजर थे। 28 सितंबर 2018 की रात विवेक तिवारी अपनी सहकर्मी सना को छोड़ने अपनी एक्सयूवी से जा रहे थे। तभी रात के क़रीब डेढ़ बजे बाइक सवार दो पुलिसकर्मियों प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार ने उन्हें रुकने का इशारा किया था। जब वे नहीं रुके तो सिपाही प्रशांत चौधरी ने विवेक को निशाना बनाकर गोली चला दी थी। जिसमें विवेक की मौत हो गई थी। जबकि सना इस हमले में बाल-बाल बच गई थीं। इसके बाद आरोपी दोनों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। उनके ख़िलाफ़ विवेक की सहकर्मी सना और उनकी पत्नी कल्पना ने FIR दर्ज़ कराई थी।
इससे पहले नोएडा सेक्टर 122 के चौकी इंचार्ज विजय दर्शन शर्मा ने 3 फरवरी की रात जितेंद्र यादव नाम के एक लड़के की गर्दन में गोली मार दी थी। उस वक़्त जितेंद्र यादव स्कॉर्पियो से अपने दोस्तों के साथ ग़ाज़ियाबाद से बहन की सगाई से लौट रहा था, जबकि विजय दर्शन के साथ तीन पुलिसकर्मी और थे। गर्दन में गोली लग जाने के कारण जितेंद्र के कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया।
जितेंद्र के दोस्तों के मुताबिक विजय दर्शन ने उन्हें धमकी दी कि ‘प्रमोशन का सीज़न चल रहा है और आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के लिए उन्हें एक-दो को टपकाना है।’इन दिनों बदमाशों का धड़ल्ले से एनकाउंटर कर रही थी यूपी की पुलिस।
3 फरवरी की रात जितेंद्र की स्कॉर्पियो में उसके साथ रहे दो दोस्तों सोनू और लखन यादव ने बताया था कि पहले विजय दर्शन ने उनका एनकाउंटर करने की बात कही। जब जितेंद्र ने इसका विरोध किया, तो उन्होंने उसे गोली मार दी। जब उन्होंने कॉल करने के लिए फोन उठाया, तो वो गाड़ी में गिर गया, जिसे पुलिस ने दोबारा उठाने नहीं दिया। फिर विजय ने किसी अधिकारी को फोन करके बताया कि ‘एक का एनकाउंटर हो चुका है और दो बंदे बचे हैं। इनका क्या करना है।’फोन कटने के बाद पुलिस इन दोनों को जंगल की तरफ ले जाने लगी और विजय ने फिर किसी को फोन करके तमंचा लेकर आने को कहा।
सुनकर ये दोनों शोर मचाने लगे और पुलिस वालों के पैर पकड़ गुहार लगाने लगे कि वो पहले जितेंद्र को हॉस्पिटल ले चलें। इसके बाद विजय की फिर किसी पुलिस वाले से बात हुई और फिर वो जितेंद्र को हॉस्पिटल ले गए।
पीटकर हत्या करने के कई मामले दर्ज़ हैं आरोपी इंस्पेक्टर पर
28 सितंबर मंगलवार की रात कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता अपने दो दोस्तों के साथ गोरखपुर के एक होटल में ठहरे हुए थे। रात में रामगढ़ताल थाने की पुलिस चेकिंग के लिए वहां पहुंची और आईडी कार्ड मांगा। मनीष के दोस्तों ने आईडी दिखा दी, लेकिन उस वक्त मनीष सो रहे था। मनीष ने बस इतना कहा कि ये कौन सा समय है चेकिंग करने का। बस इसी बात पर पुलिस वाले भड़क गए और मनीष की बेरहमी पूर्वक पिटाई की। ख़ून से लथपथ मनीष को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मनीष गुप्ता के शरीर पर गंभीर चोटों के 4 निशान हैं। सिर पर भी गहरी चोट लगी है। सिर के बीच में 5 सेमी बाईं 4 सेमी गहरी चोट है। यही चोट मनीष के लिए जानलेवा साबित हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि उनके दाहिने हाथ की कलाई पर डंडा मारने का भी निशान है। इसके अलावा बांई आंख की ऊपरी परत पर चोट के निशान मिले हैं।
कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड के मुख्य आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह पर पहले भी पिटाई से मौत और दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं। रामगढ़ताल थाने में रहते हुए जेएन सिंह पर एक परिवार ने पुलिस पिटाई से बेटे की मौत का आरोप लगाया था। घटना बीते 13 अगस्त की है। रामगढ़ताल पुलिस की कस्टडी में 20 वर्षीय गौतम सिंह की संदिग्ध हालात में मौत हुई थी। पुलिस पर पिटाई का आरोप था इससे पहले 7 नवंबर 2020 को भी जेएन सिंह पर गंभीर आरोप लगे थे। बांसगांव थाने में विशुनपुर निवासी मुन्ना प्रसाद के बेटे शुभम उर्फ सोनू कुमार के ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास का केस दर्ज़ था। पुलिस ने उसे बीते 11 अक्तूबर 2020 को डिघवा तिराहे से गिरफ्तार कर लिया और जेल भिजवा दिया। 7 नवंबर को उसकी जेल में मौत हो गई। इस मामले में पुलिस की पिटाई से शुभम की मौत का आरोप लगा था। तत्कालीन चौकी इंचार्ज को सस्पेंड किया गया था। जिसके बाद विभिन्न संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया। बाद में परिवारीजनों की सुनवाई नहीं हुई तो उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)