कॉरपोरेट-फासीवाद के हमलों का मुकाबला किसान व मजदूर मिलकर करेंगे: पंजाब किसान यूनियन

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बरनाला। 25-26 अगस्त को 15 जिलों के 350 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में आयोजित पंजाब किसान यूनियन का दो दिवसीय राज्य सम्मेलन पूरे जोश खरोश के साथ बरनाला के तर्कशील भवन में सम्पन्न हो गया। सम्मेलन ने फिर से रुलदू सिंह मानसा को अध्यक्ष और गुरनाम सिंह भिखी को महासचिव चुना। कुल 16 कार्यकारिणी सदस्य और उनमें से 11 पदाधिकारी चुने गए। जबकि संगठन के संविधान के अनुसार इनके अलावा सभी जिलों के निर्वाचित अध्यक्ष व सचिव भी राज्य कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे।

सम्मेलन का उद्घाटन अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजा राम सिंह ने किया। ऐतिहासिक किसान आंदोलन में पंजाब की अगुवा भूमिका की सराहना करते हुए राजा राम सिंह ने कहा कि “मोदी राज में खेती, जमीन और अन्न के भंडारों पर कॉरपोरेट का कब्जा कराने की जिन साजिशों का पर्दाफाश आज हो रहा है, उसे पंजाब के किसानों ने 2020 में ही समझ लिया था। पंजाब के किसानों द्वारा इस बड़े हमले को रोकने के लिए लिया गया संकल्प या तो जीत के लौटेंगे या शहीद बनकर, किसानों की जीत का आधार बना। उन्होंने उम्मीद जतायी कि देश पर हो रहे कॉरपोरेट-फासीवाद के हमले के खिलाफ भी पंजाब का किसान देश की अगुवाई करेगा।”

उन्होंने कहा कि “आज हमारा आंदोलन और भी विस्तार कर रहा है। अभी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एसकेएम और 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का साझा सम्मेलन हुआ है। हमने यह ऐतिहासिक फैसला किया है कि कॉरपोरेट फासीवाद के हमलों का मुकाबला अब देश के किसान व मजदूर मिलकर करेंगे।” उन्होंने कहा कि “मोदी सरकार जमीन व आसमान सबकुछ बेचने पर लगी है। इसरो के चन्द्रयान-3 के साढ़े छः सौ करोड़ के खर्च में भी मोदी सरकार ने कॉरपोरेट की भागीदारी करा दी।

बिहार के राज्य उपाध्यक्ष व विधायक सुदामा प्रसाद ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने बिहार में अपने संघर्षों के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि सड़क और खेत-खलिहान में लड़ी जा रही लड़ाई को संसद-विधानसभा तक पहुंचाना होगा। उन्होंने अपनी लगातार दो बार की जीत के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र के किसानों और ग्रामीण गरीबों की संगठित आंदोलन की ताकत को महत्वपूर्ण कारक बताया।

सम्मेलन में किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेमसिंह गहलावत ने संयुक्त किसान मोर्चा में एआईकेएम की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। फूलचंद ढेवा ने किसानों के सामने मौजूद चुनौतियों पर बोलते हुए इस किसान-मजदूर विरोधी सरकार के खिलाफ चौतरफा आंदोलन चलाने का आह्वान किया।

इस सम्मेलन की खासियत यह रही कि इसमें सांगठनिक रिपोर्ट के अलावा दो सत्र प्रतिनिधियों के राजनीतिक शिक्षण से जुड़े थे। एक सत्र में “दुनिया के लिए संकट बनता पर्यावरण का सवाल और खेती पर उसका प्रभाव” था। इस पर भाकपा माले चंडीगढ़ के सचिव व केंद्रीय कमेटी सदस्य कंवलजीत सिंह और किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव व पार्टी के पंजाब प्रभारी पुरुषोत्तम शर्मा ने विस्तार से अपने वक्तव्य रखे।

कंवलजीत सिंह ने पर्यावरण में बढ़ते असुंतलन और उससे पृथ्वी के लिए बढ़ते खतरे पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि औद्योगिक क्रांति के बाद पिछले डेढ़ सौ वर्षों में पृथ्वी का तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। इससे बर्फ के ग्लेशियर और दक्षिणी व उत्तरी ध्रुव पर तेजी से बर्फ पिघल रही है। अगर यह 0.4 डिग्री सेल्सियस और बढ़ा तो दुनिया के कई छोटे देश और शहर पानी में डूब जाएंगे।

उन्होंने विकसित राष्ट्रों और कॉरपोरेट कंपनियों की अति मुनाफे पर आधारित नीतियों को इसका जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण असंतुलन इतना बढ़ गया है कि उसने फसल चक्र पर भी प्रभाव डाला है। आज बेमौसम बारिश, सूखा, अति वृष्टि, समुद्री तूफान और बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने खेती पर इसके विपरीत परिणामों से भी कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए पर्यावरण संरक्षण को किसान आंदोलन के एजेंडे में शामिल करने की बात की।

पुरुषोत्तम शर्मा ने पृथ्वी के बढ़ते तापमान के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से दुनिया में गेहूं की पैदावार 4 से 5 करोड़ टन घट गई। हर दशक में 0.2 डिग्री सेल्सियस की रफ्तार से बढ़ रहे तापमान के कारण प्रति एकड़ 3 क्विंटल गेहूं की पैदावार घट रही है। इसकी पूर्ति के लिए किसान रासायनिक खादों, कीट नाशकों, खरपतवार नाशकों का उपयोग ज्यादा कर रहे हैं। इससे न सिर्फ हमारी फसल जहरीली हो रही है बल्कि हवा-पानी और मिट्टी भी जहरीली हो रही है।

पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि आज विश्व पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाने वाले देश व कॉरपोरेट कम्पनियां इस नुकसान की भरपाई अविकसित व विकासशील देशों के गरीबों, आदिवासियों, किसानों, पर्वतजनों की तरक्की को रोक कर करना चाहती हैं। इसके लिए वे ग्रीन बोनस और कार्बन ट्रेडिंग जैसी लालची व लुभावनी योजना लेकर आ रहे हैं। हमारी साम्राज्यवाद परस्त और कॉरपोरेट परास्त सरकारें उनके दबाव में जनता के सभी परंपरागत हक हकूक भी छीन रही हैं।

पंजाब में वर्तमान बाढ़ की तबाही और हिमाचल की तबाही के लिए पुरुषोत्तम शर्मा ने कॉरपोरेट लूट पर आधारित हिमालयी विकास नीतियों को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि हमारा हिमालय दुनिया का सबसे नया, सबसे कच्चा और अति संवेदनशील पहाड़ है। इसके साथ की जा रही यह विनाशकारी छेड़छाड़ पूरे भारत व दुनिया के पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ देगी। ऐसे में पर्यावरण का सवाल पृथ्वी और जीवन के अस्तित्व से जुड़ा है। किसानों को इसे अपनी प्राथमिक मांगों में शामिल करना चाहिए।

दूसरा विषय था “देश के सामने मौजूद राजनीतिक चुनौतियां और उसमें किसानों की भूमिका।” इस विषय पर भाकपा माले राज्य सचिव गुरिमीत सिंह बख्तपुरा और पुरुषोत्तम शर्मा ने विस्तार से अपना वक्तव्य रखा। इसमें भारतीय मार्का फासीवाद और लोकतंत्र व संविधान पर उसके हमले के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। आज के दौर के राजनीतिक संघर्ष में पंजाब के किसानों के सामने आ रही बड़ी जिम्मेदारियों पर भी प्रकाश डाला गया। पंजाब किसान यूनियन और भाकपा माले के रिश्ते को लेकर भी इस सत्र में खुलकर चर्चा हुई। इसके साथ ही किसान मजदूर एकता के बल पर फासीवाद से मुकाबला करते हुए एक नई कम्युनिस्ट लहर को खड़ा करने की जरूरत पर जोर दिया गया।

सम्मेलन के अंत में पांचवी बार प्रदेश अध्यक्ष चुने गए रुलदू सिंह मानसा ने इस सम्मेलन के प्रबंध व प्रचार की जिम्मेदारी संभालने वाले आरवाईए, आइसा व किसान यूनियन के कार्यकताओं को सम्मेलन के मंच पर सम्मानित किया। सम्मेलन के सफल होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष रूलदू सिंह मानसा ने अपने समापन भाषण में उपस्थित प्रतिनिधियों को धन्यवाद देते हुए नवगठित कमेटी को बधाई दी और पूरी कमेटी ने किसानों को गुलाम बनाने वाली नीतियां बनाने वाली केंद्र सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया।

रुलदू सिंह ने कहा इस कॉरपोरेट लूट के खिलाफ साम्यवाद की विचारधारा पर चलकर ही हम देश और किसानों को सही दिशा पर ले जा सकते हैं। रुलदू सिंह ने बताया कि पंजाब के किसान संगठनों के सम्मेलनों से एकदम अलग हमारे इस शानदार और शिक्षाप्रद सम्मेलन के आयोजन की प्रेरणा व दिशा हमारी पार्टी भाकपा माले लिबरेशन से मिलती है।

सम्मेलन से चुने गए पदाधिकारी

1- रुलदू सिंह मानसा, प्रदेश अध्यक्ष 2- गोरा सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, 3- डॉक्टर चरन सिंह, उपाध्यक्ष, 4- सुखदेव सिंह, उपाध्यक्ष, 5- भोला सिंह, उपाध्यक्ष, 6- गुरनाम सिंह, प्रदेश महासचिव, 7- गुरजंट सिंह, वित्त सचिव, 8- बलवीर सिंह, संगठनात्मक सचिव, 9- अशोक महाजन, संयुक्त सचिव, 10- जगराज सिंह, प्रेस सचिव, 11- जरनैल सिंह, सदस्य, 12- जसबीर कौर, सदस्य, 13- दलजीत सिंह, सदस्य, 14- मेजर सिंह, सदस्य, 15- कर्म जीत सिंह, सदस्य, 16- बलरराज, सदस्य।

(विज्ञप्ति पर आधारित)

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