….सारी संघी प्रतिज्ञा ताक पर रख प्रचारक कर रहे करोड़ों की डील!

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक प्रतिज्ञा करते हैं ‘सर्वशक्तिमान श्री परमेश्वर तथा अपने पूर्वजों का स्मरण कर मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि अपने पवित्र हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति तथा हिंदू समाज का संरक्षण कर हिंदू राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति करने के लिए मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घटक बना हूं। संघ का कार्य मैं प्रमाणिकता से निस्वार्थ बुद्धि से तथा तन मन धन पूर्वक करूंगा और इस व्रत का मैं आजन्म पालन करूंगा’ ।।भारत माता की जय।। संघ के स्वयंसेवक के मन में जाति-बिरादरी, प्रांत-क्षेत्रवाद, ऊंच-नीच, छूआछूत आदि क्षुद्र विचार नहीं आ पाते।

इस प्रतिज्ञा के बाद जीवनव्रती बनने वाले स्वयंसेवक जब क्षेत्रीय प्रचारक बनते हैं या संघ से भाजपा में आकर संगठन मंत्री बनते हैं या मंत्री मुख्यमंत्री बनते हैं तो उनके दामन भ्रष्टाचार के आरोपों से दागदार क्यों होने लगते हैं ?अब राम जन्म भूमि ट्रस्ट से जुड़े चम्पत राय हों या राजस्थान के निम्बा राम हों या फिर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री यदियुरप्पा हों सभी पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप हैं। तो क्या संघ और भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा पार्टी विद डिफरेंस खोखला मुहावरा या जुमला है जो आम लोगों को ठगने के लिए गढ़ा गया है।अब मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मालिक ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहने के दौरान दो फाइलों का खुलासा किया हैं, जिसमें अंबानी और आरएसएस और पूर्व मु्ख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के मंत्री का जिक्र कर रहे हैं और सनसनी खेज आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें दो फाइलों को क्लियर करने के लिए 300 करोड़ कि रिश्वत आफर की गयी थी।

संघ के तत्कालीन जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रभारी प्रचारक पर 300 करोड़ का रिश्वत ऑफर करने के अपने आरोप के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक कहते हैं कि सभी जानते हैं कि आरएसएस जम्मू-कश्मीर प्रभारी कौन था ।अपने भाषण में, मलिक ने रोशनी योजना का भी जिक्र किया था , जिसमें आरोप लगाया था कि नेकां नेता फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती लाभार्थियों में से थे।

उन्होंने आरोप लगाया था कि जम्मू-कश्मीर (जम्मू-कश्मीर) के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अंबानी और आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी से संबंधित दो फाइलों को मंजूरी देने पर उन्हें बताया गया कि उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत मिलेगी । सत्यपाल मलिक ने शनिवार को कहा कि उस व्यक्ति का नाम लेना सही नहीं होगा, लेकिन हर कोई जानता है कि जम्मू-कश्मीर में आरएसएस का प्रभारी कौन था।

मलिक ने कहा कि व्यक्ति का नाम लेना सही नहीं होगा, लेकिन आप यह पता लगा सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आरएसएस का प्रभारी कौन था। लेकिन मुझे खेद है, मुझे आरएसएस का नाम नहीं लेना चाहिए था। अगर कोई अपनी व्यक्तिगत क्षमता में काम कर रहा है या कोई व्यवसाय कर रहा है, तो उसे ही रेफर किया जाना चाहिए था। चाहे वह किसी भी संगठन से जुड़ा हो, संगठन को इसमें नहीं लाया जाना चाहिए था।

इस बीच, मलिक के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर, आरएसएस नेता राम माधव ने सूरत में कहा कि उनसे पूछें कि यह कौन था या क्या था। जब उनसे कहा गया कि वह उस समय जम्मू-कश्मीर में थे, तो उन्होंने कहा कि आरएसएस का कोई भी व्यक्ति ऐसा कुछ नहीं करेगा; लेकिन मैं वास्तव में नहीं जानता कि उसने इसे किस संदर्भ में कहा, या उसने ऐसा कहा या नहीं। आपको उनसे पूछना चाहिए, उन्होंने कहा होगा, किसी ने यह कहा, मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, आरएसएस से कोई भी ऐसा कभी नहीं करता है। उन्होंने 2014 में कहा था कि हम चुनाव हार रहे हैं, और हमने किसानों के साथ अन्याय किया है। क्या हम यह सब मानते हैं? यह उनकी राय हो सकती है, सच्चाई क्या है, हम नहीं जानते।

मार्च 2021 में संघ में फेरबदल के दौरान भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव राम माधव को अचानक आरएसएस में वापस बुलाया गया । बीजेपी के महासचिव रहते हुए राम माधव जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों के प्रभारी रहे हैं । राम माधव पहले संघ से बीजेपी में महासचिव बनकर गए थे । अब उनकी फिर से संघ में वापसी हुई है ।.संघ के इस निर्णय पर राजनीतिक कयास लगाये जा रहे थे लेकिन राज्यपाल मालिक के इस खुलासे से कि उन्होंने प्रधानमन्त्री को सारी जानकारी दे दी थी,अंदाजा लगाया जा रहा है कि उनके हस्तक्षेप से संघ ने राम माधव को वापस बुला लिया ।

मलिक ने ये टिप्पणी 17 अक्टूबर को राजस्थान में एक जनसभा में की थी। अपने भाषण के एक वीडियो में, मलिक कहते हैं: मेरे सामने जम्मू-कश्मीर में दो फाइलें आईं। उनमें से एक अंबानी की थी, दूसरी आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी की थी। सचिवों में से एक ने मुझे बताया कि ये अस्पष्ट सौदे हैं, लेकिन आप इनमें से प्रत्येक में 150 करोड़ रुपये प्राप्त कर सकते हैं। मैंने यह कहते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि मैं (कश्मीर में) पाँच कुर्ता-पायजामा लेकर आया था, और बस इन्हीं के साथ चला जाऊँगा।

लेकिन एहतियात के तौर पर मैंने प्रधानमंत्री से समय लिया और उनसे मिलने गया। मैंने उनसे कहा कि यह फाइल है, इसमें घपला (घोटाला) है, इसमें शामिल लोग हैं, और वे आपका नाम लेते हैं, आप मुझे बताएं कि क्या करना है। अगर इन परियोजनाओं को रद्द नहीं किया जाना है, तो मैं जा सकता हूं और आप मेरी जगह किसी और को नियुक्त कर सकते हैं; लेकिन अगर मैं रहता हूं, तो मैं इन प्रोजेक्ट फाइलों को साफ नहीं करूंगा। मैं प्रधानमंत्री के जवाब के लिए उनकी प्रशंसा करता हूं, उन्होंने मुझसे कहा कि भ्रष्टाचार पर किसी समझौते की कोई जरूरत नहीं है।

मलिक ने कहा कि लोग कल्पना नहीं कर सकते कि जम्मू-कश्मीर कितना भ्रष्ट है। देश भर में, ऐसी फाइलों को साफ करने के लिए कमीशन की दर 4-5 फीसदी है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में वे 15 फीसदी कमीशन मांगते हैं। मेरे कार्यकाल के दौरान दहशत थी और कोई बड़ा भ्रष्टाचार नहीं हुआ।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जो उन्हें या सरकारी अधिकारियों को उनकी परियोजनाओं को मंजूरी दिलाने के लिए रिश्वत देने की कोशिश कर रहे थे, मलिक ने कहा कि वे मुझे रिश्वत देने की कोशिश नहीं कर रहे थे। लेकिन उन परियोजनाओं में रिश्वत थी। कुछ लोग थे जो इसे ले रहे थे।आगे किसी कार्रवाई की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि मैंने दोनों परियोजनाओं को रद्द कर दिया था। वह सजा काफी थी।

अपने भाषण में, मलिक ने रोशनी योजना का भी जिक्र किया, जिसमें आरोप लगाया कि नेकां नेता फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती लाभार्थियों में से थे। नेकां और पीडीपी दोनों नेताओं ने मलिक के आरोपों को निराधार बताया है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी है।

कहा जा रहा है कि सत्यपाल मलिक सरकार कर्मचारियों, पेंशनर्स और पत्रकारों के लिए लाए गए एक ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ी एक फाइल का जिक्र कर रहे थे। जिसके लिए सरकार ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जनरल इंश्योरेंस से डील की थी। अक्टूबर 2018 में जब सत्यपाल मलिक जम्मू और कश्मीर के गवर्नर थे तब उन्होंने कुछ गड़बड़ी के अंदेशे को देखते हुए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के साथ यह डील कैंसिल कर दी थी। दो दिन बाद गवर्नर ने एंटी-करप्शन ब्यूरो को इस डील की जानकारी देते हुए कहा था कि वो इस कॉन्ट्रैक्ट की तह तक जांच-पड़ताल करें कि क्या इसमें किसी तरह का भ्रष्टाचार हुआ है?

राम जन्मभूमि ट्रस्ट महासचिव चंपत राय पर राम मंदिर के लिए जमीन खरीदने में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। ट्रस्ट पर यह आरोप आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह और पूर्व राज्य मंत्री पवन पांडेय ने लगाया है। आरोप है कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने संस्था के सदस्य अनिल मिश्रा की मदद से दो करोड़ रुपए कीमत की जमीन 18 करोड़ रुपए में खरीदी।

राजस्थान में जयपुर नगर निगम ग्रेटर के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम द्वारा सफाई करने वाली बीवीजी कंपनी को 276 करोड़ रुपये का भुगतान करने के बदले 20 करोड़ की रकम कथित रूप से रिश्वत के रूप में मांगे जाने को लेकर जांच तेज हो गई है। राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले में शिकंजा कसने की तैयारी की है।

वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष व श्रम बंधु दिनकर कपूर ने आरोप लगाया था कि, जिस माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम को पानी पी-पीकर आरएसएस-भाजपा वाले कोसते हैं और उसी की कम्पनी डीएचएफएल में कर्मचारियों की जिंदगीभर की कमाई का भविष्य निधि का 42 अरब रूपया आरएसएस-भाजपा की योगी सरकार द्वारा लगाया गया।

तीन दशक तक आरएसएस से जुड़े एक वरिष्ठ स्वयंसेवक एन हनुमे गौड़ा ने आरोप लगाया था कि संघ अपनी विश्वसनीयता खो चुका है।गौड़ा ने आरोप लगाया कि संघ इन दिनों हर तरह के वित्तीय और नैतिक भ्रष्टाचार में लिप्त हो गया है । संघ के तमाम पदाधिकारी उसके मौलिक मूल्यों से दूर हो चुके हैं । उन्होंने कहा कि भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा के पुत्र, जगदीश शेट्‌टार के बेटे, मुर्गेश नीरानी के भाई और कई अन्य भाजपा नेताओं की संतानें आज राजनीति में हैं। यह वंशवाद नहीं तो क्या है? यही नहीं येदियुरप्पा, शेट्‌टार, अनंत कुमार हेगड़े, शोभा कारंदलाजे जैसे नेता आज करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। ये पैसा उनके पास कहां से आया? क्योंकि पहले तो ये लोग इतने धनी नहीं थे। उनका आरोप है कि भाजपा और आरएसएस के लोग ज़मीनें कब्ज़ाने में भी जुटे हुए हैं।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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