आइसा उत्तर प्रदेश का 11 वां राज्य सम्मेलन इलाहाबाद में हुआ आयोजित

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प्रयागराज। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) उत्तर प्रदेश का 11वां राज्य सम्मेलन इलाहाबाद में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में 37 सदस्यीय राज्य परिषद तथा 23 सदस्यीय राज्य कार्यकारिणी चुनी गई। इस राज्य परिषद द्वारा शिवम सफ़ीर को प्रदेश सचिव तथा मनीष कुमार को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुना गया। राज्य परिषद द्वारा उपाध्यक्ष पद पर रोशन, विवेक, भानु, साक्षी, समर तथा राज्य सह सचिव के पद पर शशांक, मिहिर, सोनाली और हर्ष का चुनाव हुआ। सम्मेलन में विभिन्न विश्वविद्यालय और प्रदेश भर के अलग-अलग केंद्रों से सैकड़ों प्रतिनिधि और छात्र छात्राएं शामिल हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत उद्घाटन सत्र से हुई। इस सत्र की शुरुआत महाकुंभ व दुनिया भर में चल रहे युद्ध में मारे गए लोगों और बेरोजगारी के कारण हुई आत्महत्याओं पर शोक व्यक्त कर हुई। उद्घाटन सत्र को आइसा की अखिल भारतीय अध्यक्ष नेहा ने बतौर उद्घाटनकर्ता संबोधित किया। कॉमरेड नेहा ने शिक्षा पर लगातार बढ़ते हमले तथा नई शिक्षा नीति द्वारा सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों के निजीकरण और समाज में बढ़ती लगातार सांप्रदायिक प्रवृत्तियों के खिलाफ एकजुट होकर छात्र युवा आंदोलन को और मजबूत बनाने की बात कही। 

अपनी बात रखते हुए अगले वक्ता डॉक्टर अंकित ने कहा कि शिक्षा का निजीकरण किए जाने के कारण भारी संख्या में छात्रों को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ रही है जिसके प्रति सरकार की कोई चिंता दिखाई नहीं देती बल्कि वह अन्य धार्मिक क्रियाकलापों में जनता के पैसों को अनावश्यक रूप से खर्च करती हुई नजर आती है। डॉक्टर मेडुसा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मौजूदा सरकार की शिक्षा नीति में लैंगिक और सामाजिक भेदभाव को रोकने को लेकर कोई ठोस नीति का जिक्र नहीं है और ना ही सरकार इसके लिए सचेत है जिसके परिणाम स्वरूप सामाजिक उत्पीड़न और बहिष्करण लगातार बढ़ता जा रहा है। 

ऐक्टू के राज्य सचिव अनिल वर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि श्रम कानून को कमजोर कर न्यूनतम वेतन देने की लड़ाई को खत्म करने की कोशिश की जा रही है ताकि मेहनतकश छात्र युवा नौजवानों के कामगारों की फौज तैयार की जा सके जिससे पूंजी पतियों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हासिल हो और वह देश के संसाधनों पर कब्जा कर लें। 

कामरेड अनिल वर्मा ने इसके खिलाफ छात्रों को एकजुट होने और रोजगार के मौलिक अधिकार बनाने की लड़ाई को लड़ना होगा। एसएफआई के राज्य परिषद के सदस्य साथी पार्थ ने अपनी बात रखते हुए कहा कि यह दौर समस्त लोकतांत्रिक प्रगतिशील छात्र संगठनों को एकजुट होकर शिक्षा रोजगार की लड़ाई को आगे बढ़ाने का है। इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इलाहाबाद की धरती हमेशा से आंदोलन की धरती रही है और इसी धरती से आइसा का जन्म हुआ है, ऐसे में जरूरी हो जाता है कि एक मजबूत शिक्षा और रोजगार को लेकर  प्रदेश भर में चल रहे आंदोलन को एकजुट कर वर्तमान सत्ता को बेदखल किया जाए। 

सम्मेलन में ऑनलाइन कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमडिया ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आधुनिकता का संदर्भ तकनीक से नहीं विचारधारा से होता है। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि पूरे देश में अल्पसंख्यकों और दलितों पर जिस तरह का दमन हो रहा है उसके प्रतिरोध के लिए नक्सलबाड़ी का किसान विद्रोह एक विकल्प प्रस्तुत करता है। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य कामरेड ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि यह दौर युवाओं के हक और अधिकार पर बढ़ते भयंकर हमले का है। और ऐसे में इसके खिलाफ दलित, मुसलमान, पिछड़े, अल्पसंख्यक सभी को एकजुट होकर संघर्ष में अपने आप को झोंक देना होगा। बिहार में महाजुटान जैसी एक बड़ी गोलबंदी उत्तर प्रदेश में भी करनी होगी। 

कार्यक्रम के अंत में नई राज्य परिषद ने राजनीतिक प्रस्ताव के माध्यम से नई शिक्षा नीति 2020 वापस कराने, विश्वविद्यालयों में लोकतंत्र बहाल करने, छात्रसंघ चुनाव बहाल कराने, दलितों, महिलाओं व मुसलमानों पर बढ़ते हमलों पर रोक लगाने और युवाओं के लिए रोज़गार इत्यादि के लिए संघर्ष को और मजबूत करने आह्वान किया गया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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