पटना। आज भाकपा-माले और इंसाफ मंच के संयुक्त आह्वान पर पूरे बिहार में आतंक, युद्धोन्माद और देश में कश्मीरियों व मुसलमानों के खिलाफ बनाए जा रहे नफरती माहौल के खिलाफ तथा संविधान विरोधी व सांप्रदायिक वक्फ संशोधन कानून की वापसी की मांग पर राज्यव्यापी विरोध दिवस का आयोजन किया गया।
पटना में जीपीओ गोलंबर पर आयोजित प्रतिरोध सभा की शुरुआत में पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर माले विधायक दल नेता महबूब आलम, विधायक व इंसाफ मंच के राज्य अध्यक्ष गोपाल रविदास, एस.के. शर्मा, अनिता सिन्हा, रईस गजनबी, प्रो. शमीम अहमद समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सभा को संबोधित किया। सभा का संचालन माले राज्य कमिटी सदस्य का. जितेन्द्र कुमार ने की।
पटना के अलावा जहानाबाद, सुपौल, नवादा, छपरा, मधुबनी, बेगूसराय, सिवान, अरवल, बिहारशरीफ, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, गया, समस्तीपुर, आरा आदि सेंटरों पर विरोध दिवस के कार्यक्रम आयोजित किए गए।
अपने संबोधन में महबूब आलम ने कहा कि वक्फ के सवाल पर भाजपा दोहरी चाल चल रही है – एक ओर मुस्लिमों के संवैधानिक अधिकारों को कानूनी रूप से खत्म कर रही है तथा दूसरी ओर, इस कानूनी घेरेबंदी के जरिए उनके खिलाफ जारी नफरत और हिंसा को वैध ठहराने तथा देश के अंदर मुस्लिम समुदाय को दोयम दर्जे का नागरिक बना देने की साजिश कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार पहलगाम आतंकी घटना को भी मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने के औजार की तरह इस्तेमाल कर रही है। आतंकी हमले में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की मौत के बाद उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल को संघी ट्रोल निशाना बना रहे हैं क्योंकि उन्होंने मुसलमानों को न टारगेट करने की अपील की थी। इसके साथ ही लोकगायिका नेहा सिंह राठौड़ और प्रो. माद्री काकोटी पर सिर्फ सवाल पूछने के लिए मुकदमा दर्ज करना सरकार की डरी और दमनकारी मानसिकता को ही दर्शाता है।
विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून सिर्फ मुस्लिम समुदाय पर हमला नहीं है, बल्कि संविधान पर हमला है। यह उसी तरह का हमला है जैसे दलित-आदिवासी, किसान-मजदूर और सभी नागरिकों के अधिकारों पर हमले हो रहे हैं। जब किसी एक समुदाय पर हमला होता है तो पूरे देश पर हमला होता है। यह पूरे देश को कमजोर करने की कोशिश है। लेकिन, अब देश ऐसी घटनाओं को हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि न्याय और एकता के व्यापक नजरिए से देखने लगा है। सभी लोग इस फासीवादी सरकार के खिलाफ एकताबद्ध हो रहे हैं।
उन्होंने वक्फ कानून को तुरंत वापस लेने तथा सांप्रदायिक उन्माद, मुस्लिम विरोधी माहौल व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। साथ ही, देश व बिहार की जनता से सामाजिक सौहार्द और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की अपील की।
उन्होंने यह भी कहा कि जाति गणना की घोषणा काफी नहीं है। सरकार इसकी तिथि की घोषणा करे। पहले से ही इस मामले में बहुत विलंब हो चुका है।
मौके पर अभ्युदय, मोहन प्रसाद, जयप्रकाश पासवान, माधुरी गुप्ता, अनय मेहता, शंभूनाथ मेहता, राखी मेहता, संजय यादव, विनय कुमार, पुनीत पाठक, अनुराधा सिंह, रामलखन चौधरी, प्रमोद यादव, गौतम घोष मुजफ्फर आलम, शहजादे आलम आदि उपस्थित थे।
(प्रेस विज्ञप्ति।)