जेल।

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पीयूसीएल ने की क़ैदियों की अंतरिम रिहाई की अपील

रायपुर। पीयूसीएल की छत्तीसगढ़ इकाई ने बीते शुक्रवार को छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित हाई पावर कमेटी- मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय बिलासपुर, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, कार्यकारी चेयरमैन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण छत्तीसगढ़, गृह एवं जेल मंत्री छत्तीसगढ़ राज्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा अतिरिक्त महानिदेशक कारागार एवं जेल मुख्यालय रायपुर – को राज्य के तंग कैदखानों में निरुद्ध हज़ारों बंदियों की अंतरिम रिहाई की अपील की है। 

बता दें कि दुनिया के साथ भारत भी गंभीर रूप से कोरोना वायरस की चपेट में है, जो तंग और भीड़ की जगहों में आसानी से फैलता है। हालांकि छत्तीसगढ़ में प्रभावितों की संख्या अभी कम है, लेकिन सावधानी नहीं बरतने की हालत में तमाम कोशिशों के बावजूद, परिस्थितियां विपरीत हो सकती हैं। छत्तीसगढ़ जेल- जिसमें वर्षों से अपनी क्षमता से बहुत अधिक कैदी भरे हुए हैं- इनमें इस वायरस के पनपने की अधिक आशंका है।

ऐसी भीषण परिस्थिति में दिनांक 23.03.2020 को उच्चतम न्यायालय ने प्रत्येक राज्य सरकार को दिशानिर्देश दिये हैं कि जेलों और अन्य हिरासती केंद्रों में लोगों की संख्या कम करने के उद्देश्य से एक हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया जाये । इसके परिपालन में छत्तीसगढ़ में हाई कोर्ट के माननीय जस्टिस प्रशान्त कुमार मिश्रा, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुब्रत साहू और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजय पिल्लई की समिति गठित की गई है, जिसने सुझाव दिया है कि छत्तीसगढ़ के जेलों में उन कैदियों को रिहा किया जाये जो छत्तीसगढ़ के निवासी हैं और जिन्हें 7 वर्ष से कम की सज़ा है, या वे विचाराधीन बंदी जिनके विरुद्ध आरोपों की अधिकतम सज़ा 7 वर्ष से कम है।

इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ सरकार के संयम और तीव्र कार्रवाई की सराहना करते हुए छत्तीसगढ़ पीयूसीएल ने कहा है कि कैदियों के स्वास्थ्य और अन्य बीमारियों से ग्रसित होने को भी रिहाई का आधार बनाना चाहिये। इतिहास गवाह है कि हर बार महामारी के प्रकोप का सबसे बड़ा शिकार बूढ़े, बच्चे, महिलाएं, शारीरिक या मानसिक रूप से असामान्य और समाज के निचले तबके के नागरिक होते हैं। 

इस उम्मीद और विश्वास के साथ कि वर्तमान परिस्थितियों में राज्य सरकार मानवता और उदारता से कदम उठायेगी, संगठन ने राज्य सरकार से अपील की है कि जेल में निरुद्ध निम्नलिखित बंदियों को आपराधिक गंभीरता, या रहने का ठिकाना, जैसे मानदंडों से परे अंतरिम रिहाई (ज़मानत या पेरोल) के लिए प्राथमिकता दी जाए :

छत्तीसगढ़ पीयूसीएल ने मांग किया कि सभी नाबालिगों को जिन्हें राज्य के किसी भी किशोर कारागार में निरुद्ध किया गया हो, सज़ायाफ्ता हो या किसी भी आपराधिक प्रकृति का हो।

किसी भी प्रकार के दोषी या आरोपी जो कोरोना वायरस से उच्च जोखिम की श्रेणी में आते हों, उदाहरण के लिए 50 साल से अधिक उम्र वाले, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर, दमा आदि बीमारियों से ग्रसित हों। हर वो दोषी या आरोपी जो दिव्यांग है या किसी प्रकार के मानसिक विकलांगता से ग्रसित हो। सभी महिलायें, खास कर गर्भवती या जिन के साथ बच्चे भी कारागृह में रहते हों।

साथ ही पीयूसीएल ने यह भी सुझाव दिया कि बंदी पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही रिहा हों और उन्हें घर तक सुरक्षित पहुंचाने की भी व्यवस्था की जाये। जो बाकी बंदी जेल में बंद हैं उनका भी लगातार स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिये और निजी स्वच्छता के लिये निःशुल्क साबुन और सैनेटाइज़र देने का भी प्रावधान हो। इस दौरान जब बंदियों के परिवार और अधिवक्ता उनसे मुलाकात नहीं कर सकते हैं, तब तक बंदियों को अपने परिजनों और अधिवक्ताओं से बात करने के लिये टेलीफोन की सुविधा उपलब्ध कराई जाये।

बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए राज्य के विभिन्न जेलों से अब तक 584 कैदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर तथा सजा पूरी करने पर रिहा किया है। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को यहां बताया कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए राज्य की विभिन्न जेलों से अब तक कुल 584 कैदियों को छोड़ा जा चुका है, जिनमें से 391 कैदियों को अंतरिम जमानत पर, 154 कैदियों को पैरोल पर और 39 कैदियों को सजा पूरी करने पर विभिन्न जेलों से छोड़ा गया है।

 (रायपुर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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