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ग्राउंड रिपोर्ट-3: जो छुपा रहे हो अपनों से, अब वो दुनिया को बता रही हैं शाहीन बाग़ की औरतें

शाहीन बाग (नई दिल्ली)। शाहीन बाग आप जाइये। लगेगा आप लोकतंत्र की पाठशाला में पहुंच गए हैं। बच्चे, बूढ़े, जवान, औरत-मर्द, पढ़े-लिखे, अनपढ़ किसी से भी बात कीजिये। आपको पता चलता है कि ये 5 साल के दिमाग़ वाली भीड़ नहीं है। वो सहनशील, जागरुक जनता है जो सत्ता की बड़ी-बड़ी गुस्ताखि़यों को नज़रअंदाज़ करती रहती है। अपनों के साथ छोटी-छोटी खुशियों की जद्दोजहद में मगन रहती है। पर जब कोई दिल के टुकड़ों पर वार करने लगे तो तनकर खड़ी भी हो जाती है। ऊंच-नीच, अपना-पराया, जात-धर्म सब भूलकर एक हो जाती है। और दुनिया को दिखाती है भारत की विभिन्नता में एकता।

खुद पुलिस बर्बरता पर उतरी है और बच्चों पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं। डीयू, जामिया, अलीगढ़ हर जगह के बच्चों पर। क्यों? क्योंकि बच्चे पढ़-लिखकर जागरुक हो रहे हैं। उनको डर है कि ज़्यादा बच्चे पढ़ जाएंगे तो हमसे सवाल करेंगे। तो मोदी जी इससे डर गए। हिंसा वो खुद ही करवा रहे हैं। हिंसा बच्चे कोई नहीं कर रहे हैं। ये कहना है शाहीनबाग़ की 58 साल की गुलबानो का।

वो कहती हैं जामिया की हिंसा देखकर बहुत दुख हुआ है। अगर जामिया के बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता तो हम कुछ समझ सकते थे। फिर हम मोदी जी को डायरेक्ट ख़त लिखते कुछ भी करते।

पर बड़ी बर्बरता दिखाई पुलिस ने। क्या पुलिस के पास मां नहीं है? पुलिस के पास बेटी नहीं है? पुलिस के पास बेटा नहीं है? बीवी नहीं है? बहन नहीं है? इतनी ज़ालिम हो गई है पुलिस? 15 तारीख़ से दिन-रात यहां बैठी हूं। कोई आ जाता है तो मैं रात तीन बजे करीब चली जाती हूं। थोड़ा सा आराम करके फिर आ जाती हूं।

वीना – क्यों आप इतनी मेहनत कर रही हैं?

गुलबानो – हमने बहुत अरमान से उनको वोट दिए थे। हक़ से।

वीना – आपने मोदी को वोट दिया था? 

गुलबानो – हां मोदी को वोट दिया था। (ज़ोर देते हुए) अच्छे दिन आएंगे…एकदम दिल ठोक कर वोट किया था कि हमारे भी अच्छे दिन आएंगे। तो इतने अच्छे दिन मोदी जी ने लाए कि हमें सड़कों पर लाकर बिठा दिए। मोदी जी से हमें कोई जातीय दुश्मनी नहीं है। उन्होंने जो कानून लागू किया है बस हम उसके खि़लाफ़ हैं। वो भी एक इंसान हैं। हमसे बड़े हैं। हम तो बद्तमीज़ी से बोल भी नहीं सकते। मोदी जी हैं, मोदी जी रहेंगे। बड़ा, बड़ा ही होता है। छोटा, छोटा ही होता है।

वीना – आपको कैसे पता ये कानून ख़राब है?

गुलबानो – आवाम बता रही है। बच्चे बता रहे हैं। बच्चे पढ़े-लिखे हैं। हम 70 साल का रिकॉर्ड कहां से लाएंगे। मायके से ससुराल आए। ससुर को कहां से लाएंगे। हमारा मायका बंबई का है। कहेंगे वहां से ले आओ। कैसे लाएंगे? हमारे मां-बाप दोनों सरपरस्त अल्लाह को प्यारे हो गए।

शबनम – बच्चों को अरेस्ट क्यों कर रखा है? हमारा धरने का मतलब ये है हमारे बच्चों को रिहा करो। हमारे कितने बच्चे शहीद हो चुके हैं इसमें। उनकी कुर्बानियां ऐसे ही छोड़ दें? कानपुर में बच्चों को घरों से निकाल-निकाल कर गोली मारी है। उनकी माओं से पूछिये क्या हाल है उनका।

ठंड में सब अपने घरों में हीटर जला कर बैठे हैं। हम रो पर बैठे हैं। ये मोदी जी की ही तो कारस्तानी है। हम अपने घर-बार किसी चीज़ को नहीं देख रहे। यहां बैठे हुए हैं। और यहीं बैठे रहेंगे। कोई नहीं देख रहा हमें  आकर। रोटियां सेकने तो सब आते हैं। कोई हमारे साथ बैठकर तो देखे, हम औरतों पर क्या बीत रही है। हम भी तो किसी की बहू-बेटियां हैं। हम किसी बात से डरने वाले नहीं हैं।

हिंदू-मुसलमान-सिख-ईसाई सब आपस में भाई-भाई। कोई अलग नहीं है। सब साथ हैं। सब मदद के लिए आ रहे हैं। हम उनके साथ हैं वो हमारे साथ हैं।

शबनम और गुलबानो दोनों अपने हाथ बांध कर बताती हैं। पहले सब अलग थे अब यूं एक हैं सब।

बात चल ही रही थी कि तभी एक नौजवान आकर बताता है कि उसकी दुकान पर एक आदमी कह कर गया है –

नौजवान – अंदर की इंटेलिजेंस की रिपोर्ट आई है। अमित शाह ने कहा है कि दिल्ली में इलेक्शन होने वाले हैं। इनको हटाओ मत यहां से। हम यहां पर दंगा चाहते हैं। उससे हमें जीत मिलेगी। ये सब अफवाहें हैं। हम बातों में नहीं आने वाले। अल्लाह के करम से यहां पर कुछ होगा ही नहीं। हम यहां पर लड़ाई होने नहीं देंगे।  

मैंने नौजवान से पूछा क्या यहां के दुकानदार दबाव बना रहे हैं जिनकी दुकानें बंद हैं?

नौजवान – दुकानदार खि़लाफ़ हैं। इनका दबाव जा रहा है। हमारे इलाके के एसपी ने साफ बोल दिया है कि ओखला कि जो हमारी जनता है बहुत इज़्ज़त देती है। हम इन पर लाठी नहीं चला सकते। दुकानों के मालिकों ने दुकानदारों का किराया माफ कर दिया है। जब तक आंदोलन चलेगा उनसे किराया नहीं लेंगे। फिलहाल दुकानदार शांत हैं।

22 साल की शबनम ऑर्गेनाइज़र टीम में हैं। बताती हैं कि अभी कुछ देर पहले इसी लिए झगड़ा हो गया। कुछ लोग कहने लगे ये बंद करो। हम लोगों ने बंद नहीं किया। हमारी 20 दिन की मेहनत बेकार हो जाएगी। इससे शाहीनबाग़ वालों की हार होगी। ये चीज़ दूर-दूर तक दुनिया में पहुंच चुकी है। अब ये हटेगा नहीं जब तक कोई फैसला नहीं होगा। कह रहे थे रोड खोल दो, दो दिन में आर्डर आ जाएगा। हमें पागल बना रहे थे।

19 साल के उमैर भी ऑर्गेनाइज़र टीम का हिस्सा हैं।  

वीना- अभी थोड़ी देर पहले क्या हंगामा हुआ था?

उमैर – कुछ लोग आए थे।  वो लोग हमारे बीच में ही थे पहले। अभी अचानक आकर उन्होंने बोल दिया कि अब इसको हटा दो इससे कुछ नहीं होने वाला है। अभी इस चीज़ की तहकीकात चल रही है कि उन्होंने ऐसा क्यों बोला? वो लोग भाग गए हैं।

बड़े बुर्जुग की तरह उमैर मुझे समझाते हुए कहते हैं –

उमैर – लोग बैठे हैं। देखिये कुछ कह नहीं सकते कि इस लड़ाई से कुछ होगा या नहीं। लेकिन इतिहास उठाकर देख लीजिये, प्रोटेस्ट से, इन्हीं चीज़ों से लोगों पर काफ़ी फर्क़ पड़ा है। सरकारें काफ़ी बनी है बिगड़ी हैं। जब तक पब्लिक सड़क पर नहीं आती सरकारें कुछ नहीं सुनतीं। तो ज़ाहिर सी बात है इससे फर्क पड़ेगा। इसलिए हम सारे लोग काम-धाम छोड़कर सब यहां लगे हैं। हर इंसान यहां पर मदद करने को तैयार है।

60 साल की जैतून हरियाणवी टोन में बात करती हैं। हालांकि वो उर्दू पढ़ी हैं। उनके कपड़ों से और उनसे बात करके आप उन्हें जाटनी ही समझेंगे।

वीना – आप यहां क्यों आईं हैं?

जैतून  – मैं यूं आई हूं जी के सबके ही लिये है ये काम तो । हम हिंदू-मुसलमान सब एक हैं। जब सब मिलकर करेंगे तो सभी के बच्चे पढ़ेंगे। रोज़गार भी सबके बच्चों को मिलना चाहिये। सबके बच्चे पढ़-लिखकर भी आज ऐसे ही घूम रहे हैं। पीएचडी करके मेरी लड़की घर बैठी है। नौकरी नहीं। जामिया से पढ़ी है।

यूनिवर्सिटी में पुलिस कैसे बिना इजाजत घुस गई?  किसी का हाथ तोड़ा, किसी की आंख, किसी का सिर। बच्चे लाइब्रेरी में पढ़ रहे थे वो कौन से पत्थर-लाठी लेकर बैठे थे। क्यों घुसी पुलिस?

जब देश बांटना ही था तो पहले ही बांट देते। काम धंधे सबके बंद हैं। सरकार हमारी बात मान ले सब खत्म। बच्चों की पढ़ाई का नास हो रहा है। जो मज़दूरी करके ला रहे हैं उनका नास हो रहा है। (हंसते हुए) मोदी ने 200 रुपये तो प्याज़ खुवा (खिला) दी, सोच्चो। 200 का तो मुर्गा बी नी।

समाज सेवी ज़ैनुल आब्दीन 20 दिन से भूख हड़ताल पर हैं।

ज़ैनुल आब्दीन- हमारा ये धरना-प्रदर्शन और भूख हड़ताल तब तक चलेगा जब तक सरकार ये कानून वापस न ले ले। और आरएसएस के गुंडों ने जो छात्र-छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार किया है उनको सज़ा मिले। ये संविधान के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। और दलित, आदिवासी, गरीब, ओबीसी माइनॉरिटी की नागरिकता छीनने का बहुत बड़ा षड्यंत्र रचा जा रहा है। हम लोगों को ये घुसपैठिया साबित करेंगे।

10 साल की बच्ची जैस्मिन गोदी में छोटे भाई को लेकर बैठी थी।

वीना-  आप यहां क्यों आई हैं?

जैस्मिन- हम सुनने के लिए आए हैं कि समझ में आ जाए कुछ।

वीना- कुछ समझ में आया?

जैस्मिन- ये समझ में  आया जो ये बोल रहे हैं। मोदी हारेगा।

(ग्राउंड जीरो से जनचौक दिल्ली की हेड वीना की रिपोर्ट।)

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