नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में लोकसभा की कुल सात सीटें हैं। लेकिन दिल्ली की उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट पर देश भर की निगाहें लगी हैं। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों के साथ ही देश भर में इस लोकसभा सीट की चर्चा है। चर्चा का कारण कन्हैया कुमार हैं। कांग्रेस ने उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वह कांग्रेस-आप के संयुक्त प्रत्याशी हैं। कांग्रेस और आप के कार्यकर्ता क्षेत्र में प्रचार कर रहे हैं।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली से भाजपा ने मनोज तिवारी को प्रत्याशी बनाया है। 2014 और 2019 में बतौर भाजपा प्रत्याशी वह चुनाव जीत चुके हैं। वह फिल्मी कलाकार और लोक गायक हैं। कांग्रेस ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एवं चर्चित युवा नेता कन्हैया कुमार को प्रत्याशी घोषित किया है। वह इंडिय़ा गठबंधन के प्रत्याशी हैं तो बहुजन समाज पार्टी ने डॉ. अशोक कुमार को टिकट दिया है। अशोक कुमार दलित समुदाय के हैं।
दिल्ली में सात लोकसभा सीटों के लिए छठे चरण में 25 मई को मतदान होगा। लोकसभा में कुल 10 विधानसभा क्षेत्र हैं। जिसमें- बुराड़ी, तिमारपुर, सीमापुरी, रोहतास नगर, सीलमपुर, घोंडा, बाबरपुर, गोकलपुर, मुस्तफाबाद और करावल नगर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र अधिक जनसंख्या घनत्व वाला क्षेत्र है। दिल्ली में कम आमदनी वाले यहां निवास करते हैं। यानि यह लोकसभा क्षेत्र गरीब आबादी वाला है। विभिन्न समुदायों के आधार पर देखें तो यहां इस सीट पर दलित वोटर 17 फीसदी, मुस्लिम 23 फीसदी, ब्राह्मण 11 फीसदी, वैश्य 4.50 फीसदी, पंजाबी 4 फीसदी, गुर्जर 10 फीसदी और ओबीसी 20 फीसदी के करीब हैं। उत्तरी-पूर्वी सीट पर पूर्वांचली मतदाता करीब 28 फीसदी हैं यानि बिहार और पूर्वी यूपी के मतदाता बड़ी संख्या में हैं। इसके अलावा 23 फीसदी मुस्लिम वोटर काफी अहम और निर्णायक हैं। लेकिन क्षेत्र में अल्पसंख्यक, दलित और पूर्वांचली मतदाता ही उम्मीदवारों का भविष्य तय करते हैं।
उत्तर पश्चिम दिल्ली पर लोगों की निगाहें होने का एक कारण और है। चार साल पहले दिल्ली दंगों की आग में झुलस गयी थी। उत्तर-पूर्वी हिस्से में यह आग सबसे भयावह थी। 23 से 26 फ़रवरी, 2020 के बीच हुए दंगों में 53 लोगों की जान गई थी। चार दिनों तक चले दंगों में जान-माल का भारी नुक़सान हुआ था। कई लोगों के घर और दुकानों में आग लगा दी गई थी। दिल्ली पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि मरने वालों में 40 मुसलमान और 13 हिंदू थे। इन दंगों के पीड़ितों और उनके परिवार वालों की न्याय की लड़ाई आज भी जारी है।
लेकिन दंगों में जिनके परिजनों की मौत हुई और जिनके घरों-दुकानों को जला दिया गया, इन चार सालों में उनके ज़ख्म को भरने के लिए शासन-प्रशासन की तरफ से कोई कोशिश नहीं हुई। केंद्र और राज्य सरकारों के साथ ही राजनीतिक दलों से उन्हें न तो कोई सहायता मिली और न ही सहानुभूति। लोकसभा चुनाव में उतरे राजनीतिक दल भी 2020 के दंगों को भूलकर भी नहीं उठाना चाहते। क्योंकि उन्हें ध्रुवीकरण होने का डर है। ऐसे में सवाल उठता है कि दंगों मे जिनका घर-बार लुट गया, वो किसे वोट देंगे?
सवाल यह भी है कि क्या 2020 का दंगा इस बार उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा में चुनावी मुद्दा है? कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता यह नहीं मानते कि चुनाव में चार साल पहले हुआ दंगा कोई मुद्दा है। लेकिन मौजपुर के स्थानीय मतदाता केपी शर्मा कहते हैं कि “राजनीतिक दलों के न मानने से दिल्ली दंगों को भुलाया नहीं जा सकता है। भाजपा, कांग्रेस, आप और बसपा भले ही इसे मुद्दा न मानें, लेकिन यह मुद्दा तो है। चुनाव में किसी न किसी रूप में दिल्ली दंगा मुद्दा बनेगा और राजनीतिक दलों से सवाल करेगा। दिल्ली दंगों के असर को जितना दबाने की कोशिश होगी वह उतना ही प्रमुखता से उठेगा।”
उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में चुनाव के दौरान क्या मुद्दा है, के सवाल पर आम आदमी पार्टी से जुड़े और बाबरपुर में रहने वाले मोहम्मद यूनुस कहते हैं कि “उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र कम आमदनी वाला इलाका है। दंगों से ज्यादा यहां कोरोना की मार से लोग परेशान हुए। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास जैसे बुनियादी सवाल ही यहां प्रमुख भूमिका निभाएगें।”

दंगों के सवाल पर वह कहते हैं कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में ही दंगे क्यों हुए, दक्षिणी दिल्ली में दंगे क्यों नहीं हुए? और वह खुद ही जवाब देते हुए कहते हैं कि क्योंकि यहां पर गरीब लोग रहते हैं। उन्हें जाति-धर्म के नाम पर बरगलाया जा सकता है। यदि क्षेत्र में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल खोले जाएं और लोगों को रोजगार दिया जाए तो दंगे अपने आप कम हो जायेंगे।
यूनुस कहते हैं कि पिछले 10 सालों में भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कोई काम नहीं किया । जनता में उनके खिलाफ आक्रोश है। इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी कन्हैया कुमार केजरीवाल सरकार के काम और राहुल गांधी के संघर्ष के नाम पर जनता से वोट की मांग करेंगे।
बाबरपुर के वार्ड 233 से पार्षद का चुनाव लड़ चुकीं रेखा कहती हैं कि वर्तमान सांसद मनोज तिवारी ने क्षेत्र में कोई काम नहीं किया है। विकास कार्यों से उनको कोई मतलब नहीं है। जनता अपने कष्टों तले दबकर रो रही है और मनोज तिवारी घूम-घूमकर गा रहे हैं।

बाबरपुर के रहने वाले साजिद कहते हैं कि “ केजरीवाल सरकार के काम से जनता खुश है। क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम हुआ है। केजरीवाल सरकार के काम के आधार पर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी जनता से वोट मांग रहे हैं। वर्तमान सांसद मनोज तिवारी से जनता बहुत नाराज है। उन्होंने कोई काम नहीं किया है।”
2020 में हुए दंगों के सवाल पर वह कहते हैं कि दंगों से जनता नाराज है। मतदान में यह मुद्दा बनेगा। लेकिन हर कोई अपने अनुसार मतदान करेगा। कोई एक मुद्दा जो सबको एक करता है वह है संविधान विरोधी मोदी सरकार को हटाना।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली प्रदेश ओबोसी प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष चतर सिंह की राय है कि “उत्तर-पूर्वी लोकसभा क्षेत्र में स्थानीय मुद्दों के साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर मतदान होगा। सबसे बड़ा सवाल संविधान बचाने का है। मोदी सरकार संविधान, संवैधानिक संस्थाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों को तहस-नहस कर रही है। देश में संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए कांग्रेस चुनावी मैदान में है।”

वह कहते हैं कि अल्पसंख्यक, दलित और पूर्वांचली के साथ ही युवा मतदाता कन्हैया कुमार की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
वर्तमान सांसद के कामकाज पर सवाल उठाते हुए वह कहते हैं कि मनोज तिवारी ने 10 सालों में कोई काम नहीं किया। क्षेत्र की समस्याओं को हल करने की बजाए वह देश भर में स्टेज शो करते रहे। जनता से उनको कोई मतलब नहीं है।

मौजपुर मेट्रो स्टेशन के सामने से जाने वाली सौ फुटा रोड पर कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया कुमार का चुनावी कार्यालय है। कार्यालय पर भारी चहल-पहल है। कार्यकर्ता और नेता चुनाव प्रचार से आ और जा रहे हैं। वहां पर बैठकों का दौर भी चल रहा है। वहां पर कोऑर्डिनेशन का काम देख रहे करण सोबती (पंजाब युवा कांग्रेस के सचिव) कहते हैं कि हम मजबूती से लड़ रहे हैं और मनोज तिवारी को एक लाख मतों से पराजित करेंगे।

करावल नगर विधानसभा के रहने वाले आशीष कहते हैं कि कांग्रेस-भाजपा प्रत्याशी के दावे को छोड़ कर बात किया जाए तो इस बार पूर्वांचल के मतदाता ही निर्णायक भूमिका निभाएंगे। अल्पसंख्यक तो कांग्रेस को ही वोट करेंगे। दलितों का एक हिस्सा बसपा की तरफ जायेगा। पूर्वांचल का मतदाता जिस तरफ रूख करेगा जीत उसी की होगी।
बुराड़ी के (संत नगर) में रहने वाले बृजेश झा कहते हैं कि इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रत्याशी बिहार से हैं। दोनों प्रत्याशी जनता के बीच लोकप्रिय हैं। मनोज तिवारी को कमजोर बताने वाले यह भूल जाते हैं कि भाजपा हाईकमान ने सात सांसदों में से सिर्फ एक यानि मनोज तिवारी को ही दोबारा टिकट दिया है। और दिल्ली से छह सांसदों का टिकट काट दिया गया। मनोज तिवारी को तीसरी बार टिकट देने का कोई महत्वपूर्ण कारण ज़रूर होगा।
लेकिन बृजेश की बातों को काटते हुए नितिन कहते हैं कि उत्तर पूर्वी लोकसभा में पूर्वांचली और अल्पसंख्यक ही निर्णायक होंगे। जिस तरफ पूर्वांचल के लोग जायेंगे जीत उसी की होगी।
(प्रदीप सिंह की रिपोर्ट)
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