अजित जोगी हैं सतनामी फायदा ले रहे थे आदिवासी का

Estimated read time 2 min read

आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अजित जोगी की जाति को लेकर शुरू से ही गहरा विवाद रहा है। आरोप है कि वह अनुसूचित जाति के तहत आने वाले सतनामी जाति से आते हैं। जबकि ईसाई धर्म अपना चुके अजित जोगी का दावा है कि वह अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) से हैं।दूसरी हाई-पावर कमेटी ने भी पूर्व सीएम अजीत जोगी को आदिवासी नहीं माना है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति के मामले की जांच कर रही दूसरी हाई-पावर  कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है।  कमेटी ने यह भी साफ किया है कि अब जोगी के लिए अनसूचित जनजाति के लाभ की पात्रता नहीं होगी। उच्चतम न्यायालय के  13 अक्टूबर, 2011 के  फैसले के तहत सरकार ने  हाईपावर कमेटी बनाकर अजीत जोगी के जाति प्रकरण का निराकरण करने का निर्देश दिया था।

यदि यह रिपोर्ट सही है तो यह अजित जोगी के लिए बहुत बड़ा  झटका  है, क्योंकि जाति प्रमाणपत्र के साथ-साथ उनके राजनीतिक करियर पर भी इसका असर पड़ना निश्चित  है।अजित जोगी फिलवक्त मरवाही सीट से विधायक हैं। इस रिपोर्ट के बाद अब यह सीट भी उनके हाथ से जा सकती है।रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल इसलिए उठ रहा है कि सोमवार रात कमेटी की यह रिपोर्ट सोशल मीडिया पर लीक हो गई। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने इस रिपोर्ट को ना तो खारिज किया और ना ही इसकी पुष्टि की है। हां, इतना जरूर कहा कि उन्हें अभी इस रिपोर्ट को देखना है, उसके बाद ही कुछ कह सकेंगे।

अजीत जोगी की जाति मामले की जांच कर रही आदिम जाति विभाग के सचिव डीडी सिंह की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। इससे पहले पिछले साल भी रीना बाबा कंगाले की कमेटी ने भी जोगी की जाति को आदिवासी नहीं माना था। सिंह कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अजीत जोगी को आदिवासी नहीं माना है और अजीत जोगी के सभी जाति प्रमाण पत्रों को निरस्त कर दिया है। कमेटी ने तय किया है कि जोगी को अनुसूचित जनजाति के लाभ की पात्रता नहीं होगी।

हाईपावर कमेटी ने छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम 2013 के नियम 23 (3) एवं 24 (1) के प्रावधानों के तहत कार्यवाही के लिए बिलासपुर कलेक्टर को निर्देशित किया है। वहीं नियम 2013 के नियम 23(5) के प्रावधानों के तहत उप पुलिस अधीक्षक को प्रमाण पत्र जब्त करने के निर्देश दिए हैं।

पिछले दिनों हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ  ने अजीत जोगी की उस याचिका को खारिज किया था, जिसमें उन्होंने हाईपावर कमेटी के समक्ष पेश होने की नोटिस को खारिज करने की मांग की गयी  थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में अजीत जोगी को कमेटी के समक्ष एक महीने के भीतर उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत करने को कहा था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अजीत जोगी ने 21 अगस्त 2019 को हाईपावर कमेटी के समक्ष अपना जवाब प्रस्तुत किया था।

संतकुमार नेताम की शिकायत के बाद जोगी के मामले को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग आयोग ने अजीत जोगी को नोटिस जारी किया था, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग को जाति का निर्धारण करने, जांच करने और फैसला देने का अधिकार नहीं है। इस फैसले को लेकर संतकुमार नेताम उच्चतम न्यायालय भी गए थे।नेताम की याचिका पर  उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाई थी। उच्चतम न्यायालय ने 13 अक्टूबर, 2011 को फैसला दिया  था कि सरकार हाईपावर कमेटी बनाकर अजीत जोगी के जाति प्रकरण का निराकरण करे।

पहली कमेटी ने जांच के बाद 27 जून 2017 को आदेश जारी कर अजीत जोगी की समस्त प्रमाणपत्रों को निरस्त कर दिया था।इस फैसले के खिलाफ अजीत जोगी हाईकोर्ट गए, जहां कोर्ट ने हाईपावर कमेटी अधिसूचित न होने की वजह से इसे विधि अनुरूप नहीं माना था। हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य शासन ने 21 फरवरी 2018 को फिर से डीडी सिंह की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी का पुनर्गठन किया था ।डीडी सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अजीत जोगी को आदिवासी मानने से इनकार करने के साथ ही जोगी के सभी जाति प्रमाण पत्रों को भी निरस्त कर दिया है। कमेटी ने यह भी तय किया है कि जोगी को अनुसूचित जनजाति के लाभ की पात्रता नहीं दी जाएगी।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author