नई दिल्ली। 3500 से ज़्यादा न्यायविदों, अकादमिक जगत से जुड़े लोगों, अभिनेताओं, लेखकों और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने एक संयुक्त बयान जारी कर ‘दि वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे की निंदा की है। और उसे तत्काल वापस लेने की माँग की है। इससे संबंधित एक स्टेटमेंट जारी हुआ है जिसमें इन सभी के हस्ताक्षर हैं।
बयान में कहा गया है कि जिस ख़बर को आधार बनाकर सिद्धार्थ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है उसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिस पर आपत्ति जतायी जा सके। हस्ताक्षरकर्ताओं का कहना है कि खबर पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है। इन लोगों ने यूपी की योगी सरकार से मुक़दमे को तत्काल वापस लेने की माँग की है। शख़्सियतों का कहना है कि यह प्रेस की आज़ादी पर सीधा हमला है।
आपको बता दें कि यूपी की अयोध्या पुलिस ने ‘दि वायर’ के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ उस ख़बर को आधार बनाकर एफआईआर दर्ज किया है जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रस्तावित अयोध्या में राम नवमी समारोह के आयोजन के कार्यक्रम की आलोचना की गयी थी। हालाँकि बाद में योगी को वह आयोजन रद्द करना पड़ा था।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने सबसे पहले संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे को वापस लेने और उनके ख़िलाफ़ जारी सभी आपराधिक प्रक्रियाओं को ख़त्म करने की माँग की है।
इसके साथ ही इन शख़्सियतों ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों को कोविद 19 का बहाना बनाकर मीडिया की स्वतंत्रता को बाधित नहीं करनी चाहिए। एक मेडिकल इमरजेंसी की आड़ में राजनीतिक इमरजेंसी को लागू करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
इन शख़्सियतों ने तीसरी बात मीडिया के लिए कही है। उनका कहना है कि मीडिया को इस महामारी का सांप्रदायीकरण नहीं करना चाहिए।
हस्ताक्षरकर्ताओं में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर, मद्रास हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस के चंद्रू, पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस अंजना प्रकाश शामिल हैं।
इसके अलावा दो पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास और एडमिरल विष्णु भागवत ने भी इस पर हस्ताक्षर किए हैं। पूर्व वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा के भी इस पर हस्ताक्षर हैं।
इसके अलावा बड़ी संख्या में पूर्व नौकरशाहों ने इस बयान पर हस्ताक्षर किया है। इनमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पूर्व विदेश सचिव, शिव शंकर मेनन, पंजाब गवर्नर के पूर्व सलाहकार और रोमानिया में राजदूत रहे जूलियो रिबेरो, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एमएस गिल, वित्त मंत्रालय के पूर्व सचिव नरेंद्र सिसोदिया, रॉ के पूर्व स्पेशल सचिव आनंद अरनी और वप्पला बालचंद्रन शामिल हैं।
इसके साथ ही हस्ताक्षरकर्ता लेखकों में विक्रम सेठ, नयनतारा सहगल, अरुंधति रॉय, अनिता देसाई, के सच्चिदानंदन और किरन देसाई शामिल हैं। इसके साथ ही बयान पर अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह, नंदिता दास, फरहान अख़्तर और मल्लिका साराभाई ने भी अपनी सहमति दी है। वास्तु कला क्षेत्र से जुड़े अनीस कपूर, अतुल डोडिया, रेखा रोडविट्टिया और विवाह सुंदरम् ने भी अपने हस्ताक्षर किए हैं। फ़िल्म निर्माताओं में जोया अख़्तर, किरन राव और आनंद पटवर्धन शामिल हैं। फ़ोटोग्राफ़र दयानिता सिंह ने भी बयान पर हस्ताक्षर किया है।
पत्रकारों में दि गार्जियन के पूर्व संपादक एलन रसब्रिजर, टाइम्स आफ इंडिया के पूर्व संपादक मनोज जोशी और हिंदुस्तान टाइम्स के पूर्व संपादक भारत भूषण शामिल हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं में देविका जैन, मेधा पाटेकर, संदीप पांडेय, स्वामी अग्निवेश, अरुणा रॉय और योगेंद्र यादव शामिल हैं।
इसके अलावा दुनिया भर के तक़रीबन एक हज़ार प्रोफ़ेसरों ने इस पर हस्ताक्षर किया है। इनमें नरेश दधीचि, टीआर गोविंदराजन, वी वसंत देवी, कौशिक बसु, गणेश देवी, रामचंद्र गुहा, डेविड शुलमान, जान ब्रेमन, प्रणब वर्धन, वीना दास, पार्थ चटर्जी आदि शामिल हैं।
और आखिर में देश और दुनिया के हज़ारों नागरिक और लोगों ने बयान का समर्थन किया है। साथ ही मीडिया की स्वतंत्रता में कटौती को ख़त्म करने की माँग की है। इन लोगों ने एक तरफ़ मीडिया से सांप्रदायिक रिपोर्टिंग से परहेज़ करने तो दूसरी तरफ़ सरकार से सिद्धार्थ वरद राजन और ‘दि वायर’ के ख़िलाफ़ लगे आरोपों को तत्काल वापस लेने की माँग की है।
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