anand vihar front

आईएसबीटी, आनंद बिहार से मार-मार कर लौटाए गए हज़ारों मजदूर

आनंद विहार, दिल्ली। परसों 27 मार्च को उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा दिल्ली एनसीआर में फँसे प्रवासी मजदूरों के लिए 1000 विशेष बस चलाने के आदेश के बाद कल सुबह से ही लाखों मजदूर दिल्ली एनसीआर के तमाम बस अड्डों पर जुटने लगे थे। कुछ किस्मत वाले रहे लेकिन अधिकांश के हाथ निराशा ही लगी। क्योंकि जितनी बसें थीं वो नाकाफी थी। दिन भर मजदूर बिना खाए पिये बस का इंतज़ार करते रहे। सुबह से शाम फिर रात हो आई लेकिन भीड़ उतनी की उतनी ही बनी रही।

आईएसबीटी आनंद बिहार से मजदूरों की निरीहता की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर जाने लगे। इसके बाद दिल्ली पुलिस पर भीड़ को हटाने का दबाव बढ़ने लगा। भीड़ को वहां से हटाने के लिए पुलिस को अपने क्रूर अवतार को अख्तियार करना पड़ा। उन्होंने आईएसबीटी पहुंच रहे मजदूरों को बैरिकेड्स लगाकर रोकना शुरु कर दिया और वहां दिन भर से मौजूद मजदूरों को लाठीचार्ज करने की धमकी देकर वापस जहां से वो आए थे वहां जाने के लिए बाध्य किया। छोटे-छोटे बच्चों को लेकर मजदूर मायूस होकर वापस जाने के विवश हो गए।

यूपी लखनऊ तक के लिए ढाई-तीन हजार रुपए किराया 

बिहार निवासी मजदूर कृष्ण कुमार पंडित, रामजी पंडित, सर्वेश पंडित, सुनील कहते हैं कि न्यूज में ये दिखाया गया कि योगी आदित्यनाथ सीएम उत्तर प्रदेश ने दिल्ली एनसीआर में फंसे यूपी और दूसरे राज्यों के मजदूरों के लिए आनंद बिहार से बस चलाया है। न्यूज में देखकर हम उत्तम नगर गए तो वहां लोगों को लाइन में लगाकर बसों में चढ़ा रहे थे आनंद बिहार के लिए। लेकिन वहां से कहीं जाने नहीं दिया जा रहा है। आगे पुलिस रास्ते में ही घेर लेती है। वहां यूपी के लखनऊ तक के लिए ढाई -तीन हजार किराया मांगा जा रहा है।

प्रभा, सुभाष, काजल, तेजपाल, प्रमेचंद, सूरज, विवेक कुमार बताते हैं कि पुलिस हमें वापस लौटा दी। बोली कहीं कोई बसें नहीं जा रही हैं। आगे जाम है इसलिए सारी बसें वापस आ रही हैं। छोटे-छोटे बच्चों के लेकर पहले कापसहेड़ा से आनंद बिहार गए मजदूर वापस लौटाए जाने के बाद बताते हैं कि हमें बेवकूफ बनाकर दौड़ाया जा रहा है। हमारे बच्चे जिस डर और असुरक्षा से गुजर रहे हैं उसका असर उन पर ताउम्र रहेगा। सरकार और पुलिस मिलकर हम मजदूरों को प्रताड़ित कर रही है।

सीधी तरह लौट जाओ नहीं तो लाठीचार्ज करके भगाऊंगा 

आनंद बिहार से वापस रवि नगर लौट रहे मधु और नवीन राजेश बताते हैं कि पुलिस भगा दे रही है। क्या पुलिस कुछ खाने पीने को दे रही है, या आनंद बिहार बस अड्डे पर कुछ खाने पीने की व्यवस्था है पूछने पर मधु बताती हैं कि खाने-पीने की भी कोई सुविधा नहीं है। उल्टे पुलिस डंडे मार मारकर भगा रही है।

लाल जी, राहुल, राजेन्द्र समेत दो दर्जन से ज़्यादा मजदूर आनंद बिहार से वापस नारायणा गाँव के लिए लौट रहे हैं। उन्होंने बताया कि, “ पुलिस कह रही है कि सरकरी बसें बंद हो गईं। लाठीचार्ज हुआ है आनंद बिहार में।” ये सभी गोरखपुर उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और नारायणा गांव दिल्ली में काम करते हैं।

आनंद बिहार से गुड़गांव महिपालपुर वापस लौट रहे शत्रुघन, चंद्रभूषण और संतोष, धीरज, अखिलेश, राजेन्द्र राज बहादुर समेत बीसों मजदूर बताते हैं, “हमें पुलिस वालों ने नहीं जाने दिया। पुलिस बोली सीधी तरह से वापस नहीं जाओगे तो लाठीचार्ज करुँगा। वहां पर बहुत असुविधा है, बहुत भीड़ है। मैं आज सुबह ही महिपालपुर गुड़गांव से पहले आनंद बिहार बस अड्डे बस पकड़ने के लिए निकला था। कंपनी मालिक फोन नहीं उठा रहा है। खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं है। हम उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले हैं।”

परेशान मजदूरों पर भाजपा नेताओं और सत्ताधारी वर्गों के लोगों के जहरीले बोल

मजदूर के लिए तो रोज कुँआ खोदना है, रोज पानी पीना है। उनके लिए राम या भरत के राजा बनने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन जो प्रभुत्वशाली वर्ग के लोग हैं, जो रामराज्य के समर्थक हैं, जो वर्ग लूट खसोटकर घरों के भंडार, तिजोरियां और बैंक बैलेंस बनाकर रखे हैं उनके लिए एक महीने नहीं 6 महीने भी लॉकडाउन रहे तो कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे ही वर्ग के लोग सड़कों पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने गाँव जाने वाले मजदूरों को लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर गोली मारने की बातें कर रहे हैं। लोनी विधानसभा से निर्वाचित भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर ने बाहर सड़कों पर दिखने वालों को गोली मार कर उड़ा देने की बात कही है।

भाजपा नेता बलवीर पुंज ने बेहद वाहियात और अपने वर्ग चरित्र के मुताबिक सड़कों पर पैदल चलकर घर जाते मजदूरों पर टिप्पणी करते हुए कहा, “जो मजदूर दिल्ली और नोएडा से अपने गाँवों को जाने की कोशिश कर रहे हैं वो सब गैर जिम्मेदार लोग हैं। क्योंकि वो सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन को नहीं मान रहे हैं। ये लोग छुट्टी मनाने जा रहे हैं”।

आनंद बिहार, कौशांम्बी बस अड्डे पर अव्यवस्था

सरकार के व्यवस्था के दावे के एकदम उलट तस्वीर सामने आयी है। बिना तैयारी के प्रशासन और सरकारें बेबस दिख रही हैं। दिल्ली-एनसीआर में रह रहे प्रवासी दिहाड़ी मजदूर, फैक्टरियों में काम करने वाले, रंगाई-पुताई, पीओपी आदि का छोटा-मोटा काम करने वालों का हाल बुरा है।

इन जैसे लाखों मजदूरों ने अपने-अपने घरों की तरफ कूच कर दिया है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ बसों का इंतजाम किया है, लेकिन वह सब नाकाफी साबित हुआ है। देशव्यापी लॉकडाउन के चौथे दिन शनिवार को देश के अलग-अलग हिस्सों से मजदूरों का पलायन एक गंभीर और बड़ी चुनौती के रूप में दिख रही है जिसे हैंडल करने में सरकारें पूरी तरह से फेल हुई हैं। 

(अवधू आज़ाद की ग्राउंड ज़ीरो से रिपोर्ट।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments