नमाज मसले पर असम सीएम सरमा सहयोगियों के निशाने पर, पूछा-क्या सरमा कामाख्या मंदिर में दी जाने वाली बलि पर भी रोक लगाएंगे?

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। बीजेपी लगातार अपने गठबंधन के सहयोगियों के निशाने पर है। दस सालों तक के चले एकछत्र राज में न कोई रोकने वाला था और न ही कोई टोकने वाला। मुस्लिम विरोधी अभियान हो या फिर कारपोरेट परस्ती केंद्र से लेकर बीजेपी शासित राज्य सरकारें बेरोक टोक इन कामों में लगी हुई थीं। लेकिन अब उनके इस मार्ग में जगह-जगह सहयोगी स्पीड ब्रेकर बनकर खड़े हो गए हैं। और यह बात केवल केंद्र ही नहीं बल्कि राज्यों के स्तर पर पहुंच चुकी है। ताजा मामला असम का है। जहां मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने राज्य विधानसभा में मुस्लिम विधायकों को नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को दिए जाने वाले दो घंटे के अवकाश को समाप्त करने का फैसला लिया है। बीजेपी को अपने इस फैसले के लिए सहयोगियों की आलोचना का शिकार होना पड़ा है।

और वह भी किसी एक नहीं बल्कि दो-दो सहयोगी उसके इस फैसले के खिलाफ खड़े हो गए हैं। और दोनों का आधार क्षेत्र बिहार है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाइटेड) और चिराग पासवान की लोकजन शक्ति पार्टी (राम विलास) ने इसका तीखा विरोध किया है। जेडीयू ने तो इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया है।

इस मसले पर द प्रिंट ने इन दोनों दलों के प्रवक्ताओं से बात की जिसमें ये प्रतिक्रियाएं सामने आयीं। असम सरकार के कदम का विरोध करते हुए जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी को अपने धर्म और परंपराओं का पालन करने का अधिकार है। और संविधान के निर्माताओं ने देश की विविधता को ध्यान में रखते हुए इसका मसौदा तैयार किया था। 

हालांकि इस बीच नयी खबर यह आयी है कि त्यागी ने प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है। और उनकी जगह पार्टी ने राजीव रंजन प्रसाद को जेडीयू का नया प्रवक्ता नियुक्त किया है। त्यागी ने इस्तीफे के पीछे के कारणों को निजी बताया है। लेकिन यह कितना निजी है और कितना राजनीतिक यह तो बाद में पता चलेगा। 

जेडीयू के आधिकारिक रुख को जानने के लिए द प्रिंट ने जब प्रवक्ता रहते उनसे संपर्क किया था तो उन्होंने कहा कि “प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और पूजा की स्वतंत्रता का प्रावधान है। कानून निर्माताओं को ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे संविधान की भावना और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। हम एक बहु-वर्ग, बहु-जातीय समाज हैं। एक सरकार के तौर पर हमें सभी की परंपराओं और संस्कृतियों का सम्मान करने की ज़रूरत है। हमें धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। ”

इस बीच एलजेपी के दिल्ली अध्यक्ष राजू तिवारी ने दि प्रिंट को बताया कि “विभिन्न मंदिरों में बलि दी जाती है और कई एनजीओ इसका विरोध करते हैं, लेकिन स्वाभाविक रूप से यह बंद नहीं हुआ है और बंद भी नहीं होना चाहिए। नमाज़ आस्था का मामला है और धर्म से जुड़े मामलों में ऐसे फैसले लेने से बचना चाहिए। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी भी समुदाय को कोई समस्या न हो।”

इसके पहले इन्हीं दलों ने लैटरल एंट्री पर यूपीएससी के विज्ञापन का विरोध किया था। जिसके बाद सरकार ने उस फैसले को वापस ले लिया था। और एक बार फिर सरकार को कुछ उसी तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि जेडीयू के एक दूसरे नेता प्रवक्ता त्यागी से भी आगे निकल गए। उन्होंने बाकायदा यह कहकर कि क्या सरमा मां कामाख्या मंदिर में पशु बलि पर भी प्रतिबंध लगाएंगे। इस मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। उन्होंने प्रिंट से बात करते हुए कहा कि “शुक्रवार को पूर्व निर्धारित दो घंटे की नमाज़ के अवकाश को बंद करने के बारे में सीएम सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार ने यह कहते हुए फैसला लिया कि इससे उत्पादकता बढ़ेगी। हालांकि, ऐसे सवाल संविधान की प्रस्तावना में वर्णित मौलिक कर्तव्यों को छूते हैं। चाहे वह किसी की धार्मिक परंपराओं, सामाजिक रीति-रिवाजों या मान्यताओं से संबंधित हो, कार्यकारी आदेशों के माध्यम से उन पर कोई भी हमला किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं लगता है।”

कुमार ने आगे कहा, “मैं सीएम सरमा से पूछना चाहता हूं। जहां तक मुझे पता है, असम में मां कामाख्या मंदिर है, जहां से वे विधायक हैं और मंदिर के दरवाजे (पशु) बलि दिए जाने के बाद ही खोले जाते हैं। आप शुक्रवार की छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और आप दावा करते हैं कि इससे उत्पादकता बढ़ेगी। हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मां कामाख्या मंदिर है, तो क्या आप कामाख्या मंदिर में बलि की प्रथा पर प्रतिबंध लगा सकते हैं?”

पत्रकारों से बात करते हुए कुमार ने यह भी कहा कि बेहतर होता यदि असम के मुख्यमंत्री अपनी ऊर्जा राज्य में गरीबी उन्मूलन और बाढ़ की रोकथाम पर केंद्रित करते।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author