मोदी और हरसिमरत तथा सुखबीर बादल।

कृषि विधेयक के मसले पर अकाली दल एनडीए से अलग हुआ

नई दिल्ली। शनिवार को शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने बीजेपी-एनडीए गठबंधन से अपना वर्षों पुराना नाता तोड़ लिया। ऐसा विवादित कृषि विधेयक के चलते हुआ जिसका पूरे देश और खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान पूरी ताकत से विरोध कर रहे हैं। पार्टी मुखिया सुखबीर सिंह बादल ने कोर कमेटी की बैठक के बाद इस फैसले की घोषणा की।

यह घोषणा केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा देने के एक हफ्ते बाद हुई। उन्होंने कृषि विधेयकों के विरोध में अपना इस्तीफा दिया था। उन्होंने तब कहा था कि अकाली दल किसी भी ऐसी चीज का हिस्सा नहीं हो सकता है जो किसान विरोधी हो।

पहले अध्यादेश और फिर उस पर संसद की मुहर लगने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर का इंतजार कर रहे इन दोनों बिलों के विरोध में अकाली दल ने वोट किया था। हालांकि दोनों सदनों में यह बिल ध्वनि मत से पारित हुआ था।

अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह ने कहा है कि अध्यादेश के मसले पर पार्टी से कभी भी संपर्क नहीं किया गया था इसके साथ ही उनका कहना था कि उनकी पत्नी और उस समय कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर ने किसानों की आपत्तियों के बारे में सरकार को बताया था।

गौरतलब है कि शुक्रवार को देशव्यापी किसानों के बंद और चक्का जाम के दौरान पंजाब और हरियाणा में अभूतपूर्व नजारा दिखा। जब लोग न केवल सड़कों पर थे बल्कि उन्होंने रेल की पटरियों पर कब्जा कर लिया था। इस कार्यक्रम में अकाली दल ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। यहां तक कि सुखबीर बादल ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से कहा कि वह कैबिनेट की तत्काल बैठक बुलाकर एक अध्यादेश जारी करें और पूरे पंजाब को एक मंडी घोषित करें जिससे इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि केंद्र का कृषि विधेयक राज्य में लागू नहीं किया जा सकता है।

अकाली दल बीजेपी का सबसे पुराना सहयोगी था। यह 13 दिन की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को समर्थन देने वाले पहले दलों में शुमार था। अकाली दल के बुजुर्ग नेता प्रकाश सिंह बादल एनडीए के संस्थापक सदस्य हैं। 

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