पूर्वी सिंहभूम में पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून एवं सीएनटी एक्ट का उल्लंघन के खिलाफ आन्दोलन

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उल्लेखनीय है कि झारखंड का पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत पोटका प्रखंड संविधान की पांचवीं अनुसूची के क्षेत्र में आता है। फिर भी यहां भूमि माफियाओं की मिलीभगत से स्थानीय प्रशासन द्वारा बड़े पैमाने पर पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून- 1996 (Extension to the Scheduled Areas -Act, 1996) एवं सी.एन.टी. एक्ट (छोटानागपुर टेन्डेन्सी एक्ट)-1908 की धाराओं का घोर उल्लंघन किया जा रहा है। बताना जरूरी होगा कि इस क्षेत्र में खनिज का भरमार है। ताम्बा, सोना, यूरेनियम व तरह-तरह के इमारती और धातुई पत्थर मिलते हैं। 

संविधान की पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में पेसा -1996 कानून लागू है। इस क्षेत्र में सी.एन.टी. एक्ट 1908 लागू है. पेसा कानून 1996 के तहत खनिज खासकर गौण खनिज के खनन से पहले ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है। सी.एन.टी. एक्ट – 1908 के तहत आदिवासियों और अन्य समुदायों की भूमि पर दूसरे समुदाय के लोगों के द्वारा जमीन खरीदने पर पाबंदी है। इतना ही नहीं, इस क्षेत्र में अगर कोई बाहरी व्यक्ति या संस्थान किसी तरह का कारोबार भी करना चाहता है तो इसके लिए उसे सबसे पहले क्षेत्र की ग्रामसभा की अनुमति लेनी होती है। 

बता दें कि इन कानूनी प्रावधानों के बावजूद भी पोटका प्रखंड के क्षेत्र में बिना ग्रामसभा की अनुमति लिए, ग्रामसभा का फर्जी कागजात बनाकर अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध खनन व क्रशर चलया जा रहा है। सी.एन.टी. एक्ट के दायरे में आनेवाली जमीन पर अवैध रूप से फ्लैट-अपार्टमेंट बनाये जा रहे हैं। सबसे आश्चर्यजनक है कि 25 साल के बाद भी यहां पेसा कानून की नियमावाली नहीं बनी है। यानी पेसा का वैधानिक पालन नहीं हो रहा है। दूसरी तरफ ग्राम सभा के अनुमोदन के बिना फर्जी कागज पर अनुमोदन तैयार कर कथित विकास योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। मनरेगा और अन्य विकास योजनाओं में स्थानीय अफसरशाही की मिलीभगत से घोर भ्रष्टाचार जारी है। जिला स्तर के अधिकारियों का भी इन्हें संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि कई बार शिकायत के बाद भी जिले अधिकारी चुप्पी साधे बैठे रहते हैं और शिकायत कर्ता के खिलाफ ही मामला दर्ज करते हैं। मतलब कि पंचायत चुनाव के बाद ग्रामसभा और सामुदायिक (पारम्परिक) स्वशासन को उपेक्षित और कमजोर किया जा रहा है।

इन्हीं सब मामलों को लेकर 21 जनवरी को पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड में ‘झारखंड प्रदेश गांव गणराज्य परिषद’ द्वारा 11 सूत्री ज्ञापन राज्य के राज्यपाल के नाम प्रखंड विकास पदाधिकारी व अंचल अधिकारी के माध्यम से सौंपा गया।

 इस 11 सूत्री ज्ञापन में स्पष्ट तौर पर मांग की गयी है कि ग्राम सभा की अनुमति और सी.एन.टी. एक्ट 1908 के पूर्ण पालन के बिना जमीन खरीद-बिक्री न हो।

अवैध खनन पर सख्त रोक लगे। अवैध खनन से जमा खनिज जब्त हो व ग्राम सभा को सौंपा जाय। अवैध खनन की मिलीभगत में शामिल अधिकारियों को बर्खास्त किया जाय।

आदिवासियों की जमीन पर अवैध रूप से प्रखंड क्षेत्र में बने बालाजी नगर, देवनगर, नन्दन इलेटो आदि निर्माणों को जब्त किया जाय। जमीन की प्रकृति बदलने की प्रवृत्ति पर पाबंदी लगाई जाय। बहुफसली जमीनों पर मकान, अपार्टमेंट निर्माण पर पाबंदी लगाई जाय। सिंचाई की विशेष समुचित सुविधा की जाय। सामाजिक अंकेक्षण ग्राम सभा के जनभागीदारी सुनिश्चित किया जाय।

अवैध कारोबार जिसमें अवैध क्रशर को रोक लगाने के लिए व भारी वाहनों को रोक लगाने के लिए पारम्परिक ग्राम सभा नाचोसाई के द्वारा बैरियर लगाया गया था। उसको स्थानीय प्रशासन व पुलिस प्रशासन के द्वारा जबरन उखाड़ फेंक दिया गया और अवैध कारोबारी को संरक्षण दिया गया। इस प्रकार ग्राम सभा के कार्यों में बाधा डालने वाले अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाय।

गांव नाचोसाई में वर्ष 2019 में अवैध खनन व क्रशर से हुए क्षति का मूल्य लगभग रू. 1,29,35,000 (एक करोड़ उनतीस लाख पैंतीस हजार रूपये) मुआवजा का अविलंब भुगतान किया जाय।

झूठा मुकदमा-नाचोसाई, डाटोबेड़ा, पावरू के ग्राम सभा प्रधान, सदस्यों पर एवं निर्दोष लोगों पर झूठा मामला वापस लिया जाय। शांतिपूर्ण, न्याय संगत संवैधानिक जन आंदोलनों पर पुलिस हस्तक्षेप बंद करें एवं उनपर झूठा मामला दायर करना बंद करे। किसानों की सारी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी शुदा व्यवस्था बने।

(विशद कुमार स्वतंत्र पत्रकार हैं और रांची में रहते हैं।)

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