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गुजरात में नेताओं ने पहले ही बना दी थी बिहार-यूपी के लोगों पर हमले की पृष्ठभूमि

जनचौक ब्यूरो

नई दिल्ली। गुजरात में यूपी और बिहार के लोगों के खिलाफ जारी हिंसा की पृष्ठभूमि पहले से ही तैयार हो गयी थी। जब सरकार और विपक्षी दलों ने मिलकर गुजराती उद्योगों में गुजरातियों के लिए रोजगार का अभियान चलाया। उसी के तहत सूबे की रूपानी सरकार ने एक ऐसे कानून को लाने की घोषणा की जिसमें मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में 80 फीसदी मजदूर गुजरात से रखना बाध्यकारी हो जाएगा। मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने ये ऐलान 24 सितंबर को आयोजित एक कार्यक्रम में किया था।

मुख्यमंत्री के मुताबिक प्रस्तावित कानून में उद्योगपतियों के लिए 25 फीसदी कामगारों को उन स्थानों से रखना जरूरी होगा जहां उद्योग स्थापित हो रहे हैं। 25 फीसदी का ये कोटा गुजरात के कुल 80 फीसदी कोटे का ही हिस्सा होगा।

इकोनामिक टाइम्स के मुताबिक उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि मैनुफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र में जो भी उद्योगपति/मालिकान गुजरात में अपने उद्योग लगाने के बारे में सोच रहे हैं उन्हें 80 फीसदी गुजरातियों की शर्त को पूरी करनी ही पड़ेगी।

रूपानी ने ये बातें मुख्यमंत्री अप्रेंटिशिप योजना के तहत युवाओं को कांट्रैक्ट लेटर बांटने के लिए आयोजित समारोह में कही थीं।

महत्वपूर्ण बात ये है कि इसके पहले कांग्रेस नेता और एमएलए अल्पेश ठाकोर इस मुद्दे पर आंदोलन की धमकी दे चुके थे। उन्होंने कहा था कि आश्वासन दिए जाने के बावजूद कंपनियां राज्य से 85 फीसदी जॉब कोटे की शर्त को नहीं पूरा कर रही हैं।

राज्य की मौजूदा नीति के तहत ऐसी इंडस्ट्रियल यूनिटों को जो सरकारी सहायता ले रही हैं, कामगारों के 85 फीसदी हिस्से को स्थानीय स्तर पर भर्ती करनी होगी।

इसके साथ ही उन्होंने बेरोजगारी भत्ता देने की कांग्रेस की नीति की आलोचना भी की। उनका कहना था कि इससे बेरोजगार युवकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी।

इसकी बजाय उनकी सरकार युवाओं के कौशल को विकसति करने और उन्हें प्रशिक्षण देने के जरिये रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में विश्वास करती है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस केवल गरीबी हटाओ का नारा देती है लेकिन गरीबी हटाने या फिर लोगों को रोजगार देने का उसके पास कोई योजना नहीं है।

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