कबीर, मीरा, फिराक और निराला नहीं, अब गुलशन नंदा को पढ़िए

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नई दिल्ली। एनसीईआरटी ने कक्षा-12 के इतिहास, नागरिक शास्त्र और हिंदी विषय के विषयों के पाठ्यक्रम में व्यापक फेरबदल किया है। उक्त तीनों विषयों से कई अध्याय को हटाकर नये अध्यायों को जोड़ा गया है। स्कूली और विश्वविद्याल के पाठ्यक्रमों में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं और पाठ्यक्रमों में भी कुछ को हटाकर कुछ जोड़े जाते रहे हैं। लेकिन संघ-भाजपा की सरकार ने जिस तरह से पाठ्यमक्रमों में बदलाव किया है, वह एक राजनीतिक एजेंडे के तहत किया गया है। संघ-भाजपा सरकार शिक्षा का भगवाकरण कर रही है। और व्यापक समाज को तर्क और आधुनिकता से दूर करने का खेल खेल रही है। ये बदलाव सत्र 2023-24 से स्कूलों में लागू हो जायेगा।

सरकार ने नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने कक्षा-12, 11 और कक्षा-10, 9 के पाठ्यक्रम को बदला है। इसके तहत कुछ अध्यायों को हटाकर उनके स्थान पर नए अध्यायों को जोड़ा है। लेकिन सरकार और सरकार पोषित मीडिया सिर्फ इतिहास विषय में हुए बदलाव को प्रचारित कर रहा है। दरअसल, इतिहास के पाठ्यक्रम से पुस्तक से हटाए गए कई अध्याय में एक अध्याय ‘किंग्स एंड क्रॉनिकल्स; मुगल दरबार’ को हटा दिया है। सरकार और उसके विचार से सहमत लोग तर्क दे रहे हैं कि मुगल आक्रमणकारी थे, उनको हटाकर इतिहास को सही किया है।

दरअसल, मुगल काल को इतिहास के पाठ्यक्रम से हटाना और उसे प्रचारित करना भाजपा की राजनीति को फायदा पहुंचाता है। संघ-भाजपा चाहती है कि ‘मुगल’ बहस के केंद्र में आए और हम हिंदू-मुस्लिम करके ध्रुवीकरण करें। इस बहस से वह हटाये गए अन्य अध्यायों को छिपाना चाहती है। जिसका समाज, विकास और मानव सभ्यता से गहरा सरोकार है।

अब देखते हैं कि एनसीआरटी से किस विषय से किस अध्याय को हटाया गया है, और उक्त विषयों का क्या महत्व है। एनसीईआरटी ने कक्षा- 12 के इतिहास विषय के पाठ्यक्रम से कई अध्याय हटा दिए हैं। इनमें मुख्य तौर पर मुगल इम्परर चैप्टर को हटाया गया है यानी अब छात्र मुगल साम्राज्य का इतिहास नहीं पढ़ेंगे। अपडेटेड क्यूरिकुलम के मुताबिक एनसीईआरटी ने ‘किंग्स एंड क्रॉनिकल्स; मुगल दरबार’ (सी. 16वीं और 17वीं सदी)’ इतिहास की किताब ‘थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री-पार्ट II’ से हटा दिए हैं।

सरकार का तर्क है कि मुगल आक्रमणकारी थे। हम आक्रांतओं का इतिहास क्यों पढ़े-पढ़ाएं। हम इतिहास अपने अतीत की घटनाओं को समझने और अपनी कमजोरियों और गलतियों के लिए सबक की तरह पढ़ते हैं, जिससे हम वही गलती न करें, जो हमारे पूर्वजों ने किया था।

इसके अलावा, स्वतंत्र भारत में राजनीति की किताब से ‘जन आंदोलन का उदय’ और ‘एक दल के प्रभुत्व का दौर’ हटा दिया गया है। इनमें कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति, सोशलिस्ट, कम्युनिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, भारतीय जनसंघ आदि को पढ़ाया जाता है।

एनसीईआरटी ने हिन्दी सविषय के पाठ्यमक्रम में भी कुछ बदलाव किए हैं। इनमें हिन्दी आरोह भाग-2 की किताब से फिराक गोरखपुरी की गजल और अंतरा भाग दो से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की गीत ‘गाने दो मुझे’ को हटा दिया है। इसके अलावा कबीर, मीरा और पंत को भी बाहर का रास्ता दिखाया गया है। इसके अलावा विष्णु खरे की ‘एक काम और सत्य’ को भी हटाया गया है। इसके अलावा हिंदी की बुक से कुछ कविताएं और पैराग्राफ हटाने का निर्णय लिया गया है।

एनसीईआरटी ने दसवीं और ग्यारहवीं से भी कुछ किताबें हटायी हैं। क्लास 11वीं की टेक्सट बुक ‘थीम्स इन वर्ल्ड हिस्ट्री’ से ‘सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स’, ‘संस्कृतियों का टकराव’ और ‘औद्योगिक क्रांति’ जैसे अध्याय हटा दिए गए हैं।
इसी प्रकार कक्षा 10वीं की पाठ्यपुस्तक ‘लोकतांत्रिक राजनीति-II’ से ‘लोकतंत्र और विविधता’, ‘लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन’, ‘लोकतंत्र की चुनौतियां’ अध्याय हटा दिए गए हैं।

इस सिलेबस के मुताबिक अब सभी बोर्ड जहां एनसीईआरटी की किताबें चलती हैं, वे इस नये नियम को मानेंगे। मुख्य तौर पर सीबीएसई बोर्ड के सिलेबस में बदलाव होगा। इसके अलावा यूपी बोर्ड ने भी कई एनसीईआरटी की किताबें इंट्रोड्यूज की हैं, वहां भी ये बदलाव लागू होगा।

सरकार के इस कदम को बच्चों को इतिहास के एक बड़ी घटना से वंचित रखने की बात कही जा रही है। वहीं, सोशल मीडिया पर एक बड़ा वर्ग सरकार के इस फैसले का समर्थन करता दिख रहा है। इसे मुगलकालीन इतिहास पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करार दिया जा रहा है।

स्कूली शिक्षा ही नहीं उच्च शिक्षा में भी बदलाव के बीज बोए जा रहे हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी के पाठ्यक्रम में लोक साहित्य में गुलशन नंदा, सुरेंद्र मोहन पाठक, वेद प्रकाश के उपन्यासों और राधेश्याम रामायण को शामिल किया गया है। कल तक जिस साहित्य को लुगदी साहित्य माना जाता था, उसे अब देश के सबसे आला दर्जें में पढ़ाया जायेगा। तर्क दिया जा रहा है कि एमए में आते तक विद्यार्थी यह तय करने में सक्षम हो जाता है कि उसे क्या पढ़ना चाहिए? लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या विश्वविद्यालय या प्रोफेसर नहीं समझते कि छात्रों को क्या पढ़ाना चाहिए?

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पाठ्यक्रम में बदलाव की घोषणा की है। और उन्होंने कहा कि हम आक्रांताओं का इतिहास नहीं पढ़ाएंगे, इसके स्थान पर भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव का इतिहास पढ़ाया जायेगा।

एनसीईआरटी की किताबों से कुछ अध्यायों को हटाने की देश में तीव्र प्रतिक्रिया हो रही है। शायर एवं वैज्ञानिक गौहर रजा ने कहा कि, “ एनसीईआरटी की किताबें दुनिया की बेहतरीन किताबों में से एक है। जो हटाया गया उस पर पर्दा डालने के लिए ‘मुगल’ को प्रचारित किया जा रहा है। पाकिस्तान में 70 साल पहले जो किया गया उसे अब अपने देश में दोहराया जा रहा है। अपने हिसाब से इतिहास को बनाने की कोशिश हो रही है।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के कथन पर प्रतिक्रिया देते हुए गौहर रजा कहते हैं, “ भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को पढ़ाने की बात करने वाले शिक्षा मंत्री क्या भगत सिंह के लेख- ‘मैं नास्तिक क्यों हूं’? को क्या पाठ्यक्रम में शामिल कर रहे हैं?”

दरअसल, संघ-भाजपा के लोग आम लोगों को शिक्षा से दूर और सरकारी स्कूलों को ध्वस्त करना चाहते हैं। देश का गरीब, पिछड़ा और अल्पसंख्यक सरकारी स्कूलों से पढ़कर आमीरों और धनाड्यों के बच्चों की प्रतिभा के समक्ष चुनौती बनकर खड़ा हो जाते है। ऐसे में संघ-भाजपा सरकारी स्कूलों और पाठ्यक्रमों को नष्ट करने पर तुली है।

पाकिस्तान बनने के बाद वहां के सत्तारूढ़ और शासक वर्ग ने इस्लाम के अनुसार इतिहास और दूसरे विषयों को पढ़ाने की कोशिश की थी। उनका तर्क था कि हम हिंदुओं के इतिहास को नहीं पढ़ाएंगे। आज पाकिस्तान की हालत दुनिया के सामने है। भारत में अब एक दक्षिणपंथी विचारों वाली सरकार है, जो हर चीज को अपने नजरिए से देख रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में भारत की क्या दशा होने वाली है, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

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प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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