आज कहीं भी कोई दुःखी नहीं है भारत में
चतुर्दिक सुख का राज्य है
किसान सोने के हल से जोत रहे हैं खेत
उनकी आत्म हत्या की खबरें अफवाह हैं
कोई बेरोजगार नहीं
सबके पास काम है
सबको आराम है
सभी जन परस्पर प्रेम में डूबे हैं
सभी सुखी हैं
बच्चे न बीमारी से मर रहे हैं न हत्या से
वायु देव धड़कन बन कर सब के हृदय में निरंतर प्रवाहित हैं
इन्द्र के मेघ बरस कर कर रहे सबका हित हैं
अकाल और भुखमरी की बातें
सब अफवाह है!
हर गाय सुरक्षित है अपने बछड़े-बछिया के साथ
हर नदी निर्मल जल से भरी है
हर बाग अपने वृक्षों के साथ हर्षित है
पेड़ों के काटे जाने की बात
सिर्फ अफवाह है!
न सीता का हरण हुआ कभी न लंका जली
राम राज्य व्याप रहा लंका की गली-गली
रावण के साथ राम धुन गा रहे हैं बजरंग बली
कैसी भव्य हवा चली
बच्चे अगवा नहीं होते हैं
लोग बिना ताला लगाए घरों में सोते हैं
हर आदमी चाणक्य है हर आदमी कृष्ण है
युधिष्ठिर के जुआरी होने की बात
द्रौपदी को दांव पर लगाने की घात
चीर हरण
चक्र व्यूह में अभिमन्यु मरण
सब अफवाह है!
शूर्पणखा ने राम के लिए बुने हैं स्वेटर
दुशासन ने द्रौपदी के लिए खरीदी है चादर
कोई युद्ध नहीं हुआ कौरव-पांडव के बीच कुरुक्षेत्र में
सब अफवाह है!
गांधी जी का पैर गोडसे दबा रहा है
गांधी को कोई कुछ कह तक नहीं पा रहा है
गोडसे के बच्चे गांधी नाम का जाप कर रहे हैं
गांधी के बच्चे गोडसे को गले लगा कर आप-आप कर रहे हैं
गांधी की हत्या अफवाह है!
सुख की बातें इतनी अधिक हैं कि उनको लिखना व्यर्थ है
दुःख निरर्थक हो गया है
चींटियों का पिसान्न
पशुओं का चारा
मनुष्यों का भोजन इफरात है
कोई रोता नहीं कहीं
आंसुओं को बात अफवाह है!
किसी को वकील नहीं चाहिए
किसी को मुकदमा नहीं करना
किसी को सजा नहीं दिलानी किसी को
किसी से कोई शिकायत नहीं अब
किसी को खंभे से बांध कर नहीं मारते लोग
कोई बलात्कार नहीं करता
किसी पर किसी का कोई उधार नहीं
देश में विष मिलता नहीं खोजने पर
कोई बेघर नहीं है
पूरी पृथ्वी हर एक का घर है
कोई नहीं पूछता किसी का धर्म
भेदभाव की बात अफवाह है!
मुंसिफ घर-घर आकर कर रहे हैं न्याय
कोई किसी की भूमि नहीं झपट रहा
कोई किसी की फसल नहीं जला रहा
हर द्वार पर गंधर्व गीत गा रहे हैं
इन्द्र किसी अहिल्या को धोखा नहीं दे रहा
अहिल्या पत्थर की नहीं थी
सब अफवाह है!
कोई किसी की बुराई नहीं करता
कोई किसी की थुराई नहीं करता
सभी कमल से कोमल हो गए हैं
सभी पंखुड़ियों की कोमलता में खो गए हैं
न किसी के पास तमंचा है न छुरा है
हर आदमी संत है कोई नहीं बुरा है
कसाई नहीं कोई
बकरी काटने तक के लिए कोई तैयार नहीं
बहू को जलाने वाले
भाई का गला दबाने वाले लोग स्वर्ग भेज दिए गए
ठगी लूट मक्कारी की बातें
सब अफवाह है!
मोक्ष के लिए काशी में मरना आवश्यक नहीं
कहीं भी मरने पर मोक्ष मिलता है
रास्तों में गलियों में खेत में दफ्तर में
हर जगह मोक्ष केंद्र खुले हैं
हर उम्र का व्यक्ति साधिकार पा सकता है मोक्ष
सब का स्वर्ग पर अधिकार है
नरक की बात सब अफवाह है!
कविता आसमान से उतरती है
कवि को अलंकार तक नहीं सोचने पड़ते
साहित्य का उत्सव है चौतरफा
कवि दुःखी हैं यह सब अफवाह है!
हर व्यक्ति स्वयं एक उजाला है
लोग एक दूसरे को रोशनी में लुब्ध हैं
प्रजा सब भांति सुखी है
राजा सब भांति सुखी है
देश का हर कण सुखी है
हर घाव एक खिला हुआ पुष्प है
हर व्यथा एक सुख है
दुःख की बात बस अफवाह है!
बोधिसत्व
(रचनाकार चर्चित कवि हैं और मुंबई में रहते हैं।)
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