सुप्रीम कोर्ट।

सुदर्शन टीवी मामले में केंद्र को होना पड़ा शर्मिंदा, सुप्रीम कोर्ट के सामने मानी अपनी गलती

जब उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया कि सुदर्शन टीवी पर विवादित शो ‘यूपीएससी जिहाद’ के प्रसारण की अनुमति दी गयी तो क्या उस कार्यक्रम के कंटेंट पर नजर रखी गयी? तब केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में स्वीकार कर लिया कि इसमें प्रोग्राम कोड का उल्लंघन किया गया था। इस मामले को लेकर बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें केंद्र सरकार ने बताया कि सुदर्शन टीवी को उसके विवादित शो ‘यूपीएससी जिहाद’ को लेकर नोटिस जारी किया है, जिसमें शो के टेलीकास्ट को लेकर कारण पूछा गया है। साथ ही यह भी  पूछा गया है कि आखिर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए।

इससे पहले सोमवार को पिछली सुनवाईके दौरान सुदर्शन न्‍यूज़ के शो ‘बिंदास बोल’ से जुड़े मामले में उच्चतम न्यायालय ने पूछा था कि क्‍या कानून के अनुसार सरकार इसमें हस्‍तक्षेप कर सकती है। जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा था कि आज कोई ऐसा कार्यक्रम है जो आपत्तिजनक नहीं है? कानून के अनुसार सरकार इसमें हस्तक्षेप कर सकती है? रोजाना लोगों की आलोचना होती है, निंदा होती है और लोगों की छवि खराब की जाती है? उन्‍होंने सॉलिसिटर जनरल से पूछा क्या केंद्र सरकार ने चार एपिसोड के प्रसारण की अनुमति देने के बाद कार्यक्रम पर नजर रखी? इंग्लैंड में, पूर्व-प्रसारण योजना का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन भारत में हमारे पास अन्य क्षेत्राधिकार हैं। हमारे पास पूर्व-प्रकाशन प्रतिबंध के लिए शक्ति है यदि सरकार इसे लागू नहीं करती है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय में बताया कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से सुदर्शन टीवी को नोटिस जारी किया गया है। जिसमें मंत्रालय की गाइडलाइंस का जिक्र किया गया है कि केबल टेलीविजन रूल्स 1994 के तहत किसी भी कार्यक्रम में किसी विशेष समुदाय या फिर जाति पर हमला नहीं होना चाहिए। साथ ही ऐसे शब्दों का इस्तेमाल भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे सांप्रदायिकता फैले।

केंद्र की तरफ से सुदर्शन टीवी के संपादक सुरेश चव्हाणके को 28 सितंबर तक का वक्त दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि वो इस तारीख तक बताए कि कैसे उनके शो पर एक धर्म विशेष को यूपीएससी में घुसपैठ करने का आरोप लगाया गया है।साथ ही सुदर्शन टीवी को ये भी बताने को कहा है कि कैसे यूपीएससी जिहाद शो ने प्रोग्राम कोड का उल्लंघन नहीं किया है। अगर नोटिस का जवाब नहीं दिया जाता है, तो एक पक्षीय निर्णय लिया जाएगा।

तुषार मेहता ने कहा कि 28 सितंबर तक सुनवाई स्थगित होनी चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर मामले की सुनवाई नहीं होती तो अब तक यह शो पूरी तरह से प्रसारित हो चुका होता। हमें इसके बारे में सोचना चाहिए। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि मुझे लगता है कि अदालत का हस्तक्षेप अंतिम उपाय होना चाहिए। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई पांच अक्टूबर तक टाल दी। पीठ के आदेशानुसार बाकी शो के प्रसारण पर रोक जारी रहेगी। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह सुदर्शन न्यूज को दिए गए नोटिस पर कानून के मुताबिक कार्रवाई करे।इसके बाद इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुदर्शन न्यूज से पूछा कि क्या आपको लगता है कि पहले 4 एपिसोड टेलीकास्ट हुए उनमें आपने प्रोग्राम कोड का पालन किया, क्या आप पहले के एपिसोड की तरह ही शेष एपिसोड जारी रखने का इरादा रखते हैं? उन्‍होंने पूछा, कार्यक्रम में किस पर हमला किया जा रहा है। मुस्लिम समुदाय पर या ज़कात फाउंडेशन पर। उन्‍होंने कहा कि मैं नहीं जानता कि इसे कौन देखता है, लेकिन एक संस्था के रूप में सुप्रीम कोर्ट केवल मुसलमानों पर हमले के बारे में चिंतित है न कि ज़कात फाउंडेशन पर।

गौरतलब है कि सुदर्शन टीवी के एडिटर इन चीफ सुदर्शन चव्हाणके ने अपने एक शो यूपीएससी जिहाद का प्रोमो वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था, सावधान लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों पर मुस्लिम घुसपैठ का पर्दाफाश। इस शो के कंटेंट को लेकर चारों तरफ से सुरेश चव्हाणके की आलोचना हुई। आईपीएस एसोसिएशन ने कहा कि इस शो में धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया है और हम इसकी निंदा करते हैं। इसके अलावा इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने इस शो के कंटेंट को जहर बताया था।फाउंडेशन ने ट्विटर पर शो और उनके एडिटर के खिलाफ कार्रवाई की भी बात कही थी।

इसके बाद इस शो को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। 28 अगस्त को टेलीकास्ट होने से ठीक पहले हाईकोर्ट ने शो के प्रसारण पर रोक लगा दी थी। हालांकि इसके बाद फैसला सरकार पर छोड़ा गया और सरकार ने प्रोग्राम के टेलीकास्ट को हरी झंडी दे दी थी। सरकार की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद सुरेश चव्हाणके ने अपने शो की 9 सीरीज में से दो शो टेलीकास्ट किए। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उच्चतम न्यायालय ने इस शो के बाकी हिस्से पर रोक लगा दी। रोक लगाने के अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी इस पूरे मामले को लेकर जवाब मांगा। साथ ही कोर्ट ने मीडिया पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि वो जान ले कि वो किसी भी समुदाय को टारगेट नहीं कर सकती है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और केएम जोसफ ने चैनल से शो के कंटेंट को लेकर कई कड़े सवाल पूछे।सुनवाई के दौरान जस्टिस जोसफ ने कहा कि बात ये है कि आप पूरे समुदाय की छवि खराब कर रहे हैं।

गौरतलब है कि सुदर्शन टीवी मामले में उच्चतम न्यायालय के तीखे सवालों ने केंद्र सरकार को गोदी चैनलों के मामले में बैकफुट पर ला दिया है और सुदर्शन टीवी को कारण बताओ नोटिस जारी करने पर मजबूर कर दिया है। केंद्र का यहाँ तक कहना कि प्रथम दृष्ट्या यह कोड का उल्लंघन है। तो सवाल यही है कि फिर इस विवादित शो के चार एपिसोड प्रसारित होने पर केंद्र सरकार ने इसका संज्ञान उस समय तक क्यों नहीं लिया जब तक उच्चतम न्यायालय ने ऐसा करने को नहीं कहा। यह मामला उच्चतम न्यायालय के भक्तिकाल में अन्य माननीय जजों के लिए नज़ीर बनता जा रहा है, जो सरकार के सभी निर्णयों की राष्ट्रवादी मोड़ से पुष्टि कर रहे हैं, उसे संविधान और क़ानूनी प्रावधानों की कसौटी पर नहीं कस रहे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)      

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