वाराणसी।जाति जनगणना संयुक्त मोर्चा के बैनर तले आज वाराणसी के अजगरा विधानसभा के मुनारी बाजार में सामाजिक न्याय पर बढ़ते हमले के खिलाफ जातिवार जनगणना की मांग को लेकर विशाल सम्मेलन आयोजित हुआ।
बनारस के दिग्गज राजनीतिकर्मी, बुद्धिजीवी व समाजकर्मी व सैकड़ों की संख्या में महिलाओं-पुरुषों मौजूदगी थी।
सम्मेलन में मुख्य अतिथि के बतौर पूर्वांचल बहुजन मोर्चा के संयोजक डॉ अनूप श्रमिक ने कहा कि जातिवार जनगणना इस मुल्क में आजादी के बाद से आज तक अनुत्तरित सवाल है। धर्म के आर-पार जातिवार जनगणना जरूरी है, इससे सभी जातियों की संख्या और सामाजिक-आर्थिक हकीकत सामने आएगा। सामाजिक न्याय के लिए नीतियाँ व योजनाएं बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है।
डॉ अनूप श्रमिक ने यह भी कहा कि राज्यस्तर पर जातिवार जनगणना की बात जनगणना के साथ जातिवार जनगणना की मांग की लड़ाई को कमजोर कर रही है, जनगणना के साथ जातिवार जनगणना को वैधानिक मान्यता हासिल होगी, राज्यस्तर पर जातिवार जनगणना के आंकड़ें वैधानिक नहीं होंगे।

विशिष्ट अतिथि के बतौर प्रसिद्ध किसान आंदोलन व सामाजिक कार्यकर्ता राघवेंद्र ने कहा कि जातिवार जनगणना के सवाल पर संघर्षशील शक्तियों को एकजुट कर नीचे से लड़ाई खड़ी करनी होगी, किसान आंदोलन की तर्ज पर आगे बढ़ना होगा।
जाति जनगणना संयुक्त मोर्चा व कम्युनिस्ट फ़्रंट के संयोजक मनीष शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार विरोधी विपक्ष की शक्तियां जातिवार जनगणना के सवाल पर मुखर नहीं हैं। नीतीश कुमार भाजपा के साथ रहते हुए राज्य में जातिवार जनगणना की बात करते हुए दलित, आदिवासी, पिछड़ा, पसमांदा समाज को ठग रहे हैं। अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव भी राज्यों में जातिवार जनगणना के इर्द-गिर्द उलझकर नरेन्द्र मोदी सरकार से लड़ने से कतरा रहे हैं।
मनीष शर्मा ने कहा कि गुलाम भारत में जातिवार जनगणना होता रहा है, लेकिन आजाद भारत में अब तक जातिवार जनगणना नहीं हुआ है। पंडित नेहरू से लेकर नरेन्द्र मोदी तक यह सिलसिला बढ़ता आ रहा है, मंडल कमीशन ने भी जातिवार जनगणना की जरूरत को रेखांकित किया था।

समाजवादी विचारक नीति भाई ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जातिवार जनगणना दलित, आदिवासी, पिछड़ा, पसमांदा के सम्मान व पहचान से जुड़ा सवाल है, वर्चस्वशाली शक्तियां इसके खिलाफ हैं, जातिवार जनगणना की लड़ाई राजनेताओं के भरोसे नहीं लड़ी जा सकती है, व्यापक एकजुटता बनाकर सड़क पर लड़ाई तेज करना होगा।
सम्मेलन का संचालन करते हुए सागर गुप्ता ने कहा कि दलित, पिछड़ा, आदिवासी, पसमांदा समाज के लिए सामाजिक न्याय का दरवाजा खोलने के लिए जातिवार जनगणना जरूरी है, जातिवार जनगणना कराने से भागकर मोदी सरकार ने सामाजिक न्याय और दलित, आदिवासी, पिछड़ा, पसमांदा विरोधी होने का ही एकबार फिर प्रमाण दिया है।
अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन नीति भाई ने किया।
अन्य वक्ताओं में प्रमुख रूप से एड. हरिश्चन्द्र मौर्य, जड़ावती जी, कविता, वंदना, गौतम, रूपनारायण, महेश पाल जी आदि थे। सम्मेलन में मुख्य रूप से प्रभु भाई, पप्पू पटेल, सूबेदार भाई, शीला, बिंदु, सुनील कुमार, अंजू जी आदि लोग मौजूद थे।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)
प्रेषक
सागर गुप्ता
जाति जनगणना संयुक्त मोर्चा