पीएम मोदी और अयोध्या मंदिर।

राम मंदिर भूमि पूजन में पीएम का जाना बाबरी मस्जिद गिराने के अपराधिक कृत्य को वैधता प्रदान करने की कोशिश

भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (माले) ने कहा है कि आयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन समारोह सरकारी आयोजन में तब्दील हो गया है। उत्तर प्रदेश के प्रशासन और केंद्र सरकार की इसमें पूर्ण भागीदारी, भारतीय संविधान की मूल भावना को सोच समझ कर नष्ट करने का कृत्य है। सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले ने मंदिर निर्माण की राह खोली, उसी फैसले में 06 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाने की आपराधिक कृत्य के रूप में स्पष्ट तौर पर आलोचना की गई है।

पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार का प्रधानमंत्री के स्तर पर भूमि पूजन में शरीक होना, उस अपराध को वैधता प्रदान करने की कार्रवाई है। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त का मखौल उड़ाना तो है ही, भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर भी हमला है।

यह आयोजन केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी कोविड 19 से बचाव के प्रोटोकॉल का भी उल्लंघन है, जिसमें धार्मिक आयोजनों, बड़ी जुटान एवं 65 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों की भागीदारी पर रोक है। अयोध्या में पुजारी और तैनात पुलिस वालों का कोरोना पॉज़िटिव पाया जाना, बढ़ती महामारी के बीच में लोगों को आमंत्रित करने से मानव जीवन के लिए पैदा किए जा रहे खतरे को रेखांकित करता है।

भाकपा माले ने कहा कि राम मंदिर को कोरोना वायरस का इलाज बताने वाले भाजपा नेताओं के बयान संघ-भाजपा की धर्मांधता और कोरोना महामारी के बीच सरकार की अनुपयुक्त प्राथमिकताओं को ही दर्शाते हैं। जब कोरोना के केस दिन दूनी-रात चौगुनी गति से बढ़ रहे हैं, तब सरकार अपनी पूर्ण विफलता को लोगों की धर्मिक भावनाओं से खिलवाड़ के जरिए ढकना चाहती है।

हम जनता से अपील करते हैं कि धर्म का राजनीतिकरण करने और जन स्वास्थ्य के बजाय धार्मिक आयोजन को प्राथमिकता देने के मोदी सरकार की कार्रवाई को खारिज करें और धर्मनिरपेक्षता और न्याय के संवैधानिक उसूलों को बुलंद करें।

भाकपा माले ने कहा है कि पांच अगस्त को अपने घरों या शारीरिक दूरी का पालन करते छोटे समूहों में अपनी आवाज़ बुलंद करें। तख्तियों/पोस्टरों या वीडियो के जरिए निम्नलिखित सवाल उठाएं…

• उच्चतम न्यायालय, जिसने अयोध्या की जमीन मंदिर ट्रस्ट को दी, उसने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद का ढहाया जाना एक अपराध था। भारत के प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनकी सरकारें, शिलान्यास में शामिल हो कर उस आपराधिक कृत्य का राजनीतिक लाभ क्यूं उठाना चाहते हैं? भारत के नागरिक के तौर पर हम बाबरी मस्जिद गिराने के अपराधियों को राजनीतिक लाभ नहीं सजा दिए जाने की मांग करते हैं। 

• अनलॉक-3 के दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी धार्मिक आयोजनों पर रोक है। 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को घर पर और भीड़भाड़ से अलग रहने की सलाह दी गई है। जब 69 वर्षीय प्रधानमंत्री इन दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हैं और धार्मिक समारोह में शामिल होते हैं, क्या वे सभी भारतीयों को कोरोना से बचाव के दिशा निर्देशों को अनदेखा करने और उनका उल्लंघन करने के लिए उकसा रहे हैं?

• भारत का संविधान इस बात में दृढ़ है कि धर्म और राजनीति का मिश्रण नहीं होना चाहिए। तब भारत के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री क्यूं एक मंदिर के भूमिपूजन समारोह से राजनीतिक लाभ बटोरने की कोशिश कर रहे हैं?

• पूरा देश कोविड-19 और लॉकडाउन संकट से जूझ रहा है। साथ ही बाढ़ भी झेल रहा है, जो हर साल अपने साथ अन्य महामारियां भी लाती है। ऐसे समय में जनता को इन जानलेवा संकटों से बचाने के बजाय भारत के प्रधानमंत्री, मंदिर के शिलान्यास समारोह को राजनीतिक मंच में तब्दील करने में क्यूं व्यस्त हैं?

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