नई दिल्ली। भारतीय सेना ने जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट की नेता शहला राशिद के आरोपों को आधारहीन बताते हुए कश्मीर के जमीनी हालात को लेकर उनके लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि कल शहला राशिद ने अपने 10 ट्वीटों के जरिये सेना के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने इन बातों को कश्मीर से आने वाले लोगों के हवाले से कही है।
अपने एक ट्वीट में एक्टिविस्ट ने कहा कि सुरक्षा बल के जवान “रातों में लोगों के घरों में घुस रहे हैं, लड़कों को उठा ले रहे हैं, घर के सामनों को तहस-नहस कर दे रहे हैं और जानबूझ कर राशन को फर्श पर बिखेर दे रहे हैं यहां तक कि तेल को चावल में मिला देने तक की घटनाएं हुई हैं।”
इसके अगले ट्वीट में उन्होंने कहा है कि चार लोगों को आर्मी कैंप में बुलाया गया और उनसे “पूछताछ” (प्रताड़ित) की गयी। इस दौरान उनके पास माइक रख दिया गया था जिससे पूरा इलाका उनकी चीखों को सुन सके और आतंकित हो सके।
उन्होंने कहा कि इससे पूरा इलाके में भय का माहौल पैदा हो गया है।
एएनआई के हवाले से आयी खबर के मुताबिक भारतीय सेना ने कहा है कि सभी आरोप आधारहीन हैं और उन्हें खारिज किया जाता है। इसके साथ ही उसने इसे अपुष्ट और पूरी तरह से फेक करार दिया है। उसने कहा है कि यह हताश तत्वों और संगठनों द्वारा इसलिए फैलाया जा रहा है जिससे घाटी के लोगों को उकसाया जा सके।

गौरतलब है कि 5 अगस्त को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 का खात्मा कर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया। जिसका पूरे कश्मीर में विरोध हो रहा है।
इस बीच, घाटी के दौरे पर गयी एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने भी कुछ ऐसी ही रिपोर्ट दी थी। उसने कहा था कि मुख्यधारा का मीडिया सही तस्वीर नहीं पेश कर रहा है। बातें वही सामने आ रही हैं जो केंद्र सरकार या फिर सूबे का प्रशासन चाहता है। जनता का कई पक्ष सामने नहीं आ पा रहा है। इस टीम में शामिल अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, एपवा नेता कविता कृष्णन, एडवा की नेता मैमूना मोल्लाह और एनएपीएम के विमल भाई ने बताया कि रात में युवकों का सेना द्वारा अपहरण कर लिया जा रहा है। उसमें बहुत सारे नाबालिग बच्चे होते हैं। जिसके चलते पूरी आवाम में जबर्दस्त नाराजगी है। वो केंद्र सरकार के फैसले को अपने साथ विश्वासघात मान रहे हैं।
आम लोग भय के साये में जी रहे हैं और उन्हें उत्पीड़न का डर सता रहा है। उन्होंने बताया कि अनौपचारिक बातचीत में वो अपनी समस्या को खुलकर रखते हैं लेकिन कैमरे के सामने कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
इस बीच, घाटी और जम्मू में चरणबद्ध तरीके से पाबंदियां हटायी जा रही हैं। कल जब कुछ जगहों से पाबंदियां हटायी गयीं तो वहां हिंसा फूट पड़ी और लोग सड़कों पर उतर आए। जिसके बाद प्रशासन ने फिर वहां पाबंदी लगा दी। इसमें सौरा इलाके को प्रमुख तौर पर चिन्हित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि प्रशासन ने तकरीबन फोन की 50 हजार लैंड लाइनें चालू कर दिए हैं। हालांकि अभी लाल चौक के स्टेशन को नहीं खोला गया है। आज से कुछ स्कूलों को भी खोला जा रहा है। आज की स्थितियों को देखने के बाद ही प्रशासन आगे कोई फैसला लेगा।
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