जेएनयू के 48 शिक्षकों के खिलाफ प्रशासन ने शुरू की अनुशासनात्मक कार्रवाई

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नई दिल्ली। शिक्षकों की एक हड़ताल में भाग लेने का आरोप लगा कर जेएनयू प्रशासन ने 48 अध्यापकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई सेंट्रल सिविल सर्विसेज (सीसीएस) के नियमों के तहत की जा रही है जो सरकारी कर्मचारियों पर लागू होता है।

इन अध्यापकों के खिलाफ वीसी के हस्ताक्षर वाला नोटिस भेज दिया गया है। आपको बता दें कि अध्यापकों ने जेएनयू के शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) के नेतृत्व में आरक्षण नीति के उल्लंघन, डीन और चेयरपर्सन के मनमाने तरीके से निष्कासन और यूजीसी तथा मानव संसाधन से जुड़ी कुछ मांगों को लेकर हड़ताल का आह्वान किया था। जिसमें इन शिक्षकों ने भाग लिया था।

पिछले साल ही इसको लेकर इन शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। मामला इस साल जून में संपन्न हुई एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में भी आया था। इस बैठक में शिक्षक संघ न ईसी से मामले पर पुनर्विचार करने का निवेदन किया था।

24 जुलाई को जारी हुए ज्ञापन में सीसीएस का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि कोई भी सरकारी नौकर अपनी किसी सेवा या फिर किसी दूसरे सरकारी नौकर की सेवा से जुड़े मसले पर हड़ताल या फिर किसी तरह के झगड़े या कि शारीरिक तनाव में नहीं जाएगा। इन शिक्षकों के ऊपर आरोप सिक्योरिटी डिपार्टमेंट द्वारा मुहैया कराए गए वीडियो और उनकी रिपोर्ट के आधार पर तय किया गया है।

इसमें 27 जुलाई 2018 को रजिस्ट्रार द्वार जारी किए गए एक सर्कुलर का भी हवाला दिया गया है जिसमें हड़ताल पर न जाने की चेतावनी दी गयी थी। इन 48 शिक्षकों में जेएनयूटीए के मौजूदा और पिछले साल के पदाधिकारी भी शामिल हैं।

सर्कुलर के अलावा यह कहता है कि दूसरे अध्यापकों के साथ हड़ताल में भाग लेने वाले शिक्षकों की यह गतिविधि बिल्कुल साफ तौर पर विश्वविद्यालय के नियमों और शर्तों के खिलाफ है साथ ही यह दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों की भी अवमानना है।

फैकल्टी सदस्यों को 15 दिन के भीतर अपना लिखित जवाब देने का निर्देश दिया गया है। साथ ही उनसे यह पूछा गया है कि क्या वे सशरीर उपस्थित होकर अपना पक्ष रखेंगे। ऐसा न होने पर उनके खिलाफ एकतरफा तरीके से फैसला ले लिया जाएगा।

जेएनयूटीए की आम सभा की बैठक में इसका पुरजोर विरोध किया गया है। जिसमें सामूहिक तौर पर यह प्रस्ताव पारित किया गया कि “जीबीएम इस बात को चिन्हित करना चाहती है कि जेएनयू एक स्वायत्त संस्था है…..और 1964 के सीसीएस नियमों के तहत शिक्षक सरकारी नौकर नहीं हैं….विश्वविद्यालय इस तरह की कोई अथारिटी नहीं है जिसे किसी और खासकर अध्यापकों पर इस तरह का शर्तें थोपने का अधिकार हो।”

इंडियन एक्सप्रेस ने जब वीसी, रजिस्ट्रार और रेक्टर से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया।

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