नई दिल्ली। एनआईए ने कल हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश में स्थित देश के तकरीबन 9 जगहों पर छापेमारी की है। एनआईए को इनसे जुड़े लोगों के नक्सल गतिविधियों से जुड़े होने का शक है। इन जगहों में चार पंजाब, दो-दो यूपी और हरियाणा तथा दिल्ली की एक जगह शामिल है। इस बीच इससे जुड़ी एक खबर आयी है। जिसमें चंडीगढ़ से एडवोकेट और मानवाधिकार कार्यकर्ता अजय की गिरफ्तारी की बात शामिल है। यह खबर मनीष आजाद ने अपने फेसबुक पर दी है। उन्हें रात तीन बजे उनके घर से गिरफ्तार किया गया है।
भटिंडा स्थित रामपुरा पुल इलाके में एनआईए ने जब कल चर्चित किसान नेता सुखविंदर कौर के घर छापेमारी करने गयी तो गांव वालों ने उसे घेर लिया। 40 वर्षीय सुखविंदर कौर भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) की राज्य महामंत्री हैं। शुक्रवार को सुबह शुरू हुई यह रेड दोपहर तक चली। कौर का कहना है कि उन्होंने इस छापे के बारे में अपने पति से सुना। वह उस समय शंभू बॉर्डर पर थीं जहां किसानों का आंदोलन चल रहा है।

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके खिलाफ 2023 में लखनऊ में कोई एफआईआर दर्ज हुई है जिसके सिलसिले में एनआईए की टीम यहां आयी थी। उन्होंने बताया कि एफआईआर की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं बिल्कुल अनजान हूं। मैं पिछले साल लखनऊ तो गयी भी नहीं थी। उन्होंने बताया कि टीम ने घर की तलाशी ली और परिवार के सभी सदस्यों का फोन चेक किया। और फिर आखिर में मेरे पति का मोबाइल अपने साथ लेते गए। उन्होंने बताया कि टीम ने मेरी बहू को अपने स्कूल भी नहीं जाने दिया जहां वह पढ़ाती है।
बीकेयू (क्रातिकारी) के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने बताया कि कौर के आस-पास के किसानों को सूचना देने के बाद उन लोगों ने एनआईए की कार्रवाई के खिलाफ उनके घर के सामने धरना और प्रदर्शन कर दिया। फूल ने कहा कि यह धरना बगैर किसी नोटिस और पूर्व सूचना के रेड डालने के खिलाफ था। उन्होंने कहा कि ये छापे किसानों को डराने-धमकाने और डराकर उन्हें चुप करा देने की रणनीति का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान भी एनआईए ने कई किसानों के यहां छापे मारे थे।
इसी तरह से प्रयागराज में भी देवेंद्र आजाद के घर पर एनआईए ने छापा मारा है। देवेंद्र आजाद छात्रों के संगठन इंकलाबी छात्र मोर्चा के नेता हैं। पीयूसीएल की यूपी प्रदेश अध्यक्ष सीमा आजाद ने बताया है कि देवेंद्र को 160 का नोटिस देकर 15 सितंबर को पूछताछ के लिए लखनऊ बुलाया गया है।
उनके घर से तीन चीज़ वे ले गए हैं। इलाहाबाद में प्रोफेसर अरुण कुमार के कार्यक्रम के लिए नागरिक समाज द्वारा तैयार किया गया अडानी के खिलाफ एक पर्चा, दस्तक का मई जून अंक, जिसमें उसने लद्दाख के सोनम वांगचुक के आंदोलन पर लेख लिखा था और उनके संगठन से निकलने वाला अखबार मशाल। उन्होंने कहा कि इससे यह समझना मुश्किल नहीं है कि सरकार की संस्था एनआईए क्या करना चाहती है।
इसके अलावा पीयूसीएल ने अलग से एक वक्तव्य जारी कर इस छापे का विरोध किया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र और इंकलाबी छात्र मोर्चा के सह सचिव देवेंद्र आज़ाद के इलाहाबाद स्थित कमरे पर एनआईए द्वारा की गई छापेमारी की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। समाज की बेहतरी के लिए सक्रिय लोगों के निवास स्थानों पर पिछले दो सालों से एनआईए जिस तरह से छापेमारी कर रही है, उससे जाहिर होता है कि सरकार न तो अपनी आलोचना सुन पा रही है, न ही अपने विरोधियों को बर्दाश्त ही कर पा रही है।
देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं के निवास स्थानों पर रेड कर वह बार-बार यही संदेश दे रही है और दहशत फैलाने का काम कर रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा हाल ही में सोशल मीडिया से जुड़ा जो ऑर्डर पास किया गया है, वह भी यही बात बोल रहा है।

देवेंद्र आजाद आगरा के रहने वाले हैं और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए वे इलाहाबाद में रहते हैं। इसी साल उन्होंने राजनीति शास्त्र में एमए किया है और पिछले साल उन्होंने जूनियर रिसर्च फेलोशिप की परीक्षा भी पास कर ली है। वे मेधावी छात्र हैं, और छात्रों की मांगों को उठाने वाले संगठन इंकलाबी छात्र मोर्चा में सहसचिव हैं। विश्वविद्यालय के अलावा वे शहर में लोकतांत्रिक मांगों को लेकर सक्रिय रहते हैं। वे इलाहाबाद नागरिक समाज की कार्यकारी समिति के सदस्य हैं।जाहिर है उनके कमरे, जहां वे तीन अन्य रूम पार्टनर के साथ रहते हैं, पर छापेमारी की कार्रवाई उनकी सक्रियता को देखते हुए की गई है।

एनआईए ने दिल्ली स्थित किशनगढ़ इलाके में अंजनी कुमार के आवास पर छापा डाला। सुबह साढ़े पांच बजे शुरू हुई छापे की यह कार्रवाई शाम तीन बजे तक चलती रही। छापे में एनआईए के सात सदस्य शामिल थे। और इस काम में दिल्ली के पांच पुलिसकर्मी उनका सहयोग कर रहे थे। छापे के दौरान पुलिस ने अंजनी के घर की पूरी तलाशी ली। उनके रैक और उनमें रखी किताबों की छानबीन की। जाते समय अपने साथ लैपटाप, मोबाइल फोन और उनकी एक स्क्रोल पैड लेते गए। इसके साथ ही बैंक का कैंसिल्ड चेक और उनकी एक कविता भी साथ ले गए।

इसके साथ ही अंजनी को एक नोटिस दिया गया है जिसमें उन्हें 22 सितंबर को लखनऊ में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। अंजनी का कहना था कि उन्हें एनआईए की टीम द्वारा बताया गया कि उनके खिलाफ लखनऊ एक एफआईआर दर्ज है। उनका कहना था कि इस एफआईआर के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि इसके पहले अप्रैल, 2023 में भी एनआईए की टीम मुझसे मिली थी।

उन्होंने बताया कि इस बीच 2004-05 से वह मीडिया, साहित्य और आर्कियोलाजी से जुड़े शोध के काम में लगे हैं। इस बीच उन्होंने भोर, फिलहाल, समयांतर और पाखी जैसी पत्रिकाओं का संपादन किया। पाषाणकालीन कुछ अवशेषों को तलाश कर उन्होंने उन पर लेख लिखे। इसके अलावा पर्यावरण भी वह लगातार काम कर रहे हैं। और उस पर नियमित लेख लिख रहे हैं।
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