गढ़वा, झारखंड। उल्लेखनीय है कि पिछले 27 दिसंबर 2024 को जनचौक में झारखंड की एक रिपोर्ट आई “गढ़वा के 45 परिवारों को नहीं मिला एक साल से राशन, 248 लोग भुखमरी के शिकार” इस रिपोर्ट में बताया गया था कि गढ़वा जिला अंतर्गत भंडरिया प्रखंड के बिजका पंचायत के बिजका गांव निवासी दलित-आदिवासी समुदाय, जो गुलाबी कार्डधारी (PH कार्ड) हैं, को पिछले एक साल से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत मिलने वाला राशन, नहीं मिलने के कारण 45 परिवार के 248 लोग भुखमरी से बेहाल हैं।
वहीं 11 वर्षीय एक ऐसी अनाथ बच्ची जमदीरिया कुमारी का जिक्र था जिसकी राशन के अभाव में सबसे खराब हालत थी। जमदीरिया कुमारी के माता-पिता की मृत्यु के बाद वह अकेली रह गई है। क्योंकि उसकी बड़ी बहन, सीमा कुमारी (उम्र 16 वर्ष), भुखमरी और घर के बोझ से टूटकर घर छोड़कर कहीं चली गई है।

अबतक उसकी कोई खबर नहीं है। उसका राशन कार्ड नंबर 202000202973 है पर पिछले 12 महीनों से उसे भी राशन नहीं मिला है, जिसके कारण वह भुखमरी की शिकार है। वह दूसरों के घरों से भोजन मांगकर किसी तरह जीवित है। क्योंकि रोज व रोज लोग उसे खाना नहीं दे पाते हैं।
इस खबर पर 1 जनवरी को बाल कल्याण समिति व बाल संरक्षण समिति के पदाधिकारियों ने आकर अनाथ बच्ची को सहयोग किया और आगे की योजना का लाभ सुनिश्चित कराने को लेकर संवेदनशील हुए।
वहीं 3 जनवरी को प्रखंड के बिचका पंचायत के बिचका गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय के परिसर में क्षेत्र के अधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई।
बैठक में प्रखंड भण्डरिया के गोदाम प्रभारी मोजेस किस्पोट्टा, डीलर ईश्वर दयाल यादव, डीलर जंगी सिंह, ग्राम प्रधान, वार्ड सदस्य और राशन से वंचित 45 लाभुक शामिल थे।
बैठक में प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार ने उपस्थित लाभुकों पर दबाव डाला कि वे सभी दो-दो महीने का राशन ले लें। लाभुकों ने दो-दो महीने का राशन लेने से इनकार कर दिया था। लाभुक पूरे महीने का राशन लेने पर अड़े रहे। अंततः प्रशासनिक अमला लाभुकों को बिना राशन दिए ही लौट गया।
इसके बाद राशन वितरण में हो रही इस गड़बड़ी और अधिकारियों की लापरवाही के खिलाफ प्रभावित परिवारों के लाभुकों ने इस समस्या को लेकर झारखंड राज्य खाद्य आयोग, रांची में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
लगातार हो रही शिकायतों के बाद, 7 जनवरी 2025 को झारखंड राज्य खाद्य आयोग की प्रभारी शबनम परवीन बिजका पंचायत भवन पहुंचीं। उनके साथ भंडरिया प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO), प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी (MO), जिला आपूर्ति पदाधिकारी (DSO), पंचायत प्रमुख, मुखिया, वार्ड सदस्य, ग्राम प्रधान और संबंधित राशन डीलर भी उपस्थित रहे।

इस मौके पर सभी 45 राशन कार्डधारियों ने एक स्वर में अपनी व्यथा सुनाई और बताया कि उन्हें पिछले 13 महीने से राशन नहीं मिल रहा है। जब राज्य खाद्य आयोग की प्रभारी ने मौके पर जांच की, तो पाया कि लाभुकों की शिकायत सही है और उन्हें उनका अधिकार मिलने से वंचित रखा गया है। उन्होंने जिला खाद्य आपूर्ति पदाधिकारी को सख्त निर्देश दिया कि सभी इन सभी लाभुकों को उनके हक का राशन तत्काल प्रभाव से सवा गुणा के दर से उपलब्ध करायी जाए।
राज्य खाद्य आयोग के निर्देश के बाद 8 जनवरी 2025 को गढ़वा उपायुक्त कार्यालय से सभी 45 राशन कार्डधारी परिवारों को लिखित रूप से नोटिस देकर 9 जनवरी 2025 को समाहरणालय में सुनवाई के लिए बुलाया गया। प्रभावती देवी, सरोज देवी, फुलमनिया कुंवर सहित अन्य लाभुक बड़ी उम्मीदों के साथ टेंपो (ऑटो रिक्शा) रिजर्व कर उपायुक्त कार्यालय पहुंचे, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उन्हें निराशा ही हाथ लगी।

सुनवाई के दौरान उपायुक्त, जिला आपूर्ति पदाधिकारी (DSO) और प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी (MO) ने लाभुकों से कहा कि वे दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 का राशन ले लें, बाकी राशन धीरे-धीरे देकर मामला निपटा दिया जाएगा। लेकिन लाभुकों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और साफ शब्दों में कहा कि वे तभी राशन लेंगे जब उन्हें पूरे 13 महीनों का राशन मिलेगा।
प्रशासन द्वारा लगातार दबाव बनाया गया कि लाभुक केवल दो माह का राशन स्वीकार कर लें, लेकिन लाभुक अपनी मांग पर अडिग रहते हुए बैठक से बाहर निकलकर घर लौटने का फैसला किया।
प्रशासन की मनमानी, अनदेखी व लापरवाही से लगातार परेशान हो रहे लाभुकों द्वारा भोजन का अधिकार अभियान और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) के सहयोग से 20 जनवरी 2025 को झारखंड हाईकोर्ट, रांची में एक याचिका संख्या 695/2025, CNR No. JHHC010021252025 दायर की गई। यह मामला अब हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
याचिकाकर्ताओं में प्रभावित देवी, सरोज देवी, फुलमनिया कुंवर सहित अन्य 42 लोग शामिल हैं।
मामले की पैरवी वकील शैलेश पोद्दार, शशांक शेखर और ट्विंकल रानी कर रही हैं।
लाभुकों ने वकीलों से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि हमें न्याय कब मिलेगा सर?
भुखमरी की स्थिति गंभीर, विधवा और वृद्ध महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
लगातार 13 महीने से राशन न मिलने के कारण लाभुकों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो चुकी है। खासकर विधवा, वृद्ध महिलाएं और गरीब परिवार इस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

लाभुक चिंता कुंवर (राशन कार्ड नंबर 202000202958) बताती हैं- “हम लोग लगातार आवेदन देते-देते थक चुके हैं। अब समझ नहीं आ रहा कि कहां जाएं, किससे मदद मांगें? राशन न मिलने के कारण खाने की बहुत दिक्कत हो रही है। मेरे जैसे विधवा और वृद्ध महिलाओं के लिए यह हालात और भी भयावह है।”
पानो देवी (राशन कार्ड नंबर 202000202989) कहती हैं- “हमने क्या अपराध किया है जो हमें अपने हक का राशन मांगना भी मुश्किल हो गया है? अधिकारी और डीलर मिलकर हमारे हिस्से का राशन खा गए और अब हमें ही दोषी ठहराया जा रहा है।”
प्रभावती देवी (राशन कार्ड नंबर: 202000202964) कहती हैं- “सरकार ने तो यह कानून बनाया था कि कोई भी गरीब भूखा नहीं रहेगा, लेकिन यह केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है। हकीकत में गरीबों को अनाज नहीं मिल रहा, जिससे हमें भूख से लड़ना पड़ रहा है।”

सरोज देवी (राशन कार्ड नंबर 202000202968) कहती हैं- “कोई अधिकारी हमारी सुध नहीं ले रहा, खाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है।”
लाभुकों ने अपनी मुख्य मांगों और आगे की रणनीति के साथ जो बताया है उसके मुताबिक —
1. 13 महीने का पूरा राशन सभी 46 लाभुकों को तत्काल प्रभाव से दिया जाए।
2. राशन वितरण में अनियमितता बरतने वाले दोषी अधिकारियों और डीलरों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. भविष्य में गरीबों के हक के राशन में किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो, इसके लिए पारदर्शी निगरानी तंत्र लागू किया जाए।
4. राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करें और सुनिश्चित करें कि सभी गरीबों को उनका हक मिले।
लाभुकों ने मीडिया, सामाजिक संगठनों और सरकार से अपील करते हुए कहा है कि इस गंभीर मुद्दे को उजागर करें ताकि प्रशासन और सरकार पर दबाव बनाया जा सके। अगर राशन वितरण में भ्रष्टाचार और अनदेखी इसी तरह जारी रही, तो आने वाले समय में कई और गरीब परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच सकते हैं।
राज्य में ऐसी अनियमितता कोई नई नहीं है पिछले दिसंबर 2023 में भी पलामू जिले में इसी तरह का एक मामला सामने आया था। जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर रामगढ़ प्रखण्ड के बांसडीह पंचायत का पीढ़े गांव के आदिम जनजाति परहिया परिवारों को मिलने वाला खाद्यान्न विगत पांच महीने से पीढ़े गांव के 54 परिवारों को नहीं मिला था।
जिसके कारण सभी परहिया परिवारों के समक्ष खाद्य संकट गहरा गया था। आदिम जनजाति समुदाय को मुख्यमंत्री डाकिया योजना के तहत हर परिवार को हर माह 35 किलो बोरीबंद अनाज उनके घर पहुंचाकर दिया जाता है।
इस तरह से सरकारी अनाज न मिलने की वजह से परिवार के सदस्य सामान्य दिनों की अपेक्षा प्रतिदिन के भोजन में आधी मात्रा से ही गुजारा करने को विवश रहे हैं।
यही वजह है कि राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्र के लोग गांव छोड़कर बैंगलोर, चेन्नई आदि शहरों को मजदूरी की तलाश में पलायन करते रहते हैं। क्योंकि राज्य में रोजगार के अभाव में लोग सरकारी राशन पर ही निर्भर हैं। ऐसे में जब राशन भी नहीं मिल पाता है तो लोगों के पास पलायन के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है।
(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और झारखंड में रहते हैं।)
+ There are no comments
Add yours