झारखंड की राजधानी रांची में संविदाकर्मियों पर बरसी पुलिस की लाठियाँ

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सत्ता बदल जाने से सत्ता का चरित्र नहीं बदल जाता है, इसका ताजा उदाहरण कल झारखंड की राजधानी रांची में उस वक्त देखने को मिला, जब संविदाकर्मी अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास को घेरने के लिए बिरसा चौक से निकल रहे थे। पुलिस ने संविदाकर्मियों को जाने से मना किया, संविदाकर्मियों द्वारा पुलिस की बात ना मानने पर पुलिस ने लाठियों से संविदाकर्मी महिला-पुरुष को दौड़ा-दौड़ाकर पीटना शुरु कर दिया। जिसमें कई संविदाकर्मी महिला-पुरुषों को गंभीर चोटें आयी हैं।

मालूम हो कि लगभग 13 महीने पहले जब झारखंड में भाजपा की सरकार थी, तो इसी तरह पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा जाता था। जनता ने भाजपा के कुशासन व तानाशाही सरकार से तंग आकर महागठबंधन (झामुमो, कांग्रेस व राजद) को चुना और झामुमो के हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने, लेकिन आम जनता पर दमन बदस्तूर जारी है।

आपको बता दें कि सेवा अवधि विस्तार करने की मांग को लेकर संविदाकर्मी 25 दिसंबर से ही रांची के बिरसा चौक पर धरनारत हैं। कल वे अपनी मांग को लेकर ज्ञापन सौंपने सीएम आवास जा रहे थे जहां पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया लेकिन पुलिस की मनाही के बावजूद संविदा कर्मी आगे बढ़ने लगे। बस पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया और इस लाठीचार्ज में कई कर्मी घायल हुए हैं।

लाठीचार्ज के साथ पुलिस ने आंदोलनकारियों का टेंट भी ध्वस्त कर दिया है। लाठीचार्ज में कई लोगों को गंभीर चोट भी आई है। किसी कर्मी का पैर टूट गया है, तो किसी के सिर पर चोट लगी है। इसके अलावा कुछ महिलाएं घायल भी हुई हैं। लाठीचार्ज के दौरान बिरसा चौक पर भगदड़ मच गई, जिसके कारण वहां करीब 1 घंटे तक जाम रहा।

14वें वित्त आयोग के तहत झारखंड में करीब 1600 जूनियर इंजीनियर्स और लेखा लिपिक नियुक्त किये गये थे। मालूम हो कि मार्च, 2020 में इनकी सेवा खत्म हो गयी थी, लेकिन सरकार ने पहले 3 महीने और फिर 6 महीने का सेवा विस्तार दिया। लेकिन, सरकार की ओर से दिसंबर, 2020 में उनकी सेवा खत्म होने के बाद उन्हें सेवा विस्तार नहीं दिया।

प्रदर्शन कर रहे संविदा कर्मियों का आरोप है कि 15वें वित्त आयोग के तहत सरकार आउटसोर्सिंग के तहत जूनियर इंजीनियर और कंप्यूटर ऑपरेटर्स की सेवा लेना चाह रही है। 14वें वित्त आयोग के संविदाकर्मियों को सेवा विस्तार नहीं मिलने और 15वें वित्त आयोग के तहत आउटसोर्सिंग से कार्य लेने के सरकार के निर्णय के खिलाफ इन संविदाकर्मियों ने आंदोलन छेड़ रखा है।

मालूम हो कि 14वें वित्त आयोग के तहत संविदा पर जूनियर इंजीनियर और कंप्यूटर ऑपरेटर नियुक्त हुए थे। हर प्रखंड में 2 जूनियर इंजीनियर और हर तीन पंचायत पर एक लेखा लिपिक सह कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति की गयी थी। इस संबंध में कर्मचारी संघ के कर्मियों ने आरोप लगाया कि झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम सहित अन्य मंत्री और विधायकों को भी ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन कहीं कोई समाधान नहीं निकल पाया है।

(स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की रिपोर्ट।)

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