फैक्ट चेक : फ़ेक वीडियोज और फोटो वेरिफिकेशन के लिए जरूरी टिप्स

हमें आपात स्थिति में सूचनाओं को साझा करने में खासतौर पर अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। भारत-पाक युद्ध स्थिति को लेकर इस समय सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों, फोटो और वीडियो की बाढ़ आई है। ये अलग-अलग शक्ल में यकीनन आप तक भी पहुंच रहे होंगे।

इस समय हर नागरिक जानना चाहता है कि स्थिति क्या है? भारत-पाकिस्तन में वास्तव में हो क्या रहा है? कहां अटैक हुआ और कहां नहीं? कहां कितना नुकसान हुआ है? क्या युद्ध होगा या स्थिति सुधर जाएगी? ऐसे हज़ारों सवाल आपके दिमाग में भी आ रहे होंगे और आप भारत-पाक युद्ध संबंधी कंटेट खुद भी ढूंढ रहे होंगे। तो ऐसे में आप कैसे सुनिश्चित करेंगे कि जो सूचनाएं आप तक पहुंच रही हैं वो सच्ची हैं या झूठी, फोटो/वीडियो सच्चे हैं या फ़ेक? यहां आपको कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं, जो कंटेंट की वेरिफिकेशन में आपकी मदद करेंगे। इन टिप्स के लिए आपको किसी भारी-भरकम सॉफ्टवेयर या रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है। आप कुछ बातों पर गौर करके झूठी ख़बरों को पहचान सकते हैं और फैलने से रोक सकते हैं।

फ़र्ज़ी कंटेट की चेन को तोड़िए

सबसे पहली बात, एक पॉलिसी डिसिजन लीजिये कि आपके पास जो भी मैटिरियल आ रहा है, आप खुद उसे वेरिफाई करेंगे, वेरिफेशन को अपनी आदत बनाएंगे। अगर किसी सूचना/फोटो/वीडियो आदि को आप खुद स्वतंत्र तौर पर वेरिफाई नहीं कर सकते, तो उस पर यकीन करने की और उसे आगे फारवर्ड करने की आपकी कोई बाध्यता नहीं होनी चाहिए, उसे फारवर्ड ना करें। ऐसा करके आप फ़ेक कंटेंट की चेन को तोड़ेंगे। यकीन मानिए अगर हर नागरिक इसे अपनी आदत बना लेगा तो फ़ेक कंटेंट का फैलाव काफी कम हो जाएगा। 

भावनाओं में उबाल लाने वाले कंटेंट से सावधान!

जो मैसेज, फोटो, वीडियो आपकी भावनाओं को उकसाए, आपको उद्वेलित करे और भावनाओं में उबाल ला दे, उस कंटेंट से खासतौर पर सावधान रहें। एक फैक्ट-चेकर के नाते मैं अपने अनुभव के आधार पर कहता हूं कि ऐसा 99% कंटेट फ़ेक और भ्रामक होता है। उदाहरण के तौर पर हिंसा, उत्पीड़न, मार-काट, ख़ून-खराबे, विस्फोट, अटैक आदि के फोटो/वीडियो। 

इसे अपनी आदत का हिस्सा बना लीजिये कि जो संदेश आपकी भावनाओं को उकसाए उसे आप आगे फारवर्ड नहीं करेंगे।  

क्या मैसेज में इमोजी इस्तेमाल की गई हैं?

आपके पास जो मैसेज आए उसे ध्यान से देखिये। क्या उसमें इमोजी इस्तेमाल की गई हैं। अगर इमोजी का इस्तेमाल किया गया है तो समझ लीजिये कि ये मैसेज/फोटो/वीडियो भरोसेमंद स्रोत से नहीं आया है, क्योंकि किसी भी अधिकारिक, सरकारी या मीडिया हाउस की रिपोर्ट आदि में इमोजी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। अगर कंटेंट में झंडे, दिल, सैनिक, हथियार, आग आदि किसी भी प्रकार की इमोजी है, तो समझ लीजिये की स्रोत भरोसेमंद नहीं है।

भाषा पर गौर करें

अगर आपके पास लिखित मैसेज आया है तो उसकी भाषा पर गौर करें। क्या भाषा में अशुद्धियां हैं, वर्तनी सही है, वाक्य विन्यास कैसे हैं आदि देखें। अगर भाषा में अशुद्धियां हैं, तो समझ लीजिये कि मैसेज किसी अधिकारिक या भरोसेमंद स्रोत से नहीं आया है। अगर फोटो आपके पास आया है, तो कैप्शन को ध्यान से देखें। अगर वीडियो आपके पास आया है तो सब-टाइटल वगैरह को ध्यान से देखें।

स्रोत को वेरिफाई करें

पता लगाने की कोशिश करें कि जो फोटो/वीडियो आपके पास आया है उसका वास्तविक स्रोत क्या है। देखें कि क्या उस पर कोई लोगो आदि बना हुआ है, या कोई अन्य चिन्ह जो स्रोत की जानकारी देता हो। ध्यान रखें कि सिर्फ लोगो आदि देखकर ही उसे सच मानने की भूल ना करें, क्योंकि आजकल किसी भी कंटेंट पर बड़ी आसानी से किसी का भी लोगो लगाया जा सकता है, इसलिए वेरिफाई जरूर करें। मान लो आपके पास जो मैसेज आया है, उस पर बीबीसी का लोगो है, तो तुरंत बीबीसी की वेबसाइट खोलें और देखें कि क्या ये ख़बर/फोटो/वीडियो बीबीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध है? अगर वहां उपलब्ध नहीं है तो समझ लीजिये कि ये फ़ेक है।

URL चेक करें

अगर आपके पास कोई लिंक आता है, तो उसके यूआरएल को जरूर चेक करें। मान लो आपके पास किसी खबर का लिंक आता है और उस पर एनडीटीवी लिखा हुआ है। आप उस पर लिंक पर क्लिक करते हैं, तो जो पेज खुलता है, वो भी देखने में आपको एनडीटीवी का ही लगता है। उस पर एनडीटीवी का लोगो वगैरह भी लगा हुआ है। ऐसे में URL जरूर चेक करें। आप जब भी इंटरनेट पर कोई पेज खोलते हैं तो सबसे ऊपर बार में जो https://www से शुरु होता है, उसे यूआरएल कहते हैं। देखें कि क्या यूआरएल में भी एनडीटीवी लिखा हुआ है, अगर नहीं है तो समझ लीजिये की ये वेबसाइट फ़ेक है। इसे वेरिफाई करने के लिए आप एक और तरीका अपना सकते हैं। आप दूसरी टैब में एनडीटीवी की वेबसाइट खोलें और दोनों के होम पेज की बारीकी से तुलना करें। आप समझ जाएंगे कि वेबसाइट सही या फ़र्ज़ी।

फ़ैक्ट-चेक वेबसाइट को अपनी आदत का हिस्सा बनाएं

जिस तरह आप हर रोज अखबार पढ़ते हैं, उसी तरह फ़ैक्ट-चेक वेबसाइट पर फ़ैक्ट-चेक पढ़ना भी अपनी आदत का हिस्सा बनाइये। इन वेबसाइट पर आपको वायरल फ़ेक न्यूज़/फोटो/वीडियो के फ़ैक्ट-चेक मिल जाएंगे और आपकी आधी से ज्यादा समस्या का समाधान यहां हो जाएगा। आल्ट न्यूज़, बूम लाइव, विश्वास न्यूज़, न्यूज़ चेकर, वेबकूफ द क्विंट आदि फैक्ट-चेक वेबसाइट पर नियमित तौर पर जाएं और झूठी खंबरों के बारे में अपडेट रहें। मान लो अगर आपको इन वेबसाइट पर भी किसी मैसेज का फैक्ट चेक नहीं मिलता है तो आप इन्हें वो मैसेज/फोटो/वीडियो आदि भेज सकते हैं। कुछ फैक्ट-चेक वेबसाइट के नंबर इस प्रकार हैं- आल्ट न्यूज़- 7600011160, बूम लाइव- 7700906111, 7700906588.

गूगल फ़ैक्ट-चेक एक्सपलोरर

गूगल ने सिर्फ फ़ैक्ट चेक के लिए ही अलग से एक google fact-check explorer सर्च इंजन बनाया है, जहां पर आप किसी वायरल कंटेट का फ़ैक्ट-चेक ढूंढ सकते हैं। आप जिस तरह से गूगल पर किसी चीज के बारे में सर्च करते हैं, उसी तरह से आपको उस फोटो/वीडियो के बारे में सर्च बार में टाइप करना है और उससे संबंधित फ़ैक्ट-चेक आपके सामने आ जाएंगे। इसका आसान तरीका ये है कि आपके पास जो कंटेट आया है उस कॉपी करके सीधा google fact-check explorer के सर्च बार में पेस्ट कर दें। 

झूठी ख़बरें और फोटो/वीडियो आदि बहुत ज्यादा नुकसानदायक हो सकते हैं, इसलिए इसे नजरअंदाज ना करें। वेरिफिकेशन को आदत बनाएं और निर्णय लें कि बिना वेरिफिकेशन किसी भी संदेश को आगे फारवर्ड नहीं करेंगे। ऊपर जो टिप्स आपको बताई गई हैं उनका इस्तेमाल करें, इंफोर्मेशन हाइजन का ध्यान रखें।

(राज कुमार पत्रकार एवं फ़ैक्ट-चेकर हैं।)

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