बिहार: वैक्सीन लेने के बावजूद मेडिकल छात्र की कोरोना से मौत

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फरवरी के पहले सप्ताह में कोवैक्सिन का पहला टीका लगवाने वाले नालंदा मेडिकल कॉलेज के छात्र शुभेंदु सुमन की कोविड-19 से मौत हो गई है। शुभेंदु की मौत सोमवार 1 मार्च को हुई। 23 वर्षीय शुभेंदु सुमन की मौत कोवैक्सिन का पहला टीका लगवाने के ठीक 22 वें दिन हुई है। शुभेंदु  NMCH में एमबीबीएस के फाइनल ईयर के छात्र थे और वो जिला बेगूसराय, दहिया गांव के रहने वाले थे। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुभेंदु सुमन ने 22 दिनों पहले ही यानि फरवरी के पहले हफ्ते में वैक्सीन ली थी। 25 फरवरी को वो कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद वो अपने घर बेगुसराय चले गए, जहां 27 फरवरी को उन्हें एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन 1 मार्च सोमवार की शाम उनका कोरोना से निधन हो गया। बता दें कि NMCH में अब तक 15 छात्र कोविड-19 पॉजिटिव पाये गये हैं और इनमें से बहुत सारे छात्रों ने कुछ हफ्ते पहले ही वैक्सीन की पहली डोज ली थी। अब इस मेडिकल कॉलेज के सभी छात्रों का RT-PCR टेस्ट कराया जा रहा है। 

वहीं अब इस मामले में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कोविड वैक्सीन का बचाव करते हुए प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि “यह समझना होगा कि एंटीबॉडी वैक्सीन लगने के छह सप्ताह के बाद बनती है। दूसरे डोज के 14 दिन बाद से एंटीबॉडी बनती है। ऐसे में यह गलत है कि पहले डोज के बाद से ही एंटीबॉडी बनने लगेगी।” 

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने मेडिकल छात्र की मौत पर दुख जताया है। उन्होंने आगे कहा है कि ” ऐसी किसी एक घटना से भी बहुत दुख होता है, खासकर किसी चिकित्सक की मौत पर। छात्र की मौत की ख़बर सुनकर दुखी हूं। कोरोना को रोकने के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। “

उन्होंने आगे बताया कि छात्र की मौत के बाद कुछ और डॉक्टर भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।अस्पताल प्रशासन की उन पर नज़र है और उनका ध्यान रखा जा रहा है।” 

ऋषिकेश एम्स में भी कोरोना टीका लगवाने के बाद मेडिकल छात्र की मौत

इससे पहले कोविशील्ड (Kovishield) का टीका लगवाने के महज 14 दिन बाद ही एम्स ऋषिकेश के 24 वर्षीय प्रशिक्षु नीरज सिंह की मौत हो गई थी। नीरज सिंह को तीन फरवरी को टीके का पहला डोज दिया गया था। बाद में नीरज की तबियत बिगड़ी तो एम्स अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज शुरू कर दिया गया, लेकिन स्वस्थ करने के भरसक प्रयास के बाद भी उनकी 14 फरवरी को मौत हो गयी थी। 

16 जनवरी से स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन टीका दिया जा रहा है

देश में 16 जनवरी से कोविड-19 के खिलाफ़ वैक्सीनेशन कार्यक्रम की शुरूआत किया गया है। हालांकि तमाम विशेषज्ञ इसे हड़बड़ी में उठाया गया कदम बता रहे थे। जबकि कोवैक्सिन का प्रॉपर ट्रॉयल भी पूरा नहीं हुआ था। 

कोवैक्सिन के ट्रॉयल के दरम्यान ही भोपाल के पीपुल्स अस्पताल में दीपक मरावी नामक मजदूर की मौत हुई थी। दीपक मरावी की मौत भी टीके की पहले डोज लेने के 8 दिन बाद 21 दिसंबर को हुई थी। दीपक मरावी की मौत के अगले ही दिन जांच के लिए राज्य सरकार ने एक कमेटी बनाई और इस कमेटी ने एक ही दिन में जांच रिपोर्ट भी सौंप दी थी। इससे समझा जा सकता है कि टीकाकरण को लेकर सरकार किस कदर हड़बड़ी में है। 

वहीं उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिला अस्पताल के 46 वर्षीय वॉर्ड ब्वॉय महिपाल सिंह की मौत कोरोना टीका लगवाने के 24 घंटे के अंदर ही हो गयी थी। महिपाल सिंह को 16 जनवरी को कोरोना वायरस का टीका लगाये जाने के बाद उनकी तबीयत खराब हो गई और वह घर चले गए थे। हालांकि रविवार को तबियत ज्यादा बिगड़ गई और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई। इसके बाद परिवार ने आरोप लगाया था कि कोरोना वैक्सीन लगाने की वजह से मौत हुई है। 

वैक्सीनेशन के पहले चरण में देश भर के लाखों हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीके पहली खुराक दिया गया था। 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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