आप का गुजरात में चुनाव लड़ने का ऐलान

अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 आम आदमी पार्टी द्वारा लड़ने और न लड़ने के असमंजस के बीच गुजरात दौरे पर…

डूटा पर संघ के कब्ज़े की हर कोशिश नाकाम, वामपंथ ने फिर लहराया परचम

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) के चुनाव में लगातार चौथी बार वामपंथी संगठन डीटीएफ (DTF) ने बाज़ी मारी। यह जीत सरकार की शिक्षा…

गृहनगर बेगुसराय पहुंचा कन्हैया का लांग मार्च

बेगुसराय। देश की आज़ादी और संविधान पर हमला कर रही है भाजपा सरकार, देश की आज़ादी व संविधान की स्वतंत्रता…

कांग्रेस को समर्थन के ऐलान के तीन दिन बाद हार्दिक गिरफ्तार

अहमदाबाद। गुजरात पुलिस ने आज पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और दिनेश मंभानिया को गिरफ्तार कर लिया। इन पर उत्तरी गुजरात…

लिंगायत और अंबेडकर सेमिनार की मांगें अगले चुनाव का घोषणापत्र

(कल, 28 अगस्त को आपने “भाजपा के लिए कर्नाटक जीतना टेढ़ी खीर” शीर्षक के तहत पढ़ा कि अप्रैल 2018 में…

भाजपा के लिए कर्नाटक जीतना टेढ़ी खीर!

अप्रैल 2018 में कर्नाटक विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए कर्नाटक राजनीतिक रूप से उथल-पुथल के दौर से गुज़र रहा है। आइये हम इस राज्य में चल रहे घटनाक्रम पर एक नज़र डालें- लिंगायतों पर दांव  कर्नाटक में लिंगायत, जो कि राज्य की जनसंख्या का करीब 17 प्रतिशत हिस्सा हैं, जुलाई व अगस्त 2017 में लगातार रैलियां करते नज़र आ रहे हैं; उनका कहना है कि वे हिन्दू नहीं हैं, अतः उन्हें एक पृथकधार्मिक समुदाय की मान्यता दी जाए। सिद्धारमैया का इस मांग को तवज्जो देते हुए इसके अध्ययन के लिए एक विशेष समिति का गठन करना मामले को बढ़ावा दे रहा है। यह भाजपा और संघ परिवार केलिए एक जबर्दस्त धक्का है, क्योंकि लिंगायत हाल-फिलहाल के चुनावों में भाजपा के वोट बैंक थे। सी-फोर का सर्वे दूसरी ओर सी-फोर एजेन्सी द्वारा 19 जुलाई से 10 अगस्त के बीच किये गए एक प्री-पोल सर्वे के परिणाम को इंडिया टुडे ने 20 अगस्त को प्रसारित किया। सर्वे के परिणाम ने खासी हलचल मचा दी है, क्योंकि वह कहता है कि यदि आज कर्नाटक में चुनाव करा दिये जाएं तो कांग्रेस की विजय निश्चित है। रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस को 120-132 सीटें और भाजपा को 60-72 सीटें मिलेंगी, जबकि देवेगौड़ा केजद (सेक्युलर) को 24-30 सीटें मिल सकती हैं। येदियुरप्पा पर शिकंजा तीसरी बात यह है कि जब कर्नाटक ने गुजरात के कांग्रेस विधायकों को ‘अमित शाह के हॉर्स ट्रेडिंग’ से बचने के लिए कांग्रेस मंत्री डी के शिवकुमार के संरक्षण में शरणगाह मुहय्या कराया, तब केंद्र कीमोदी सरकार ने बदले की कार्रवाई-स्वरूप शिवकुमार के घर पर आयकर विभाग के छापे पड़वाए। पर न ही शिवकुमार, न कर्नाटक कांग्रेस पर कोई फर्क पड़ा। बल्कि सिद्धारमय्या ने येदियुरप्पा के विरुद्धउनके मुख्यमंत्रित्व काल में बदनियती से कुछ भूमि की अधिसूचना रद्द करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करवा दी। येदियुरप्पा को लिंगायतों का मजबूत नेता माना जाता था; यही नहीं वह भाजपा के लिएमुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी भी थे। पर इस कार्रवाई के बावजूद लिंगायत समुदाय की उनके पीछे किसी प्रकार की गोलबन्दी नहीं देखी गई। इसके मायने हैं कि येदियुरप्पा सहित भाजपा लिंगायतों के बीचअपना प्रभाव खो रही है, और लिंगायतों का यह विभाजन उनके लिए चिंता का विषय बना हुआ है। भाजपा-आरएसएस परेशान…

अल्पसंख्यकों को रिझाने में जुटी गुजरात की बीजेपी सरकार

अहमदाबाद। गुजरात में बीजेपी ने अपनी डूबती नैया को बचाने के लिए अब अल्पसंख्यकों के पतवार का सहारा लेने का…

भगवान के मुख पर लहू का धब्बा—!

(डेरा मुखिया राम रहीम को सलाखों के पीछे भेजने में पीड़ित साध्वियों, सीबीआई और कोर्ट के अलावा जिस चौथे शख्स…

डेरा सच्चा सौदा का यह कैसा सफ़र

1948 में डेरा सच्चा सौदा की स्थापना शाह मस्ताना ने की। 1990 में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह ने गद्दी संभाली।…

बलात्कार के आरोपी बाबा के आगे निर्वाचित सरकार नतमस्तक!

कैसा भयानक दृश्य है कि लोकतंत्र में एक निर्वाचित सरकार ने संविधान को दुष्कर्म के आरोपी विवादास्पद-शक्तिशाली `बाबा` के पैरों में पटक…