सुप्रीम कोर्ट वकीलों और पत्रकारों के खिलाफ लगाए गए यूएपीए एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका की तत्काल सुनवाई करेगा

उच्चतम न्यायालय त्रिपुरा हिंसा के संदर्भ में वकीलों और पत्रकारों के विरुद्ध लगाए गए यूएपीए एक्ट (UAPA ACT) पर जल्दी ही सुनवाई करेगा। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को त्रिपुरा में हालिया सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में पत्रकारों, वकीलों और कार्यकर्ताओं के सोशल मीडिया पोस्ट पर त्रिपुरा पुलिस द्वारा यूएपीए लगाने को चुनौती देने वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की। सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ के समक्ष एडवोकेट प्रशांत भूषण ने मामले का उल्लेख किया और मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की।

भूषण ने कहा कि यह त्रिपुरा की घटनाओं, एफआईआर और फैक्ट फाइंडिंग मिशन पर गए वकीलों को 41ए नोटिस जारी करने के संबंध में है, क्योंकि कुछ ने ट्वीट किया कि त्रिपुरा जल रहा है आदि। भूषण ने यह भी बताया कि याचिका में यूएपीए के दो प्रावधानों को चुनौती दी गई है जिनका दुरुपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसमें गैरकानूनी गतिविधियों की व्यापक परिभाषा का सवाल भी शामिल है।

चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप हाईकोर्ट के समक्ष क्यों नहीं गए ? भूषण ने कहा कि उन्होंने हाईकोर्ट का रुख नहीं किया है, क्योंकि उन्होंने यूएपीए को भी चुनौती दी है। भूषण ने कहा कि कृपया इसे सूचीबद्ध करें, क्योंकि ये लोग आसन्न खतरे में हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि बंडल सर्कुलेट करें। हां, मैं एक तारीख दूंगा।

गौरतलब है कि त्रिपुरा पुलिस ने हाल ही में दो वकीलों के खिलाफ कठोर आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) लागू किया। ये वकील हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बारे में एक तथ्य – खोज रिपोर्ट प्रकाशित करने वाली टीम का हिस्सा थे। त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने राज्य को हिलाकर रख दिया।

पश्चिम अगरतला पुलिस ने दिल्ली स्थित मानवाधिकार वकीलों के लिए पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के मुकेश और नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स के अंसार इंदौरी को नोटिस दिया कि उनके खिलाफ उनके सोशल मीडिया पोस्ट और बयानों के आधार पर यूएपीए की धारा 13 (गैर कानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने पत्रकार श्याम मीरा सिंह को भी “त्रिपुरा बर्निंग” ट्वीट करने के लिए यूएपीए का नोटिस दिया है।

गौरतलब है कि त्रिपुरा में हुई हिंसा के मामले में सोशल मीडिया पर अपनी बात रखने वाले कुछ पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर वहां की राज्य सरकार ने एफ़आईआर दर्ज की थी और यूएपीए लगा दिया था। 70 से ज़्यादा ऐसे लोग थे, जिन पर यह कठोर क़ानून लगाया गया था।

पत्रकार श्याम मीरा सिंह और सुप्रीम कोर्ट के वकीलों अंसार इंदौरी और मुकेश ने भी इस मामले में उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। इन दोनों वकीलों ने हिंसा के बाद स्वतंत्र फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम के सदस्य के तौर पर त्रिपुरा का दौरा भी किया था। इन लोगों ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के जरिये याचिका दायर की है। याचिका में इस मामले में सुनवाई करने और यूएपीए के तहत दर्ज की गई एफ़आईआर को रद्द करने की मांग की गई है।

इससे पहले त्रिपुरा हाई कोर्ट ने हिंसा के मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। फ़ैक्ट फ़ाइडिंग टीम के सदस्य के तौर पर गए वकीलों को नोटिस भी जारी किए गए हैं।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)  

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