गुजरात उपचुनाव: मुस्लिमों ने कांग्रेस को नहीं, निर्दलीय को दिया वोट

अहमदाबाद। लाभ पाचम् के शुभ दिन दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर गुजरात उपचुनाव जीतकर आठ विधायकों में से सात ने विधानसभा अध्यक्ष की उपस्थिति में शपथ ली। करजन से विधायक अक्षय पटेल ने समय से न पहुंच पाने के कारण शुभ मुहुर्त बीत जाने के बाद देर से शपथ ली। ये सभी विधायक 2017 में कांग्रेस से चुनाव जीते थे, लेकिन राज्यसभा चुनाव के समय कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हो गए।

दल बदल कानून के चलते सभी ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। इस कारण उपचुनाव हुआ और इस उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस की सभी आठ सीटें अपने खाते में डाल कर कांग्रेस को दोबारा 2012 की परिस्थिति में डाल दिया है। 2017 विधानसभा चुनाव में 99 पर अटकने वाली भाजपा अब 111 पर पहुंच गई। अब सदन में कांग्रेस के 65, BTP के 2, NCP का एक और निर्दलीय विधायक विपक्ष में हैं। दो सीटें खाली हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों की वजह से लोगों का ध्यान उप चुनावों की तरफ कम ही गया है। इन उप चुनावों में कांग्रेस की हार पर चर्चा कम ही हुई। छत्तीसगढ़ को छोड़ अन्य राज्यों में कांग्रेस को बीजेपी से मुंह की खानी पड़ी है। कांग्रेस ने इस उपचुनाव में मध्य प्रदेश और गुजरात की वह सीटें खोई हैं, जो उसने विधानसभा आम चुनाव में जीती थीं।

गुजरात विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस सभी आठ सीटें भाजपा से हार गई है, जो 2017 में जनता ने कांग्रेस की झोली में डाली थीं और राज्यसभा चुनाव के समय कांग्रेसी विधायकों ने इस्तीफा देकर पाला बदला था। कांग्रेस मुस्लिम बहुल अबडासा की सीट भी हार की गई, जहां दो लाख 25 हजार वोटों में लगभग 70 हजार मुस्लिम और 32 हजार दलित मतदाता हैं। दरबार (क्षत्रिय) और पाटीदार 30-30 हजार।

अबडासा उपचुनाव में 10 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रद्युम्न सिंह जडेजा को उम्मीदवार बनाया था, जो राज्यसभा चुनाव के समय भाजपा के साथ आए थे। मुस्लिम बहुल अबडासा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रद्युम्न सिंह जाडेजा ने कांग्रेस पार्टी के डॉ. शांतिलाल शेंघानी को 36778 मतों के बड़े अंतर से प्राजित कर दिया। इस सीट पर निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवार पदयार हनीफ जकब को 26463 मत मिले जो तीसरे स्थान पर थे। चौथे स्थान पर बहुजन मुक्ति पार्टी के याकूब अचर भाई मुतवा थे, जिन्होंने 4936 मत प्राप्त किए।

परिणाम से लगता है कि मुस्लिमों के अलावा दलित वोट को भी हासिल करने में कांग्रेस असफल रही, जबकि उपचुनाव से पहले मुस्लिम उम्मीदवार की मांग हो रही थी। जिसे पार्टी ने दरकिनार किया। उस समय जनचौक ने प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा से मुस्लिम उम्मीदवारी के बारे में बात की थी। उस बातचीत में चावड़ा ने कहा था, “पार्टी ने एक प्राइवेट सर्वे किया है और लोकल कार्यकर्ताओं से बात कर रही है, जिसके आधार पर उम्मीदवार तय किए जाएंगे। हम जाति धर्म से हटकर उम्मीदवार तय करेंगे।”

इकबाल मंधरा जो अबडासा कांग्रेस के ब्लॉक प्रमुख हैं, कहते हैं कुछ गांव ऐसे हैं जहां सौ प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। वहां बीजेपी को वोट मिलना असंभव सा है, परंतु वहां इस मतदान में निर्दलीय और भाजपा को अच्छे वोट मिले हैं। मुझे ईवीएम पर शक है, क्योंकि कांग्रेस से नाराज़गी नहीं थी। पार्टी ने 2022 में कच्छ की छह विधान सभा में से एक सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार देने का वादा भी किया था। हनीफ जो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता थे। चुनाव से पहले हम सभी लोग पार्टी नेताओं से अहमदाबाद मिले थे, किसी को कोई नाराज़गी नहीं थी। यहां आने के बाद अचानक फार्म भी चुनाव में खड़े हो गए।”

इक़बाल मानते हैं कि इस प्रकार की सीट से मुस्लिम चुनाव जीत सकते हैं, लेकिन पार्टी में ही ऐसा प्रोपगंडा किया जाता है कि मुस्लिम नहीं जीत सकते जिस कारण पार्टी भी मुस्लिम को टिकट देने से बचती है। प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष गुलाब राउमा कहते हैं कि ज़रूरी नहीं कि मुस्लिम उम्मीदवार होता तो जीत ही जाता। वहाँ मुस्लिमों में भी जातियों का फैक्टर काम करता है।

अब्डासा के मुस्लिम, जो कांग्रेस में सक्रिय नहीं है उनका कहना है कि मुस्लिमों की नाराज़गी इस बात पर अधिक थी कि 2017 में कांग्रेस को वोट दिया था, लेकिन कांग्रेस विधायक के पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो जाने से कांग्रेस से मुस्लिम असंतुष्ट थे, इसलिए मुस्लिमों ने निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवार को वोट किया और कांग्रेस हार गई।

(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)

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