नई दिल्ली/लखनऊ/पटना/रायपुर/इलाहाबाद। किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ लोगों का गुस्सा अब कारपोरेट विरोध में केंद्रित होता जा रहा है। और उसी का नतीजा है कि यह अब एक जनांदोलन का रूप लेता जा रहा है। आज देशभर में जगह-जगह अंबानी-अडानी और पीएम मोदी के पुतले को जलाकर लोगों ने इसे मूर्त रूप दे दिया। किसान संगठनों के आह्वान पर आयोजित हुए इस कार्यक्रम में लोगों की बड़े स्तर पर भागीदारी हुई। वाम दलों के किसान, मजदूर, महिला व छात्र संगठनों ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
एआईकेएससीसी की सदस्य इकाईयों ने आज देश के कोने-कोने में बहुत बड़ी संख्या में विरोध का आयोजन किया और केन्द्र सरकार द्वारा तीन केन्द्रीय कृषि कानून और बिजली बिल 2020 की वापसी की मांग के साथ लुका-छिपी खेलने व वापस लेने से इंकार करने की निन्दा की। ये कानून खेती के हर पहलू पर और बाजार पर कारपोरेट के नियंत्रण को स्थापित करते हैं। ये भारतीय किसानों व खाद्य सुरक्षा को नष्ट कर देंगे और किसानों को जमीन से बेदखल कर देंगे।
एआईकेएससीसी ने कहा है कि जब तक तीन खेती के केन्द्रीय कानून और बिजली बिल 2020 रद्द नहीं किये जाते तब तक सरकार के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा।

किसानों ने आज कई सार्वजनिक स्थानों, टोल प्लाजा, कारपोरेट कार्यालयों व पेट्रोल पम्पों व सरकारी कार्यालयों में विरोध प्रदर्शन कर राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड, हिमाचर प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, कर्नाटका, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, आसाम, पुडुचेरी, उत्तराखण्ड, आन्ध्र प्रदेश, केरल और पंजाब में भी केन्द्र सरकार व कारपोरेट घरानों के पुतले फूंके। इन विरोधों में कई लाख लोगों ने भाग लिया। बिहार व कर्नाटक में कई चैराहों पर लोगों ने जाम लगाया। उत्तर प्रदेश में ग्रामांचल में बड़े प्रदर्शन हुए। सभी जगह गांव-गांव में लोगों ने पुतले फूंक कर विरोध दर्ज किया।
संगठन का कहना था कि भारत सरकार इस बात की गलतफहमी फैलाने में लगी है कि एमएसपी पर कुछ आश्वासन समाधान हो सकता है। किसानों का कहना है कि एमएसपी के सवाल पर किसानों की मांग स्पष्ट है कि ये सभी फसलों के लिये स्वामीनाथन फार्मूला सी2+50 फीसदी घोषित होनी चाहिए और सभी किसानों को खरीद की गारंटी मिलनी चाहिए।
मध्य प्रदेश के विदिशा में भी मोदी और कार्पोरेट का पुतला दहन किया गया।
यूपी के बदायूँ में भी किसानों ने अडानी-अंबानी और मोदी के पुतले फूंके। इस मौके पर हुई सभा में नेताओं ने कहा कि संघ-भाजपा की मोदी सरकार लुटेरे कारपोरेट घरानों अम्बानी-अडानी और अमेरिकी कंपनियों की गुलामी कर किसानों, मजदूरों, गरीबों समेत आम जनता और देश से गद्दारी कर रही है।

उनका कहना था कि देश की संपदा, संसाधनों, रेलवे-बीमा-बैंक समेत पब्लिक सेक्टर के उपक्रमों, जल, जंगल,जमीन, खेती किसानी समेत जनता की पूंजी पर देशी विदेशी बड़ी कारपोरेट कंपनियों का कब्जा करवा रही है। इस कारपोरेट लूट के विरुद्ध देश की जनता एकजुट न हो सके इसके लिए संघ -भाजपा और मोदी सरकार समाज में नफरत फैलाने, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने और लोकतंत्र को खत्म कर तानाशाही लादने की फासीवादी परियोजना पर काम कर रहे हैं ।
उक्त बातें लोकमोर्चा के संयोजक अजीत सिंह यादव ने आज बदायूँ के अम्बेडकर पार्क में अम्बानी अडानी आदि लुटेरे बड़े कारपोरेट घरानों के पुतला दहन के मौके पर कहीं।
कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ वामदलों ने फूंका प्रधानमंत्री का पुतला, कचहरी में की सभा
कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) तथा सोशलिस्ट यूनिटी सेण्टर ऑफ इण्डिया (कम्युनिस्ट) ने संयुक्त रूप से जिला कचहरी में धरना देकर राष्ट्रपति को सम्बोधित तीन सूत्रीय मांगपत्र जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा। धरने के पश्चात वामदलों के कार्यकर्ताओं ने लक्ष्मी चैराहे पर प्रधानमंत्री का पुतला फूंका।
भाकपा (माले) ने किसान आंदोलन के समर्थन में शनिवार को पूरे प्रदेश में गांव-गांव प्रधानमंत्री मोदी का पुतला फूंका। पार्टी का कहना था कि किसान संगठनों के आह्वान पर 8 दिसंबर को भारत बंद सफल बनाने के लिए उसके कार्यकर्ता फिर से सड़कों पर उतरेंगे।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि मोदी सरकार के तीनों नए कृषि कानूनों के निरस्तीकरण, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून के निर्माण और प्रस्तावित बिजली बिल 2020 की वापसी की प्रमुख मांगों पर पिछले 10 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में भाकपा (माले) पूरी तरह से किसानों के साथ है। उन्होंने कहा कि दिल्ली बार्डर पर जमे आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में माले कार्यकर्ता भी डटे हैं।

राज्य सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की मांगों पर ठोस कार्रवाई करने के बजाय उन्हें चक्रीय वार्ताओं में उलझा कर थकाने की नीति अख्तियार कर रही है। इसके पहले किसानों के आंदोलन को बदनाम करने और उनमें फूट डालने की असफल कोशिश भी हुई। लेकिन इसे धता बताकर किसान सपरिवार इस ठंड में भी दस दिनों से रात-दिन राजधानी के गिर्द डटे हुए हैं। उनका आंदोलन निरंतर तेज हो रहा है और उनके पक्ष में समर्थन दिनों-दिन बढ़ रहा है।

छत्तीसगढ़ में भी जगह-जगह किसानों ने प्रदर्शन किया और मोदी और कॉरपोरेट घरानों के पुतले फूंके। छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के घटक संगठनों ने आज गांव-गांव में मोदी-अडानी-अंबानी के पुतले जलाए और किसान विरोधी काले कृषि कानूनों और बिजली कानून में संशोधन को वापस लेने की मांग की। मोदी-अडानी-अंबानी के पुतले जलाने के आरोप में मरवाही के नागवाही गांव से देवान सिंह मार्को और सिलपहरी से विशाल वाकरे को गिरफ्तार किया गया है। ये दोनों मरवाही जिले में छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता हैं। छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने इसकी निंदा करते हुए उन्हें रिहा करने की मांग की है। सूरजपुर, सरगुजा, कोरबा, मरवाही, बिलासपुर, चांपा, राजनांदगांव, कांकेर, रायगढ़ सहित सभी जिलों के सैकड़ों गांवों से पुतले जलाने की लगातार खबरें आ रही हैं।

इसके अलावा बिहार में भी आज जगह-जगह जाम लगाया गया जिसमें वाम दलों और उनके जनसंगठनों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इसके साथ ही तेजस्वी के नेतृत्व में आरजेडी कार्यकर्ताओं ने गांधी प्रतिमा के नीचे धरना दिया। इसके जरिये पूरी पार्टी ने किसानों के साथ अपनी एकजुटता जाहिर की।