गोपाल कांडा बरी: सिस्टम सिर्फ शक्तिशाली लोगों के लिए बना है गीतिका शर्मा के भाई ने कहा

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बहुचर्चित गीतिका शर्मा सुसाइड केस मामले में कोर्ट ने मुख्य आरोपी हरियाणा के सिरसा से पूर्व विधायक गोपाल कांडा और उनके मैनेजर अरुणा चड्ढा को बरी कर दिया है। इस फैसले ने 11 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे गीतिका के परिवार को तोड़ कर रख दिया है। गीतिका का परिवार सदमे में है। परिवार के सदस्यों ने मंगलवार को कहा कि इतने लंबे समय तक चली कानूनी लड़ाई में शारीरीक और भावनात्मक दोनों तरफ से नुकसान होने के बाद भी उन्हें निराशा मिली है। गीतिका के परिवार को कानून से बहुत उम्मीद थी की न्याय के लिए जो लड़ाई वे लड़ रहे हैं उसमें उन्हें जीत और अंत में गीतिका की आत्मा को शांति मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

‘द हिंदू’ से बात करते हुए उनके भाई अंकित शर्मा ने बताया कि, “दस्तावेज़ी सबूत, इलेक्ट्रॉनिक सबूत होने, ग्यारह साल तक धमकी दिए जाने, एक शक्तिशाली व्यक्ति के हाथों मेरी बहन और मां को खोने के बावजूद, हम आज केस हार गए। ऐसा लगता है कि सिस्टम केवल शक्तिशाली लोगों के लिए ही बना है। हम निराश हैं।” 

उन्होंने कहा कि “हम अब अपने जीवन को लेकर डरे हुए हैं। देश हमारा नहीं है, यह उनका है जिनके हाथों में सत्ता है।”केस हारने के बाद गीतिका शर्मा के परिवार को अब अपनी जान का डर सता रहा है। उन्होंने पुलिस सुरक्षा का अनुरोध किया है।

गीतिका शर्मा सुसाइड केस में विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने मंगलवार को मुख्य आरोपी गोपाल गोयल कांडा और अरुणा चड्ढा को बरी कर दिया। दोनों पर गीतिका शर्मा को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। मामले में आरोपों को साबित करने में अभियोजन पक्ष की विफलता का हवाला दिया गया। 5 अगस्त 2012 को, गोपाल गोयल कांडा की एमडीआरएल एयरलाइंस में एयर होस्टेस गीतिका शर्मा ने अपने अशोक विहार आवास पर सुसाइड कर लिया था। 

गीतिका के परिवार का कहना है कि गोपाल कांडा के खिलाफ “पर्याप्त सबूत थे।” उन्होंने एमडीआरएल एयरलाइंस में एयर होस्टेस के रूप में काम किया और बाद में उन्हें गुरुग्राम में श्री कांडा के कॉर्पोरेट कार्यालयों में से एक में निदेशक बना दिया गया। सुसाइड से पहले गीतीका ने एक नोट लिखा था जिसमें उसने बार-बार अपने उत्पीड़न औऱ मौत के लिए गोपाल कांडा और अरुणा चड्ढा को जिम्मेदार ठहराया था। गीतिका शर्मा की मौत के छह महीने बाद उनकी मां अनुराधा शर्मा ने अपनी बेटी की मौत के लिए गोपाल कांडा और अरुणा चड्ढा को दोषी ठहराया और आत्महत्या कर ली।

गीतिका के भाई अंकित शर्मा ने मंगलवार को कहा कि, ”क्या नेता कभी गिरफ्तार होते हैं? हमने देखा है कि पहलवानों के साथ कैसा व्यवहार किया गया। हमें पता था कि वह (कांडा) बरी कर दिया जाएगा क्योंकि वह कुछ दिन पहले राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गया था। उनके चुनाव लड़ने की पूरी संभावना है।”

मामले में पुलिस ने 1,800 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी। उन्होंने पूछा कि “क्या अदालत कुछ भी ठोस, कुछ भी नहीं खोज पाई? फ़ोन कॉल, टेक्स्ट संदेश, फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला रिपोर्ट? यह सब, 11 वर्षों तक, केवल कागज़ों पर था?”

उन्होंने कहा कि “अदालत ने आईटी अधिनियम और जालसाजी से संबंधित आरोप भी हटा दिए। 11 साल तक कोर्ट ने कभी भी साक्ष्य के अभाव में जांच का आदेश नहीं दिया। सीसीटीवी फुटेज, नष्ट किए गए लैपटॉप का क्या हुआ, कोर्ट ने कभी इस बारे में सवाल नहीं उठाया।” 

यह पूछे जाने पर कि क्या वह फैसले के खिलाफ अपील करेंगे, उन्होंने कहा कि उनके मध्यमवर्गीय दो सदस्यीय परिवार ने कानूनी सहायता के लिए सभी साधन खो दिए हैं और राज्य से अपील दायर करने का आग्रह किया। अंकित शर्मा का कहना है कि, “मेरे पिता, जिनकी उम्र 66 वर्ष है, फैसले के बाद सदमे की स्थिति में हैं।” 

उन्होंने कई लोगों पर उन्हें धमकाने और समझौता कर लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि “हम राज्य से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का अनुरोध करते हैं। लड़ाई अब राज्य की है। वकीलों को भी प्रभावित किया जा रहा है।”

( कुमुद प्रसाद जनचौक की सब एडिटर हैं।)

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