नई दिल्ली। सत्तारुढ़ केंद्र सरकार द्वारा संसद का विशेष सत्र बुलाने के बाद कयासों का बाजार गर्म हो गया था। सरकार ने सर्वदलीय बैठक में जो एजेंडा दिया था उसमें ऐसा कुछ नहीं था जिसके लिए अलग से सत्र बुलाना पड़े। लिहाजा लोगों की निगाहें सरकार की गतिविधियों पर टिकी हुई थीं। कल संसद का सत्र शुरू होने और पहले दिन की कार्यवाही के समापन के बाद भी तस्वीर साफ नहीं हुई। लेकिन शाम को कैबिनेट की बैठक में महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा की खबर से यह बात साफ हो गयी कि संसद के विशेष सत्र में सरकार के पास यही पाशा था। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के इस पर ट्वीट के साथ यह और ज्यादा स्पष्ट हो गया कि सरकार महिला आरक्षण विधेयक लाने जा रही है।
हालांकि पटेल ने वह ट्वीट बहुत जल्द ही डिलीट कर दिया। लेकिन इससे पहले ही कांग्रेस ने लगता है इस बात को सूंघ लिया था। पार्टी ने न केवल कांग्रेस वर्किंग कमेटी के प्रस्ताव में इसको शामिल किया बल्कि उसने हर तरीके से उसको उठाना शुरू कर दिया।
इसी कड़ी में मंगलवार को कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख और विपक्षी नेता सोनिया गांधी ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक हमारा है।
सोमवार को कांग्रेस ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर कहा कि वह इस पहल का स्वागत करती है, क्योंकि पार्टी लंबे समय से विधेयक को लाने की मांग कर रही थी।
मंगलवार को संसद में प्रवेश करने के दौरान जब पत्रकारों ने सोनिया गांधी से विधेयक को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि “यह विधेयक हमारा है, अपना है”। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि “हम केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित फैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के डिटेल का इंतजार कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि, “इस पर विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में बहुत अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और गोपनीयता के पर्दे के तहत काम करने के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी।”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि अगर सरकार सदन में मंगलवार को महिला आरक्षण विधेयक पेश करती है, तो यह “कांग्रेस और उसके यूपीए सरकार के सहयोगियों की जीत” होगी।
आपको बता दें कि यूपीए सरकार के दौरान ही यह बिल 9 मार्च, 2010 को राज्यसभा से पारित हो गया था, लेकिन इसे लोकसभा में नहीं लाया जा सका। इसीलिए इस विधेयक को कांग्रेस अपना विधेयक बता रही है।
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