यूपी में बीजेपी ने शुरू कर दिया सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल

जैसे जैसे चुनावी दिन नज़दीक आ रहे हैं भाजपा अपने असली रंग में आती जा रही है। विकास के कट-पेस्ट विज्ञापन (फेक विज्ञापन) पर बुरी तरह से एक्सपोज होने के बाद भाजपा ने अपनी ज़मीन पर खेलने का फैसला कर लिया है। साथ ही भाजपा ने चुनाव में विपक्ष के रूप में एक सॉफ्ट टारगेट भी चुन लिया है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिछले दो बयान और प्रधानमंत्री मोदी के अलीगढ़ में दिये गये बयान से स्पष्ट है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में अपनी कामयाबियों नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी की नाकामियों के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने जा रही है। 

भाजपा सीधे-सीधे समाजवादी पार्टी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने जा रही है। यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा बनाम सपा, हिंदू बनाम मुस्लिम का नैरेटिव खड़ा करने की कवायद शुरु हो गयी है। 

परसों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साल 2013 के मुज़फ्फ़रनगर के गड़े मुर्दे उखाड़ते हुये चुनाव को जहरीला बनाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने मुज़फ्फ़रनगर दंगे को सत्ता (सपा) प्रायोजित करार देते हुए कहा कि निर्दोष लोगों पर मुक़दमे दर्ज़ हुये, जिन्हें बहुत पहले ही वापस ले लेना चाहिए था।

इससे पहले 12 सितंबर रविवार को  कुशीनगर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने यूपी में पहले की समाजवादी पार्टी सरकार का परोक्ष रूप से उल्लेख करते हुए कहा था, ‘अब्बा जान कहने वाले गरीबों की नौकरी पर डाका डालते थे। पूरा परिवार झोला लेकर वसूली के लिए निकल पड़ता था। अब्बा जान कहने वाले राशन हजम कर जाते थे। राशन नेपाल और बांग्लादेश पहुंच जाता था। आज जो गरीबों का राशन निगलेगा, वह जेल चला जाएगा।’

इससे पहले 14 सितंबर को अलीगढ़ में समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुये कहा था कि “एक दौर था जब यहां शासन-प्रशासन, गुंडों और माफियाओं की मनमानी से चलता था। लेकिन अब वसूली करने वाले, माफियाराज चलाने वाले सलाखों के पीछे हैं।  उन्होंने आगे कहा था कि भूल नहीं सकते कि यहां पहले किस तरह से घोटाले थे, किस तरह से राजकाज को भ्रष्टाचारियों के हवाले कर दिया गया था”। पीएम मोदी ने कहा कि आज योगी जी की सरकार पूरी ईमानदारी से यूपी के विकास में जुटी है। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले यूपी में गरीबों की हर योजना में रोड़े अटकाए जाते थे, एक-एक योजना लागू करने के लिए दर्जनों बार केंद्र की तरफ से चिट्ठी लिखी जाती थी, लेकिन यहां उस गति से काम नहीं होता था। ये 2017 से पहले की बात है। जैसे होना चाहिए था, वैसा नहीं होता था।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी की आधारशिला और अलीगढ़ में डिफेंस कॉरिडोर उद्घाटन करने के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे। 

वहीं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोदी के बयान का जवाब देकर विधान सभा चुनाव को भाजपा बनाम सपा करने के अभियान में चाहे अनचाहे शमिल हो गये हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 14 सितंबर को लखनऊ पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि योगी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि ‘बुलडोजर’ है।  

अखिलेश यादव ने पीएम मोदी के 2017 से पहले की स्थिति पर लगाए गए आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि योगी सरकार गरीबों की झोपड़ी तोड़ रही है और घरों को नुकसान पहुंचा रही है। भाजपा को अपना चुनाव चिन्ह कमल की बजाय बुलडोजर रख लेना चाहिए। 

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बुलडोजर वाले बयान पर अब अभिनेता से भगवा नेता बने दिनेश लाल यादव निरहुआ ने प्रतिक्रिया देते हुये ट्विटर पर भोजपुरी में लिखा है, – “घुस जालें बिलिया में सांप, बिच्छू, गोजर, चलेला जब चांप के बाबा के बुलडोजर।”

एक प्रेस- कांफ्रेंस में जब अखिलेश यादव से सवाल पूछा गया कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने कल कहा था कि आपकी सरकार में बच्चों के बुखार की दवा नहीं हो पाती थी? इस पर सपा प्रमुख ने पलटवार करते हुए कहा कि मैं योगी जी से कहूंगा कि वह अपनी आईसाइट चेक कराएं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को डायल 100 से डाटा मंगाना चाहिए और चेक करना चाहिए कि अपराध कौन कर रहा है?

उन्होंने योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए कहा कि मैं पीएम मोदी से कहना चाहता हूं कि वह मुख्यमंत्री जी को निर्देश देकर जाएं कि टॉप 10 माफिया उत्तर प्रदेश के कौन हैं? वो इसकी सूची जारी करें।

 समाजवादी पार्टी की जगह कोई और पार्टी होती तो वो योगी काल में साल 2017 में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत, फ़िरोज़ाबाद में 150 बच्चों की डेंगू और वॉयरल फीवर से मौत, कोरोना काल में सरकार की विफलता, कोरोना से मौत का आंकड़ा छुपाने, बेरोज़गारी, योगीराज में दलित महिला यौन हिंसा, दलित, मुस्लिम, यादवों का अपराधीकरण करके उनके फेक एनकाउंटर और योगी राज में सामाजिक अन्याय का मुद्दा उठाकर उन्हें बैकफुट पर धकेलने की कोशिश करती।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।) 

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