दिल्ली दंगों की स्वतंत्र न्यायिक जांच को लेकर 250 शख्सियतों ने लिखा खत

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नई दिल्ली। ढाई सौ से अधिक नागरिकों ने फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में पुलिस की जांच को पक्षपाती और राजनीति प्रेरित करार देते हुए हिंसा की स्वतंत्र जांच किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने की मांग की है।

इन नागरिकों में स्वामी अग्निवेश, हर्ष मंदर जैसे सामाजिक कार्यकर्ता, माकपा नेता वृंदा करात, एचके दुआ और मृणाल पांडे जैसे पत्रकार प्रभात पटनायक और जयति घोष जैसे शिक्षाविद पूर्व योजना आयोग सदस्य सईदा हमीद, सेवानिवृत्त एयर वाईस मार्शल एनआई रज़ौकी आदि शामिल हैं। 

इन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर हिंसा की स्वतंत्र जांच किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने की मांग की है।

पत्र में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की तरफ से हाल में जारी रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया है जिसमें दिल्ली पुलिस की हिंसा के दौरान और बाद में भूमिका पर सवाल उठाये गये हैं। उस रिपोर्ट में भी जांच के लिए स्वतंत्र कमेटी स्थापित करने की सिफारिश की गई है।

दिल्ली पुलिस पर भाजपा नेताओं की भूमिका की पूरी तौर पर अनदेखी करने का भी आरोप है। पत्र में दिल्ली हिंसा को दिसंबर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीसएए) के विरोध में हुए विरोध-प्रदर्शनों से जोड़ने को असहमति के लोकतांत्रिक अधिकार के प्रति अन्याय करना करार दिया गया है। 

पत्र में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस चूंकि सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है और गृह मंत्री समेत भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने दिल्ली चुनाव में सांप्रदायिक चुनाव प्रचार अभियान चलाया था, दिल्ली पुलिस का हिंसा की जांच करना हितों के टकराव की स्थिति को जन्म देता है और सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को बचाने की कोशिश सच तक पहुंचने में पुलिस को रोकती है।

पत्र में कपिल मिश्रा समेत भाजपा के कई नेताओं की ‘हेट स्पीच‘ में एक भी प्राथमिकी दर्ज न करने पर भी सवाल उठाये गये हैं।  

पत्र में कहा गया है कि न्यायिक जांच निर्धारित समय में होनी चाहिए और सुनिश्चित किया जाए कि दोषियों को सजा मिले व पीड़ितों को इंसाफ। 

आपको बता दें कि दिल्ली हिंसा में 53 लोग मारे गये थे और कई अन्य घायल हुए थे।

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