मोदी और चिराग।

पाटलिपुत्र की जंग: भाजपा की सियासी पटकथा के रोल मॉडल बन गए हैं चिराग!

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान को लेकर आज देर शाम चुनाव प्रचार समाप्त हो जाएगा। इसके ठीक एक दिन पूर्व लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने ट्वीट कर कहा कि जिन सीटों पर लोजपा के उम्मीदवार नहीं है, वहां भाजपा को वोट करें। उनका यह बयान आने के बाद बिहार की सियासत में कोई खास गर्मी आती नहीं दिखी। जानकारों का मानना है कि बिहार में चुनाव अभियान शुरू होने के पहले ही भाजपा ने जो पटकथा लिखी थी उसी पर चिराग पासवान आगे बढ़ रहे हैं। इस बात को राजनीति के माहिर  खिलाड़ी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी ठीक से समझते हैं।

चिराग के मौजूदा बयान के पीछे की राजनीति समझने के लिए पहले भाजपा की सियासत को समझना सबसे ज़रूरी है। देश के अधिकांश हिंदी भाषी राज्यों में अपनी पैठ जमाने के बाद भाजपा के लिए बिहार हमेशा चुनौती भरा रहा है। भाजपा की अपने बलबूते बिहार में सरकार बनाने का सपना लंबे समय से बना हुआ है। इस कोशिश को अंजाम देने के लिए नीतीश कुमार को भाजपा अपना सहयोगी बनाती रही है। इसके चलते भाजपा व नीतीश कुमार के बीच राजनीतिक दांव पेंच का खेल भी पिछले 15 वर्षों में कई बार देखने को मिला है। लेकिन इस खेल में जीत की बाजी हर बार नीतीश कुमार के हाथों में रही। इस परिणाम को ही किसी भी तरह बदलने के लिए भाजपा आतुर दिख रही है।

भाजपा ने इस बार अपने गठबंधन दलों के साथ टिकट बंटवारे में जो दरियादिली दिखाई उसके पीछे की राजनीति भी साफ है। जीतन राम माझी की पार्टी हम व सहनी के दल वीआईपी को सम्मानजनक सीट देकर नीतीश के जनाधार को साधने की कोशिश की। ताकि बदली हुई परिस्थिति में भी बाजी अपने हाथ में रह सके। उधर, लोजपा को लेकर भाजपा नेतृत्व की नरमी शुरू से ही दिखती रही है। भाजपा की इस सियासी पटकथा का मुख्य विषय यह रहा है कि किसी भी हालत में चुनाव परिणाम आने पर नीतीश के पास सीटों की संख्या कम रहे। जिससे कि उनकी मुख्यमंत्री की दावेदारी कमजोर पड़ जाए। हालांकि भाजपा नेतृत्व यह भी जानता है कि नीतीश कुमार को नकार कर बिहार में वह अपनी सीट नहीं बढ़ा सकता। नीतीश को लेकर चल रही इस चर्चा पर लोगों में भ्रम बना रहे यह भाजपा की कोशिश रही है।

राजग के सीटों की घोषणा के बाद भाजपा के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र फडनवीस व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बयान जारी कर कहा कि गठबंधन से इतर दल अगर चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम व फोटो का प्रयोग करते हैं तो चुनाव आयोग से शिकायत की जाएगी। ये इशारा लोजपा प्रमुख चिराग पासवान के लिए था। दूसरी तरफ लोजपा प्रमुख ने कहा कि केंद्र में हम गठबंधन का हिस्सा हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे दिल में हैं। इसको लेकर बना भ्रम नरेंद्र मोदी की रैली से ही दूर हो गया। अपने प्रथम चरण के दौरे के दौरान चुनावी सभा में नरेंद्र मोदी ने मंच से केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को श्रद्धांजलि दी पर एनडीए के साथ लोजपा के रिश्ते पर खामोश दिखे। यह सारे तथ्य भाजपा का लोजपा के प्रति प्रेम बरकरार रहने के कयासों को सच में तब्दील करते दिख रहे हैं।

इसी क्रम में चिराग पासवान का यह हालिया बयान कि जहां लोजपा के उम्मीदवार नहीं हैं, वहां भाजपा को हमारे लोग वोट करेंगे को देखा जा रहा है।

भाजपा लोजपा की अंदर खाने पक रही इस खिचड़ी को समझने के लिए नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाले विज्ञापनों को देखकर भी अंदाजा लगाया जा सकता है। भाजपा के लिए कहने को भले ही मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार हैं लेकिन उसके इन विज्ञापनों में नीतीश की तस्वीर गायब है। ऐसे में यह लग रहा है कि भाजपा मोदी के चेहरे पर ही अब चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है। 

उधर भाजपा की चुनावी पटकथा के हिस्सा नीतीश कुमार को इस नजरिये से देखा जा रहा है जैसे कि वे कह रहे हों,

गैरों पर करम अपनों पर सितम,

ये जाने वफा यह जुल्म न कर। रहने दे अभी थोड़ा सा भरम,

ये जाने वफा यह जुल्म न कर।

फिलहाल इस भ्रम व हकीकत में कितनी दूरी है। यह आने वाला समय ही बताएगा। फिर भी यह सच है कि बिहार को लेकर भाजपा कितना भी दांव पेंच खेल ले पर पूर्व के अनुभव बताते हैं कि नीतीश कुमार के पलटवार का जवाब नहीं है।

(पटना से स्वतंत्र पत्रकार जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट।)

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