अर्णब व्हाट्सऐप चैट्स लीक्स ने नीरा राडिया टेप कांड की दिला दी याद

क्या आपको कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया का टेप कांड याद है, जिसमें प्रख्यात संपादक वीर सांघवी, प्रख्यात पत्रकार बरखा दत्त और कई अन्य प्रमुख पत्रकार कांग्रेस में अपने रसूख के दम पर डीएमके को विभाग दिलाने और किसी खास नेता को खास विभाग का मंत्री बनवाने के अभियान में शामिल थे। इस कांड के बाद वीर सांघवी, बरखा दत्त, प्रभु चावला जैसे शीर्ष पत्रकार मुख्यधारा से नेपथ्य में चले गए।

इसी तर्ज़ पर लीक हुए व्हाट्सऐप चैट्स ने अब रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी के असली चेहरे को बेनकाब कर दिया है। पता चला है कि रिपब्लिक टीवी के मालिक और संपादक अर्णब गोस्वामी केंद्र सरकार में अपनी पहुंच के दम पर टेलिकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया यानी ट्राई और भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय में बन रही नीतियों को प्रभावित कर रहे थे।

भारत में हर कुछ समय पर बड़े-बड़े घोटाले आते हैं और लोग पुराने घोटालों को भूल जाते हैं। राडिया कांड का भूत अभी दफन नहीं हुआ है, लेकिन अधिकांश लोगों की स्मृति से उतर चुका है। अब अर्णब व्हाट्सऐप चैट्स कांड में शर्मसार होने की बारी भाजपा की है और आने वाले दिनों में और भी विस्फोटक खुलासे होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

अर्णब के लीक हुए व्हाट्सऐप चैट्स से जो खुलासे हो रहे हैं, उससे मोदी सरकार की साख पर बट्टा लग गया है। अभी तक रिपब्लिक टीवी के अर्णब गोस्वामी से सीधे तौर पर जुड़े करीब एक हजार पेज की व्हाट्सऐप चैट्स पिछले दो दिनों में सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं। आने वाने महीनों में ऐसी हजारों और चैट्स कोर्ट में बतौर एविडेंस सौंपी जा सकती हैं। ये वायरल  व्हाट्सऐप चैट्स से तमाम लोगों के चेहरे पर कालिख पुत गई है।

अर्णब गोस्वामी की लीक हुई चैट से सामने आया है कि कैसे उन्होंने अपने चैनल की टीआरपी बढ़ाने के लिए पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन को भी नहीं बख्शा। जेटली के निधन को रिपब्लिक भारत हिंदी में एक बड़ी जीत के रूप में ‘जश्न’ मनाया गया।

अर्णब की चैट से नए खुलासे:
सरकार के कई फैसले अर्णब को पहले से पता होते थे, चाहे बालाकोट स्ट्राइक हो या कश्मीर में 370 हटाने का निर्णय। अर्णब गोस्वामी और ब्राडकॉस्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पार्थो दासगुप्ता के साथ व्हाट्सऐप चैट से उनकी लित्थड़-चित्थड़ पत्रकारिता का सच सबके सामने आ गया है। चैट्स सामने आने के बाद अर्णब पर अपने चैनल को टीआरपी का फायदा पहुंचाने के लिए पत्रकारिता की नैतिकता को ताख पर रखने के आरोप लगने शुरू हो गए हैं।

इस केस में अभी तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और दो किस्तों में उन पर गत नवंबर और अब जनवरी में चार्जशीट दायर की गई है। लीक हुई वॉट्सऐप चैट्स उन्हीं चार्जशीट का हिस्सा हैं। इस केस में अभी भी रिपब्लिक टीवी से ही जुड़े करीब आधा दर्जन लोग वॉन्टेड हैं।

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर इन कथित चैट्स के विभिन्न हिस्से ट्वीट किए जा रहे हैं। इनमें गोस्वामी और दासगुप्ता के बीच एनबीए को जाम करने, केंद्र सरकार के मंत्रियों का समर्थन आदि को लेकर जिक्र किया गया है। वहीं, चैट में बालाकोट एयर स्ट्राइक से तीन दिन पहले किसी बड़ी स्ट्राइक का जिक्र भी है।

इन वायरल वॉट्सऐप चैट्स में अर्णब गोस्वामी 23 फरवरी, 2019 को तत्कालीन बार्क सीईओ से कहते कि ‘कुछ बड़ा’ होने वाला है, जिसके बाद जब उनसे कहा गया कि क्या यह दाऊद के बारे में है तो वह जवाब देते हैं, ”नहीं सर, पाकिस्तान। इस बार कुछ अहम होने जा रहा है।” पार्थो दासगुप्ता अगले जवाब में स्ट्राइक का जिक्र करते हैं तो अर्णब कहते हैं, ”नॉर्मल स्ट्राइक से बड़ी स्ट्राइक होने वाली है और उसी समय कुछ कश्मीर में भी अहम होगा।” मालूम हो कि साल 2019 में 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था, जिसके बाद 26 फरवरी को भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक कर पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को धवस्त कर दिया था।

17 मई, 2017 को पार्थो दासगुप्ता और अर्णब गोस्वामी के बीच हुई कथित चैट में केंद्र सरकार के मंत्रियों का भी जिक्र किया गया है। चैट के अनुसार, दासगुप्ता कहते हैं कि सभी तरह के पॉलिटिकल गेम्स की शुरुआत हो गई है, तो इसके जवाब में गोस्वामी कहते हैं कि सभी मंत्री हमारे साथ हैं। वॉट्सऐप चैट्स में पार्थो दासगुप्ता के पूरे नाम की जगह पीजीडीए का नाम लिखा हुआ है। ट्वीट करने वालों का दावा है कि यह पूर्व बार्क सीईओ पार्थो दासगुप्ता हैं। वहीं, एक न्यूज चैनल के संबंध में एक जगह दासगुप्ता कहते हैं कि एनबीए को जाम कर दिया गया है और आपको पीएमओ से मेरी मदद करनी होगी।

5 अगस्त 2019 को सरकार ने कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाया था। तीन दिन पहले यानी 2 अगस्त को ही दासगुप्ता अर्णब से पूछते हैं कि क्या आर्टिकल-370 हटने वाला है। इसके जवाब में अर्णब कहते हैं, मैंने ब्रेकिंग न्यूज में प्लेटिनम स्टैंडर्ड सेट किया है। ये हमारी खबर है। अर्णब चार अगस्त की चैट में कश्मीर में धारा-144 लगाए जाने की खबर भी सबसे पहले ब्रेक करने का दावा करते हैं।

एक चैट में अर्णब, एक्टर ऋतिक रोशन और कंगना रनौत को लेकर बात कर रहे हैं। अर्णब कहते हैं कि मेरी नजर में ऋतिक बेवकूफ हैं और कंगना को शिजोफ्रेनिया है।

इस बीच दासगुप्ता की सेहत शनिवार को अचानक खराब हो गई। इसके बाद उन्हें मुंबई के राजकीय जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूत्रों के मुताबिक, दासगुप्ता डायबिटीज के पेशेंट हैं और शुगर लेवल बढ़ने के बाद उन्हें शनिवार तड़के हॉस्पिटल लाया गया। फिलहाल वे ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम पर हैं।

सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अर्णब और दासगुप्ता के बीच यह बातचीत 2019 में हुई थी। इसे मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के पास मौजूद 500 पेज की वॉट्सऐप चैट का हिस्सा बताया जा रहा है। हालांकि, मुंबई पुलिस ने अब तक इन स्क्रीनशॉट्स की पुष्टि नहीं की है।

चैट के स्क्रीनशॉट्स को सोशल मीडिया पर कुछ वेरिफाइड अकाउंट्स से पोस्ट किया गया है। इनमें सबसे बड़ा नाम है वकील प्रशांत भूषण का। उन्होंने कहा है कि इन स्क्रीनशॉट्स से पता चलता है कि इस सरकार में कितनी साजिशें हो रही हैं और सत्ता तक कैसे लोगों की पहुंच है। इस देश के कानून के तहत उन्हें लंबी जेल होगी। दूसरा नाम है प्रशांत कनौजिया, जो ‘बहुजन मैगजीन’ के एडिटर हैं। उन्होंने स्क्रीनशॉट्स शेयर कर अर्णब को टीआरपी टेररिस्ट बताया है।

नीरा रडिया टेप कांड उच्चतम न्यायालय की देहरी तक पहुंचा था। भारत सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपने शपथपत्र में कहा था कि नीरा राडिया की बातचीत आयकर महानिदेशालय के निर्देश पर टेप की गई थी। उसके अनुसार ऐसा वित्त मंत्रालय को मिली एक शिकायत के बाद किया गया था, जिसमें नीरा राडिया पर सिर्फ़ नौ साल में 300 करोड़ की कंपनी खड़ी करने के आरोप लगाए गए थे। सरकार का यह भी आरोप था कि नीरा राडिया विदेशी ख़ुफ़िया एजेंसियों की एजेंट हैं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त रही हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने राडिया टेप कांड का खूब फायदा उठाया और जनता के बीच यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि किस प्रकार सोनिया गांधी और मीडिया से जुड़े हुए उनके निकट के लोग देश के सत्ता तंत्र का इस्तेमाल करके देश विरोधी कार्यों में लगे हुए हैं। भाजपा को तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कमजोर स्थिति भी जनता के सामने दिखाने में देर नहीं लगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और इलाहाबाद में रहते हैं।)

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