अरुंधित रॉय और उनकी किताब।

किताब को पाठ्यक्रम में बनाए रखने के लिए लड़ना मेरा कर्तव्य नहीं: अरुंधति रॉय

नई दिल्ली।(मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय की किताब ‘वाकिंग विद द कॉमरेड्स’ को तमिलनाडु के मनोमणियम सुंदरानर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह फैसला संघ से जुड़े संगठन विद्यार्थी परिषद के दबाव में लिया है। तमिलनाडु समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में इसका विरोध शुरू हो गया है। तमिलनाडु के विपक्षी दलों ने प्रशासन के इस फैसले पर कड़ा एतराज जाहिर किया है। इस मसले पर खुद अरुंधति रॉय ने एक बयान जारी किया है। पेश है उनका पूरा बयान-संपादक)

जब मैंने विद्यार्थी परिषद के दबाव और धमकी के बाद अपनी किताब ‘वाकिंग विद द कॉमरेड्स’ के मनोमणियम सुंदरानर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से हटाए जाने के बारे में सुना तो- बेहद आश्चर्यजनक तौर पर दुखी होने की जगह मैं बहुत खुश हुई। क्योंकि मुझे तो पता ही नहीं था कि यह पाठ्यक्रम में है। मुझे प्रसन्नता है कि यह बहुत सालों से पढ़ाई जा रही थी। इस बात को लेकर कि इसे पाठ्यक्रम से निकाल दिया गया है, मुझे थोड़ा भी झटका या आश्चर्य नहीं हुआ है। एक लेखक के तौर पर उसे लिखना मेरा कर्तव्य था। एक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में उसको बनाए रखने के लिए लड़ना मेरा कर्तव्य नहीं है। ऐसा करने या फिर न करने की जिम्मेदारी दूसरों की है।

बहरहाल इसे व्यापक तौर पर पढ़ा गया है और जैसा कि हम जानते हैं पाबंदियां लेखकों को पढ़े जाने से नहीं रोक पाती हैं। हमारी मौजूदा सत्ता के द्वारा साहित्य के प्रति प्रदर्शित यह संकीर्ण, छिछला, असुरक्षात्मक रवैया केवल अपने आलोचकों के लिए नुकसानदायक नहीं है बल्कि यह उसके अपने लाखों समर्थकों के लिए भी नुकसानदेह है। यह हमारी सामूहिक बौद्धिक क्षमता को सीमित और बाधित कर देगी जिसके लिए एक समाज और देश के तौर पर हम सम्मान और स्वाभिमान का एक स्थान हासिल करने के लिए पूरी दुनिया में प्रयासरत हैं। 

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments