Saturday, April 20, 2024

अमेरिका में भी जारी है सिख समुदाय की लंगर सेवा, अंतरराष्ट्रीय मीडिया से मिल रही जमकर सराहना

कोरोना वायरस के संकटकाल में सिख समुदाय द्वारा दुनिया भर में निभाई गई ‘लंगर’ सेवा की अंतरराष्ट्रीय मीडिया खूब और खुलकर सराहना कर रहा है। कोरोना वायरस और हालिया दंगों के बीच समूचे अमेरिका में अभूतपूर्व लंगर सेवा की गई। यह अभी भी जारी है। इस पर विश्वप्रसिद्ध अमेरिकी अखबार ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने 8 जून को विशेष व लंबा रिपोर्ताज प्रकाशित किया है। यह रिपोर्ताज सारी दुनिया के सिखों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

अखबार ने विस्तृत जायजा लिया है और रेखांकित किया है कि सिख समुदाय के लोग सिक्खी की पावन और पुरातन ‘लंगर सेवा’ परंपरा को किस शिद्दत के साथ विदेशों में भी जिंदा रखे हुए हैं। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के रिपोर्ताज के अनुसार लाखों जरूरतमंदों को अमेरिका में लंगर के जरिए खाना पहुंचाया जा रहा है। लंगर को पैकेट के रूप में लोगों तक पहुंचाया जाता है। पूरा खाना शाकाहारी होता है। 

आम तौर पर लंगर के पैकेट में राजमा-चावल, मटर पनीर, दाल, खीर, चपाती, बर्गर, पिज़्ज़ा, पास्ता, टाको, पानी और सोडा रहता है। लंगर बगैर किसी भेदभाव हर समुदाय, जाति और वर्ग के जरूरतमंदों के बीच वितरित किया जाता है। कई लोग खुद लंगर का खाना ले जाते हैं और बाकियों को उनके ठिकानों पर जाकर पहुंचाया जाता है। अखबार के मुताबिक यह बेमिसाल सेवा है, जो अतुलनीय है। फोन कॉल के जरिए भी खाना कूरियर की तरह वितरित किया जा रहा है।

सुबह चार बजे सेवादार गुरुद्वारा साहिब आकर लंगर तैयार करना शुरू करते हैं। सामाजिक दूरी का खास ख्याल रखा जाता है। तमाम सेवादारों और लंगर लेने वालों के लिए मास्क तथा दस्ताने अनिवार्य हैं। रिपोर्ताज में लिखा गया है कि लंगर मुफ्त वितरित करने और खिलाने की परंपरा सिख धर्म के जन्म व गठन जितनी ही पुरानी है। यानी 550 साल पुरानी। लंगर के लिए रसद संगत के दिए दान से आती है और सिख अपनी आमदनी का दसवां हिस्सा भेंट करते हैं।              

लंगर पर रिपोर्ताज लिखने के लिए ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की पत्रकार प्रिया कृष्णा ने अमेरिका स्थित लगभग सौ गुरुद्वारों और सिख संस्थाओं का दौरा किया। महामारी के अलावा हजारों सिख अमेरिका में हो रहे रोष-प्रदर्शनों में भी लंगर और पानी की सेवा बखूबी निभा रहे हैं।                                       

अमेरिकन सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के संयोजक डॉक्टर प्रीतपाल सिंह ने फोन पर बताया कि रहते संकट तक लंगर की सेवा जारी रहेगी। अमेरिकी मीडिया से सराहना मिलने के बाद सब कुछ भूल कर और खुद को संकट में डाल कर लंगर सेवा निभा रहे सेवादारों को बल मिला है। डॉक्टर प्रीतपाल सिंह के मुताबिक समूचे अमेरिका में बगैर किसी भेदभाव के हर जरूरतमंद तक खाना पहुंचाया जा रहा है और पहुंचाया जाता रहेगा।

अमेरिका के कई हिस्सों में फिलहाल धार्मिक स्थलों पर इकट्ठा होने पर पाबंदी है लेकिन शासन की अनुमति से लंगर तैयार और वितरित हो रहा है। कई बड़े अस्पतालों, वृद्ध आश्रमों और एकांतवास केंद्रों में भी ‘गुरु का लंगर’ निर्बाध पहुंचाया जा रहा है। डॉक्टर प्रीतपाल बताते हैं कि ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अलावा कई अन्य पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों ने भी अमेरिका में की जा रही लंगर सेवा की जबरदस्त सराहना की है।                     

गौरतलब है कि भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में इन दिनों सिख समुदाय की लंगर सेवा चर्चा का विषय है।

(पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)                                                   

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

पुस्तक समीक्षा: निष्‍ठुर समय से टकराती औरतों की संघर्षगाथा दर्शाता कहानी संग्रह

शोभा सिंह का कहानी संग्रह, 'चाकू समय में हथेलियां', विविध समाजिक मुद्दों पर केंद्रित है, जैसे पितृसत्ता, ब्राह्मणवाद, सांप्रदायिकता और स्त्री संघर्ष। भारतीय समाज के विभिन्न तबकों से उठाए गए पात्र महिला अस्तित्व और स्वाभिमान की कहानियां बयान करते हैं। इस संग्रह में अन्याय और संघर्ष को दर्शाने वाली चौदह कहानियां सम्मिलित हैं।

स्मृति शेष : जन कलाकार बलराज साहनी

अपनी लाजवाब अदाकारी और समाजी—सियासी सरोकारों के लिए जाने—पहचाने जाने वाले बलराज साहनी सांस्कृतिक...

Related Articles

पुस्तक समीक्षा: निष्‍ठुर समय से टकराती औरतों की संघर्षगाथा दर्शाता कहानी संग्रह

शोभा सिंह का कहानी संग्रह, 'चाकू समय में हथेलियां', विविध समाजिक मुद्दों पर केंद्रित है, जैसे पितृसत्ता, ब्राह्मणवाद, सांप्रदायिकता और स्त्री संघर्ष। भारतीय समाज के विभिन्न तबकों से उठाए गए पात्र महिला अस्तित्व और स्वाभिमान की कहानियां बयान करते हैं। इस संग्रह में अन्याय और संघर्ष को दर्शाने वाली चौदह कहानियां सम्मिलित हैं।

स्मृति शेष : जन कलाकार बलराज साहनी

अपनी लाजवाब अदाकारी और समाजी—सियासी सरोकारों के लिए जाने—पहचाने जाने वाले बलराज साहनी सांस्कृतिक...