नो-बडी डिमोलिश्ड बाबरी मस्जिद: चिदंबरम

“06 दिसंबर, 1992 को जो हुआ, वह बहुत ही गलत था, इसने हमारे संविधान को कलंकित किया, उच्चतम न्यायालय की अवमानना की, और दो समुदायों के बीच दूरी पैदा की। फैसले के बाद चीजें उसी तरह हुईं जिसका अनुमान था। इसके बाद (बाबरी विध्वंस के) आरोपियों को छोड़ दिया गया। नो वन किल्ड जेसिका की तरह नो बडी डिमोलिश्ड बाबरी मस्जिद। यह बात हमारा हमेशा पीछा करेगी कि हम गांधी, नेहरू, पटेल और मौलाना आजाद के देश में यह कहते हुए शर्मिंदा नहीं हैं कि नो-बडी डिमोलिश्ड बाबरी मस्जिद।”- उपरोक्त बातें वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की किताब सनराइज ओवर अयोध्या के विमोचन के मौके पर कही है।

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की किताब सनराइज ओवर अयोध्या (Sunrise over Ayodhya : Nationhood in our Times) के विमोचन के मौके पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए पूर्व गृहमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही है क्योंकि दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया है। उन्होंने कहा इस फैसले का कानूनी आधार बहुत संकीर्ण है। बहुत पतली सी रेखा है लेकिन समय बीतने के साथ ही, दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया। दोनों पक्षों ने स्वीकार किया, इसलिए यह सही फैसला है। ऐसा नहीं है कि यह सही फैसला था, इसलिए दोनों पक्षों ने स्वीकार किया।

किताब का विमोचन करते हुये उन्होंने आगे कहा कि आज की यही हक़ीक़त है कि हम भले ही धर्मनिरपेक्ष हैं, लेकिन व्यवहारिकता को स्वीकार करते हैं। देश में रोज़ाना धर्मनिरपेक्षता पर चोट की जा रही है। इस मौके पर कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा ने समाज का बंटवारा कर दिया। दिग्विजय ने बीजेपी की विचारधारा पर भी कड़ा प्रहार किया और इसे देश में घृणा पैदा करने वाला बताया।

वरिष्ठ नेता व पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने आगे कहा कि सही मायनों में आज के लोग रामराज्य और धर्मनिरपेक्षता को नहीं ले रहे हैं। गांधीजी ने रामराज्य और पंडित नेहरू ने धर्मनिरपेक्षता के बारे में जो बताया वह उससे अलग है जो लोग आज समझते हैं। पूर्व गृहमंत्री ने आगे कहा कि आज हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जब लिंचिंग की प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की तरफ से निंदा नहीं की जाती है। एक विज्ञापन को वापस लिया जाता है क्योंकि हिंदू बहू को एक मुस्लिम परिवार में खुशी से रहता हुआ दिखाया गया।

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